ODF Scam in Dhanbad: 42 हजार शौचालयों की अब तक नहीं हो सकी जांच, 20 करोड़ की गड़बड़ी का अनुमान
शौचालय निर्माण में गड़बड़ी मिलने पर पूर्व नगर आयुक्त ने सभी 42 हजार शौचालयों के जांच का आदेश दिया था। पूर्व उपनगर आयुक्त मनोज कुमार इसकी जांच कर रहे थे लेकिन उनका तबादला हो गया। प्रारंभिक जांच में 30-40 प्रतिशत शौचालय निर्माण फर्जी तरीके से होने की बात आई थी।
धनबाद, जेएनएन। जिले को ओडीएफ करने का ऐसा दबाव बना कि नगर निगम ने आनन-फानन में शौचालय निर्माण करना शुरू कर दिया। इसके बाद तो लगातार इसमें गड़बड़ी पर गड़बड़ी सामने आई। पिछले वर्ष पूर्व नगर आयुक्त चंद्रमोहन कश्यप के निर्देश पर जांच की शुरुआत भी हुई, लेकिन जांच पदाधिकारी के स्थानांतरण होने के बाद यह लटक गया। नगर निगम ने स्वयं माना था कि शौचालय निर्माण के नाम पर 20 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। पिछले वर्ष नगर निगम में शौचालय निर्माण में गड़बड़ी का खुलासा उस समय हुआ, जब छह करोड़ रुपए का हिसाब नहीं मिला।
इधर, राज्य सरकार ने हिसाब नहीं मिलने पर आगे की राशि पर रोक लगा दी। गड़बड़ी मिलने के बाद पूर्व नगर आयुक्त ने सभी 42 हजार शौचालय निर्माण की जांच का आदेश दे दिया था। पूर्व उपनगर आयुक्त मनोज कुमार इसकी जांच कर रहे थे, लेकिन उनका तबादला हो गया। प्रारंभिक जांच में 30-40 प्रतिशत शौचालय निर्माण फर्जी तरीके से होने की बात आयी थी। जिनकी अनुशंसा पर यह शौचालय बने थे, सबके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की बात थी। एक भी प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई। कई शौचालय धरातल पर हैं ही नहीं, लेकिन उसकी जांच अभी तक पूरी नहीं हो सकी है।
बीसीसीएल आवासों में रहने वालों को भी बताया गया था लाभुक : पिछले वर्ष स्वच्छ भारत मिशन के तहत वार्डों में बने व्यक्तिगत शौचालय की जांच में पाया कि भूली के बीसीसीएल आवासों में रह रहे 597 लोगों को भी लाभुक दिखाकर उनके खाते में करीब 71 लाख रुपए डाले गए। शौचालय निर्माण की यह राशि दो किस्तों में भुगतान की गई। हर लाभुक 12 हजार रुपए दिए गए। हैरान करने वाली बात यह है कि बीसीसीएल आवास में रहने वाले लोग न केवल आवेदन देकर लाभुक बने, बल्कि अपने बीसीसीएल आवास में बने पुराने शौचालय को ही नया दिखा कर उसकी फोटो भी निगम को उपलब्ध कराई। कई स्तर पर इस घोटाले की अनदेखी की गई। निगम ने न तो लाभुकों की जांच की और न ही उनके द्वारा बनाई गई शौचालय की जांच की। सिर्फ कागज पर शौचालय बनाकर रुपए का बंदरबांट किया गया। हालांकि कुछ दिन बाद निगम ने एक सप्ताह का अल्टीमेटम देकर राशि जरूर वापस मांगी। इसमें भी कुछ ने जमा किया और कुछ ने नहीं। वार्ड 15 में 186 और वार्ड 16 में 411 लाभुक थे।