Move to Jagran APP

आइएसएम में हरेक साल 43936 घन मीटर वर्षा जल का संरक्षण

आइएसएम परिसर के साथ छात्रावास की छत पर जमा होने वाले बारिश के पानी को धरती के नीचे इस तरह भेजा जा रहा है कि वह संरक्षित रहे। प्रोफेसर सरकार कहते हैं, यह ड्रीम प्रोजेक्ट हैं।

By mritunjayEdited By: Published: Sat, 05 Jan 2019 12:16 PM (IST)Updated: Sat, 05 Jan 2019 12:16 PM (IST)
आइएसएम में हरेक साल 43936 घन मीटर वर्षा जल का संरक्षण
आइएसएम में हरेक साल 43936 घन मीटर वर्षा जल का संरक्षण

धनबाद, जेएनएन। आइएसएम आइआइटी में वर्षा जल संरक्षण की बड़ी योजना पर काम शुरू किया गया है। जिस जगह पर आइएसएम की स्थापना हुई है, वहां धरती के नीचे की बनावट ऐसी है कि भू जल को बचा कर रखना आसान नहीं है। प्रोफेसर वीसी सरकार ने आइएसएम की धरा के नीचे की भौगोलिक संरचना के अध्ययन के बाद जल संरक्षण की योजना बनाई और लागू भी किया। दो रीचार्ज पीट से आइएसएम में हरेक साल 43936 घन मीटर वर्षा जल का संरक्षण हो रहा है। केंद्रीय भू जल बोर्ड ने इस काम के लिए आइएसएम की पीठ थपथपाई है, प्रशंसा पत्र भी निर्गत किया है। 

loksabha election banner

आइएसएम परिसर के साथ छात्रावास की छत पर जमा होने वाले बारिश के पानी को धरती के नीचे इस तरह भेजा जा रहा है कि वह संरक्षित रहे। प्रोफेसर सरकार कहते हैं, यह ड्रीम प्रोजेक्ट हैं।  जब यह परियोजना शुरू की गई थी तो इसकी सफलता के मसले पर सशंकित थे। बावजूद नतीजे सुखद रहे। बारिश का पानी यूं ही बह जाता है जो मानव सभ्यता के लिए सही नहीं है। पानी की एक एक बूंद कीमती है। वर्षा जल के संरक्षण से भू जल का स्तर ऊपर की ओर जाएगा। 

वर्षा जल के लिए बनाए गए दो रीचार्ज पीट : संस्थान में वर्षा जल संरक्षण के लिए दो विशेष रीचार्ज पीट 1.74 लाख की लागत से बनाए गए हैं। इनकी गहराई 55 मीटर से 72 मीटर तक है। एक करोड़ 89 लाख 46 हजार 745 रुपये की लागत से आइएसएम में अब कुल 54 रीचार्ज पीट बनाए जा रहे हैं। 

यह होगा होगा फायदा :  डॉ. सरकार ने बताया कि एक छत से 21968 घन मीटर पानी की हार्वेस्टिंग हो सकेगी। छोटानागपुर का एक हिस्सा होने के कारण आइएसएम कैंपस की भौगोलिक संरचना में आग्नेय चïट्टानों की अधिकता है। ऐसी स्थिति में भूजल स्त्रोत की संभावना काफी कम रहती है। उस अवस्था में रेनवाटर हार्वेस्टिंग काफी कारगर होगी। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.