Coal India: जिनके बल पर 65 फीसद कोयले का उत्पादन उन्हीं पर ध्यान नहीं, बोनस की जगह पीएलआर भुगतान की उठी आवाज
Coal India इस समय कोल इंडिया में ठेका मजदूरों के बल पर ही कोयले का उत्पादन हो रहा है। 65 हजार से ज्यादा ठेका मजदूर हैं। दुर्गा पूजा से पहले प्रत्येक स्थायी मजदूर को 72500 रुपये बोनस दिया गया। ठेका मजदूर मुंह ताकते रह गए।
आशीष अंबष्ठ , धनबाद। कोल इंडिया में कार्यरत करीब 78 हजार ठेका मजदूरों को दशहरा व दीपावली में बोनस का भुगतान नहीं किए जाने पर आवाज उठने लगी है। हाई पावर कमेटी के तहत भी ठेका श्रमिकों को वह सुविधा नहीं मिल रही है। जबकि उनको सामाजिक सुरक्षा के साथ साथ केंद्रीय कमेटी द्वारा तय मानदेय का भुगतान का करना है। इस मामले पर केंद्रीय सलाहकार ठेका श्रम बोर्ड सदस्य (श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार) शिवकुमार यादव ने कोयला खदानों से जुड़े ठेका मजदूरों को दीपावली व दशहरा में बोनस की जगह पीएलआर की राशि भुगतान करने की आवाज उठाया है।
यादव ने कोल इंडिया चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल को पत्र लिखकर कहा है कि बोनस एक्ट 1965 में संशोधन पश्चात जिस तरह कोल इंडिया अधिकारियों को पीआरपी तथा कर्मचारियों को पीएलआरएस की राशि दीवाली-दशहरा के दौरान प्रदान किया जाती है। ठीक उसी तरह ठेका मजदूरों को पीएलआर ( performance linked reward) अंतर्गत राशि (बोनस) प्रदान किया जाए। यादव ने कहा कि कोल इंडिया की हर कंपनी में ठेका मजदूर कार्यरत है। उनके कारण ही कोल इंडिया अपना उत्पादन व डिस्पैच लक्ष्य को प्राप्त करती है। प्रबंधन को उनकी सुविधा पर ध्यान देना चाहिए। उनकी भूमिका को नजर अंदाज करना सरासर गलत है।
हाई पावर कमेटी में ठेका मजदूरों का सारा नियम तय है। कोयला कंपनियां इसका पालन नहीं करती है। कोल इंडिया में सबसे अधिक कोयला एसईसीएल, एमसीएल, एनसीएल, करती है। यहां सबसे अधिक आउटसोर्सिंग कंपनी कोयला खनन का काम करती है। बीसीसीएल में करीब 42 सौ ठेका श्रमिक पंजीकृत है। लेकिन कहीं इससे अधिक ठेका श्रमिक कार्यरत है।