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Abul Kalam Azad Death Anniversary: शिक्षा के क्षेत्र में देश नहीं भुला सकता योगदान, ट्विटर पर याद कर रहे झारखंड के नेता

Abul Kalam Azad Death Anniversary 2021 माैलाना अबुल कलाम आजाद की पुण्यतिथि पर झरिया की कांग्रेस विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी। झारखंड के परिवहन मंत्री चंपई सोरेन ने भी माैलाना अबुल कलाम आजाद को ट्वीट के जरिए याद किया।

By MritunjayEdited By: Published: Mon, 22 Feb 2021 04:42 PM (IST)Updated: Mon, 22 Feb 2021 04:49 PM (IST)
Abul Kalam Azad Death Anniversary: शिक्षा के क्षेत्र में देश नहीं भुला सकता योगदान, ट्विटर पर याद कर रहे झारखंड के नेता
देश के पहले शिक्षा मंत्री माैलाना अबुल कलाम आजाद ( फाइल फोटो)।

धनबाद, जेएनएन। देश के पहले शिक्षा मंत्री माैलाना अबुल कलाम आजाद की आज ( 22 फरवरी) को पुण्य तिथि है। वह वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद, पत्रकार और लेखक थे। मौलाना आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का सऊदी अरब में हुआ था। उनका असल नाम अब्दुल कलाम गुलाम मोहिउद्दीन अहमद था। लेकिन वह मौलाना आजाद के नाम से मशहूर हुए। उनके जन्मदिन को भारत में नेशनल एजुकेशन डे यानी राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के तौर पर मनाया जाता है।  22 फरवरी, 1958 को हृदयाघात से मौलाना अबुल कलाम आजाद का निधन हो गया। झारखंड के विधायक-मंत्री आजाद को पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

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माैलाना अबुल कलाम आजाद का इतिहास में झारखंड से एक नाता रहा है। वह यह कि 1912 में आजाद ने कोलकाता से अल-हिलाल नाम की एक पत्रिका निकालनी शुरू की। यह पत्रिका अपने क्रांतिकारी लेखों की वजह से काफी चर्चाओं में रही। ब्रिटिश सरकार ने दो साल के भीतर ही इस पत्रिका को बंद करवा दिया। इसके बाद 1916 में रांची में नजरबंद कर दिया गया। कलाम की पुण्य तिथि पर झारखंड के नेता भी उन्हें याद कर रहे हैं।

इमाम हुसैन के वंश के थे माैलाना अबुल कलाम आजाद

माैलाना अबुल कलाम आजाद की पुण्यतिथि पर सोमवार को झरिया की विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी। झारखंड के परिवहन मंत्री चंपई सोरेन ने भी माैलाना अबुल कलाम आजाद का ट्वीट के जरिए याद किया। झामुमो महासचिव सीता सोरेन ने भी टिट्वर के जरिए आजाद को श्रद्धांजलि दी। कहा जाता है कि माैलाना इमाम हुसैन के वंश से थे। साल 1890 में उनका परिवार मक्का से कोलकाता शिफ्ट हो गया था। आजादी के बाद मौलाना अबुल आजाद को कैबिनेट स्तर के पहले शिक्षा मंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ। उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की और अनेक उपलब्धियां भी हासिल की।

आइआइटी, आइआइएम और यूजीसी जैसे संस्थानों की स्थापना में उल्लेखनीय भूमिका

माैलाना अबुल कलाम आजाद ने ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की स्थापना की थी। मौलाना आजाद 35 साल की उम्र में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सबसे नौजवान अध्यक्ष बने थे। उनके जन्मदिन को भारत में नेशनल एजुकेशन डे यानी राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 22 फरवरी 1958 को हृदयाघात से मौलाना अबुल कलाम आजाद का निधन हो गया। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया। उन्होंने आइआइटी, आइआइएम और यूजीसी जैसे संस्थानों की स्थापना में उल्लेखनीय भूमिका निभाई। उनके योगदान को देखते हुए मरणोपरांत 1993 में उन को भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 


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