Jharkhand Naxalite News: पारसनाथ से हुए बेदखल तो सारंडा के जंगलों का पकड़ा रास्ता,
भाकपा माओवादी संगठन के स्थापना दिवस पर पिछले वर्ष 21 से 27 सितंबर तक सारंडा के जंगल में सारंडा सब जोनल कमेटी ने कार्यक्रम किए। सभा की। इसमें कई महिलाओं ने भी हिस्सा लिया था। सामूहिक नृत्य हुआ था। इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में डाला गया था।
गिरिडीह [ दिलीप सिन्हा ]। पारसनाथ को प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी का एक समय मुख्यालय माना जाता था। यहां के नक्सली कैडर पूरे देश में छाए थे। चौतरफा प्रशासनिक घेराबंदी से उनकी पारसनाथ पर पकड़ कमजोर होती गई। युवाओं ने नक्सलवाद से तौबा कर ली। इसका नतीजा यह हुआ कि नक्सलवाद की उर्वरक जमीन पारसनाथ नक्सलियों के लिए बंजर हो गई। अपने घर से बेदखल होने की स्थिति देख पारसनाथ के बड़े नक्सली कमांडरों ने सारंडा के जंगलों को ठिकाना बनाया है।
नक्सलवाद की जमीन मजबूत करने की कोशिश
नक्सली सारंडा के जंगलों से झारखंड-बंगाल-उड़ीसा में नक्सलवाद की जमीन मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। इनमें भाकपा माओवादी के दोनों पोलित ब्यूरो के सदस्य व एक-एक करोड़ रुपये के इनामी प्रशांत बोस, मिसिर बेसरा तथा केंद्रीय कमेटी के सदस्य एक-एक करोड़ के इनामी प्रयाग मांझी व पतिराम मांझी उर्फ अनल दा हैं। इनके अलावा हार्डकोर नक्सली स्पेशल एरिया कमेटी के 25 लाख रुपये का इनामी अजय महतो भी सारंडा में ही डेरा जमाए है। इन कमांडरों ने सारंडा के जंगल एवं पहाड़ों की तलहटी में रहने वाले आदिवासियों को बरगलाया है।
संगठन के स्थापना दिवस पर की सभा
भाकपा माओवादी संगठन के स्थापना दिवस पर पिछले वर्ष 21 से 27 सितंबर तक सारंडा के जंगल में सारंडा सब जोनल कमेटी ने कार्यक्रम किए। सभा की। इसमें कई महिलाओं ने भी हिस्सा लिया था। सामूहिक नृत्य हुआ था। इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में डाला गया था। सभा को प्रमुख रूप से अजय महतो ने संबोधित किया था। सुरक्षित क्षेत्र पारसनाथ में जमीन खिसकती देख माओवादियों ने रणनीति बदली है। सभी बड़े कमांडरों को पारसनाथ से हटाकर सारंडा भेजा गया है। सेकेंड लाइन के कमांडर 15 लाख के इनामी कृष्णा हांसदा के जिम्मे पारसनाथ छोड़ दिया गया है। सरकार जिस तरह से पारसनाथ पहाड़ एवं उसकी तलहटी के गांवों में सीआरपीएफ कैंप बना रही है, उससे नक्सलियों के होश उड़ गए हैं। उनको समझ में आ गया है कि पारसनाथ में दस्ते का निकलना मुश्किल होगा।
देशसेवा में जुटा है मिसिर का भतीजा, कई और भी
इलाके के आदिवासियों में भी नक्सलवाद के प्रति झुकाव नहीं रहा। दूसरों की बात छोडि़ए, खुद एक करोड़ के इनामी मिसिर बेसरा का भतीजा सुशील कुमार सीआरपीएफ में शामिल होकर नक्सलियों से लोहा लेकर देशसेवा कर रहा है। आलम ये है कि अति नक्सल प्रभावित रहे पालगंज , मदनाडीह समेत एक दर्जन गांवों से दो दर्जन से अधिक युवक सुरक्षा बलों में भर्ती होकर देशसेवा कर रहे है। यहां के कई ग्रामीणों ने बताया कि पारसनाथ में अब नक्सलियों को नए कैडर नहीं मिल रहे हैं। उनकी एरिया कमेटी यहां काम नहीं कर रही है। सब जोनल कमेटी ही पारसनाथ में काम कर रही है।
पारसनाथ पहाड़ पर नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन जारी है। उनकी जमीन यहां कमजोर हुई है।
-गुलशन तिर्की, एएसपी ऑपरेशन, गिरिडीह