Parthenium Grass: जानवर और आदमी के लिए खतरनाक गाजर घास के फायदे भी हैं, जानिए
Parthenium Grass गाजर घास जैविक खाद बनने के बाद पर्यावरण का अच्छा मित्र बन जाता है। बहुत कम लागत में भूमि की शक्ति को बढ़ाता है। इसे फसलों में इस्तेमाल कर और बेचकर अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं।
जागरण संवाददाता, धनबाद। पार्थेनियम घास यानी गाजर घास जितना जानवरों के लिए खतरनाक है उतना ही मनुष्यों के लिए भी। बहुत कम लोगों को पता होगा कि गाजर घास से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने वाला अच्छी क्वालिटी का कंपोस्ट बनाया जा सकता है। इसके लिए जानकारी होना बेहद जरूरी है। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डा आदर्श कुमार बताते हैं कि गाजर घास से कंपोस्ट बनाकर खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाई जा सकती है। इसका उपयोग खेती में बेहतरीन तरीके से फसलों की पैदावार बढ़ाने में किया जा सकता है। गाजर घास को चटक चांदनी, कांग्रेस घास, गांधी टोपी और कड़वी घास आदि नामों से भी जाना जाता है। सिर्फ झारखंड ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी गाजर घास समस्या बनती जा रही है। यह कृषि, मनुष्य, पशु, पर्यावरण एवं जैव विविधता के लिए खतरा है। अकृषित, कृषि क्षेत्र, रेललाइन और सड़कों के किनारे काफी मात्रा में हर मौसम में पाई जाती है।
गाजर घास से जैविक खाद बनाने की विधि कठिन नहीं
डा आदर्श कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि गाजर घास से कंपोस्ट बनाने की विधि बहुत कठिन नहीं है। इसके लिए थोड़ी ऊंचाई वाली भूमि ही जरूरत पड़ती है। यहां पानी का जमाव नहीं होना चाहिए। 10 फीट लंबे, छह फीट चौड़े और तीन फीट गहरे आकार के गड्ढे में गाजर घास एवं अन्य उपादान के उपयोग से चार से पांच माह में कंपोस्ट तैयार की जा सकती है। कंपोस्ट बनाने पर गाजर घास की जीवित अवस्था में पाया जाने वाला विषाक्त रसायन पार्थनिन का पूर्णतया विघटन हो जाता है।
बहुत कम लागत में बढ़ जाती है भूमि की उर्वरा शक्ति
गाजर घास जैविक खाद बनने के बाद पर्यावरण का अच्छा मित्र बन जाता है। बहुत कम लागत में भूमि की शक्ति को बढ़ाता है। इसे फसलों में इस्तेमाल कर और बेचकर अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं। गर्म मौसम में अच्छी कंपोस्ट तैयार होने के लिए चार से पांच माह का समय लगता है, जबकि ठंडे मौसम में अधिक समय लग सकता है। डा आदर्श बताते हैं कि खतरनाक गाजर घास की कमी ही पर्यावरण को सुरक्षित रख सकती है। गाजर घास से जैविक खाद बनाकर पर्यावरण की सुरक्षा की जा सकती है। किसान इसके जरिए अपनी आय भी बढ़ा सकते हैं। इससे बनी कंपोस्ट में मुख्य पोषक तत्वों की मात्रा गोबर खाद से दोगुनी तथा केंचुआ खाद के बराबर होती है। गाजर घास के उपयोग से कंपोस्ट का निर्माण जैविक खेती का एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। अक्सर कृषकों के बीच पार्थेनियम घास से कंपोस्ट निर्माण पर प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केंद्र बलियापुर में होता रहता है। किसानों को इसके प्रति जागरूक भी किया जाता है।