देश के वैज्ञानिक ग्रांट लेने के लिए काम कर रहे, शोध नहीं
धनबाद: कोयले से पेट्रोल बनाना हो या फिर अंडरग्राउंड कोल गैसीफिकेशन, ढाई दशक से सुन रहा ह
धनबाद: कोयले से पेट्रोल बनाना हो या फिर अंडरग्राउंड कोल गैसीफिकेशन, ढाई दशक से सुन रहा हूं, लेकिन आजतक इसके लिए पढ़ाई ही हो रही है। ऐसा कोई संस्थान नहीं है, जिसने इसके लिए मंथन किया है। आज देश के वैज्ञानिक ग्रांट के लिए काम कर रहे हैं। उन्हें तो बस नेम और फेम चाहिए। यही वजह है कि इनोवेशन नहीं हो रहे हैं। अगर हमें चीन को मात देनी है तो यह मानसिकता बदलनी होगी। ये बातें बिजनेस डेवलपमेंट ऑफ इंडिया ग्लाइकोल्स लिमिटेड के आरएंडडी अध्यक्ष प्रो. आरके खंडाल ने कही। वे सोमवार को केंद्रीय खनन एवं ईधन अनुसंधान संस्थान के 73वें स्थापना दिवस समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि देश की एकेडमिक व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता है। ऐसा तब मुमकिन होगा जब 55 फीसद अंक लाने वाले बच्चों को आइआइटी के प्रोफेसर पढ़ाएंगे और उन्हें भी 95 फीसद वालों की श्रेणी में लाकर मिसाल पेश करेंगे।
प्रो. खंडाल ने कहा कि चीन ने 30 वर्ष पहले ही शिक्षण और शोध संस्थानों को फंडिंग बंद कर दिया था। यही वजह है कि एमएसएमई में चीन वैश्रि्वक फलक पर अपनी पहचान बनाने में कामयाब है। उन्होंने कहा चीन में एकेडमिक और शोधकर्ताओं का काम मौजूदा समस्याओं पर मंथन और उनका निराकरण करना है। उनका उद्देश्य साफ है, जो हमारे यहा अबतक नहीं है। धनबाद से गहरा नाता: प्रो. खंडाल ने कहा कि धनबाद से उनका गहरा नाता है। आइआइटी आइएसएम के छात्र रह चुके हैं। विशिष्ट अतिथि आइआइटी आइएसएम के निदेशक प्रो. राजीव शेखर ने कहा कि सिंफर देश के असाधारण शोध संस्थानों में से एक है। कार्यक्रम में सिंफर निदेशक डा. प्रदीप कुमार सिंह सहित सभी वैज्ञानिक उपस्थित थे।