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Water Scarcity in Dhanbad: विभाग व उपभोक्ताओं की कारगुजारी से बंदी पड़ी ढाई करोड़ की पंचेत जलापूर्ति योजना

पंचेत जलापूर्ति योजना का दुर्दिन एक दशक बाद भी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। वर्ष 2007 में करीब ढाई करोड़ की लागत से बनी एक लाख गैलन क्षमता वाली पंचेत जलापूर्ति योजना लगतार किसी न किसी कारण से बंद रहती है।

By Atul SinghEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 10:35 AM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 11:32 AM (IST)
Water Scarcity in Dhanbad: विभाग व उपभोक्ताओं की कारगुजारी से बंदी पड़ी ढाई करोड़ की पंचेत जलापूर्ति योजना
पंचेत जलापूर्ति योजना का दुर्दिन एक दशक बाद भी खत्म होने

जेएनएन, धनबाद: पंचेत  जलापूर्ति योजना  का दुर्दिन एक दशक बाद भी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।  वर्ष 2007 में करीब ढाई करोड़ की लागत से बनी एक लाख गैलन क्षमता वाली पंचेत जलापूर्ति योजना लगतार किसी न किसी कारण से बंद रहती है।   छह माह से लगतार जलापूर्ति बंद है। यह योजना वर्ष 2007 में वर्तमान विधायक अपर्णा सेनगुप्ता के कार्यकाल में तैयार हुई थी।  संचालन उपभोक्ता समिति  द्वारा किया जाना था। लेकिन उपभोक्ताओं द्वारा शुल्क नहीं देने के कारण इसकी दशा खराब हो गई । इधर पेयजल विभाग ने ट्रांसफार्मर, समरसेबुल, केबल एवं मोटर मरम्मत के लिए करीब पांच लाख खर्च छह माह पूर्व किया। लेकिन प्लांट चालू होने के साथ ही मोटर में खराबी के चलते बंद भी हो गया। वहीं बिजली मद में भी आठ लाख बिजली विभाग का बकाया है।

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प्रधान सचिव ने मुखिया को दिया खर्च का आदेश

राज्य की तत्कालीन प्रधान  सचिव अनुराधा पटनायक ने वर्ष 2018 में ही पंचायतों को लघु व जलापूर्ति योजना में खराबी की मरम्मत 14 वित्त  आयोग की राशि से खर्च करने का आदेश जारी किया था। लेकिन  लाभुक क्षेत्र में पड़ने वाले मुखियाओं ने डीसी के पत्र मिलने के आश में खर्च नहीं किया।  एक मुखिया का कहना था कि डीसी का पत्र नहीं मिलने के कारण सोशल ऑडिट में जबाब देना मुश्किल होता है।

सहायक अभियंता रतन खलको का कहना है कि संवेदक द्वारा कार्य किया गया था। लेकिन अभी तक भुगतान लंबित है।  इंटेकवेल नही होने के कारण समरसेबुल पंप खराब होता है। डीवीसी से  इंटेकवेल के लिए स्वीकृति नहीं मिली है।

विभाग व उपभोक्ता के चक्कर में फंसा  कलीम

विभाग एवं मुखिया के चक्कर में ग्राम पेयजल स्वछता समिति के संचालनकर्ता  मो कलीमद्दीन एवं काली पदों राय पिछले एक दशक से फ़ंस कर रह गए है। मो कलाम को मजदूरी नहीं मिलने के कारण वो लगतार प्लांट की चाबी पीएचईडी विभाग व मुखियाओं को देना चाहता है। लेकिन कोई लेने को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि पंप चलाने के साथ सुरक्षा का भी जिम्मा पिछले एक दशक से है।लेकिन कोई मजदूरी नहीं मिलने के कारण प्लांट के नजदीक ही पकौड़े की दुकान खोल कर प्लांट को भी देखभाल कर रहा हूँ।  विधायक अपर्णा सेनगुप्ता का कहना कि  निर्माण काल से प्लांट हमेशा बंद रहता है। विभाग को अपने अधीन करे,  इसके लिए प्रयास जारी है।


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