World Cerebral Palsy Day 2021: बोलने चलने में लाचार बच्चों को मालिश का मरहम, बोकारो का आभा सेवा सदन पीड़ितों के जीवन में भर रहा उजियारा
World Cerebral Palsy Day 2021 प्रोजेक्ट नूर की संस्थापक डा. शबनम ने डा. दिलीप से मिल कर टेलीमेडिसिन की सुविधा यहां के बच्चों को दी। इस प्रोजेक्ट से देश के अलावा अमेरिका आस्ट्रेलिया तक के फिजियोथेरेपिस्ट जुड़े हैं जो ऐसे बच्चों को निश्शुल्क फिजियोथेरेपी परामर्श देते हैं।
राममूर्ति प्रसाद, बोकारो। सेलेब्रल पाल्सी, एक ऐसा रोग जो बच्चे की बौद्धिक व चलने-फिरने की क्षमता को कमजोर करता है। इसकी अभी तक कोई दवा नहीं बनी है, मगर फिजियोथेरेपी से इतना उपचार हो सकता है, जो बच्चे के जीवनयापन की भविष्य की राह आसान करता है। बोकारो के चास में आभा सेवा सदन ऐसा ही एक संस्थान है। जहां देश-विदेश के फिजियोथेरेपिस्ट वर्चुअल प्लेटफार्म पर आकर मस्तिष्क लकवा से ग्रस्त बच्चों को सबल बनाने का पुण्य काम कर रहे, ताकि इन बच्चों के जीवन में खुशियों की बहार आ सके। अब तक 30 बच्चे बोलने चलने भी लगे हैं। साल 2005 से ऐसे बच्चों की यहां निश्शुल्क फिजियोथेरेपी व चिकित्सकीय उपचार शुरू हुआ। यहां के संचालक डा. दिलीप कुमार राउत के साथ तीन फिजियोथेरेपिस्ट व चार कर्मी सेरेब्रल पाल्सी से ग्रस्त बच्चों की फिजियेथेरेपी करते हैं। ताकि ये बच्चे समाज की मुख्यधारा में आ सकें।
यह है सेरेब्रल पाल्सी
डा. दिलीप ने बताया कि चास व चंदनकियारी प्रखंड के कई बच्चे मस्तिष्क लकवा के शिकार हैं। गर्भवती महिलाओं का संतुलित आहार न लेना, देरी से प्रसव, शिशु का देर से रोना, दिमागी बुखार, मस्तिष्क में चोट लगने से यह बीमारी हो सकती है। इससे बच्चे की बौद्धिक व चलने-फिरने की क्षमता पर असर होता है। यह न्यूरोलाजिकल डिसआर्डर है। संस्था गांव गांव में महिलाओं को जागरूक कर रही । बच्चों की निश्शुल्क फिजियोथेरेपी कर रही। कई बच्चे ठीक भी हुए। चंदनकियारी के संतोष महतो की बच्ची सुमित्रा न बोल पाती थी, न ही चल पाती थी। फिजियोथेरेपी के सहारे अब स्कूल में पढ़ाई कर रही है। चास के कैलाश महतो की बच्ची श्वेता का भी यही हाल था। वह भी गांव के स्कूल में पढ़ रही है। लोगों से मिले दान से यह केंद्र चलता है।
अभिभावकों को फिजियोथेरेपी का प्रशिक्षण
प्रोजेक्ट नूर की संस्थापक डा. शबनम ने डा. दिलीप से मिल कर टेलीमेडिसिन की सुविधा यहां के बच्चों को दी। इस प्रोजेक्ट से देश के अलावा अमेरिका, आस्ट्रेलिया तक के फिजियोथेरेपिस्ट जुड़े हैं, जो ऐसे बच्चों को निश्शुल्क फिजियोथेरेपी परामर्श देते हैं। शून्य से पांच साल तक के 35 दिव्यांग बच्चों का इलाज इस विधि से यहां हो रहा। दिव्यांग बच्चों के माता-पिता को फिजियोथेरेपी का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। समय मिलने पर विदेशी फिजियोथेरेपिस्ट भी यहां आते हैं।
हमारी बेटी की हालत अब सुधर रही
बंगाल के झालदा की शांति देवी ने बताया कि उनकी चास साल की बच्ची बोलती नहीं थी। पलट भी नहीं पाती थी। अब यहां आ रहे हैं। इलाज से स्वास्थ्य में सुधार हो रहा।
बेटा चलने लगा है
बंगाल के पुरुलिया के रहने वाले शमसुद्दीन अंसारी कहते हैं कि उनका पांच साल का बेटा चलने व बोलने में असमर्थ था। यहां इलाज को लाए। निश्शुल्क फिजियोथेरेपी होने लगी। हर्बल दवा भी दी जा रही। अब वह थोड़ा चलने लगा है।