Chhath Puja 2020 Arghya: उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ महापर्व संपन्न, ऐसे हुई धनबाद के प्रमुख घाटों पर सूर्योपासना
Dhanbad Sunrise Timing Chhath Puja Arghya Time भगवान भास्कर का धनबाद में शनिवार सुबह 0603 बजे उदय हुआ। इसके बाद घाटों पर अर्घ्य देने का सिलसिला शुरू हुआ। अर्घ्य के बाद श्रद्धालु अपने-अपने घरों को लाैट गए। इसी के साथ छठ महापर्व संपन्न हो गया।
धनबाद, जेएनएन। Chhath Puja 2020 Arghya लोक आस्था का महापर्व छठ संपन्न हो गया। चार दिवसीय छठ महापर्व के अंतिम दिन शनिवार सुबह धनबाद के घाटों पर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया गया। इसी के साथ छठ महापर्व संपन्न हो गया। विधि-विधान से सूर्योपासना और अर्घ्य के बाद व्रतियां और श्रद्धालु अपने-अपने घरों की ओर लाैट गए। लोक आस्था का महापर्व छठ का शुभारंभ 18 नवंबर को नहाय खाय के के साथ शुरू हुआ था। इसके अगले दिन 19 नवंबर को खरना का व्रत था। खरना की पूजा के बाद 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत शुरू हुआ। 20 नवंबर की शाम छठ घाटों पर व्रतियों ने डूबते हुए सूरज को अर्घ दिया। शनिवार सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महापर्व संपन्न हो जाएगा। शनिवार तड़के 3:00 बजे से ही व्रतियांं और श्रद्धालु घाटों पर पहुंच सूर्य देवता और छठी माई की उपासना शुरू की। इसके बाद सूर्य देवता का इंतजार शुरू हुआ। सूर्योंदय का समय सुबह 6:03 था। सूर्योदय के बाद अर्घ्य का सिलसिला चल पड़ा। आइए, शनिवार को धनबाद के प्रमुख घाटों पर सूर्योपासना का आंखों देखा हाल जानते हैं-
- स्थान : मंडल तालाब धैया
शुक्रवार को सर्वार्थ सिद्धि योग में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद अब बारी उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने की थी। एक दिन पहले हुई बरसात ने तापमान अचानक से नीचे गिरा दिया। ठंड के बावजूद आस्था में कमी नहीं दिखी। अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के समय जितनी भीड़ यहां उमड़ी थी, उतने ही श्रद्धालु उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने को आतुर दिखे। बादल होने की वजह से व्रतियों को थोड़ी निराशा भी हुई। चारों तरफ जगमग रोशनी तो थी लेकिन सूर्य देवता बादल की ओट में छिपे रहे। श्रद्धालुओं का कारवां सुबह चार बजे से ही यहां पहुंचने लगा था। सबकी जगह पहले से ही तय थी, इसलिए सब अपनी-अपनी जगह पहुंचकर सूर्य देवता के उदय होने का इंतजार करने में जुट गए। छठ व्रतियां हाथ जोड़ें पानी में खड़ी रहीं। उनके अगल-बगल परिवार के सदस्य भी साथ देते हुए दिखे। उदीयमान सूर्य के निर्धारित समय 6:10 से श्रद्धालुओं ने पूजा करनी शुरू कर दी। चारों तरफ से आवाज गूंजने लगी सूर्य देवता के निकलने का समय हो गया है, सब पूजा शुरू कीजिए। सबके चेहरे एक साथ खिल उठे। छठ व्रतियां हाथ में सूप लिए पूजा में तल्लीन हो गईं। अगल-बगल खड़े परिवार के सदस्य लोटे में जल भरकर बादल में छिपे सूर्य देवता को अर्घ्य देने लगे। जो पानी के अंदर नहीं पहुंच सके, वो सभी एक के पीछे एक कतार में खड़े हो गए। एक दूसरे को स्पर्श कर अर्घ्य देने की प्रक्रिया पूरी की। कोई पानी से तो कोई दूध से अर्घ्य देते दिखा। अपना और परिवार के अन्य सदस्यों का सूप चढ़ाने के बाद सुहागिनों ने एक दूसरे की मांग भरी और परिवार के सभी सदस्यों की खुशहाली और स्वास्थ्य की कामना की। इस दौरान छठ व्रतियों ने सुहागिनों को सिंदूर लगाने के साथ ही उनके खोईचा में ठेकुआ और फल का प्रसाद डाला। इस अवसर पर पटाखे भी खूब फूटे। माइक से मंडल तालाब छठ पूजा समिति लोगों को हिदायत देती रही कि शारीरिक दूरी बनाए रखें और दूर से अर्घ्य दें।
पिछली बार से इस बार भीड़ रही कम
कोविड-19 संक्रमण और राज्य सरकार की गाइडलाइन का असर छठ तालाब पर देखने को जरूर मिला। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार भीड़ कम थी। इस तालाब पर पिछली बार तीन हजार से अधिक लोग जुटे थे। इस बार यह संख्या बमुश्किल ही 1500 पहुंची होगी। लोगों ने शारीरिक दूरी तो जरूर बनाई, लेकिन मानक के अनुरूप नहीं। अर्घ्य देने के समय दूरी का पालन नहीं हो सका। 90 फीसद लोगों ने मास्क कभी नहीं लगा रखा था। सभी का यही कहना था कि छठी मैया है ना कुछ नहीं होगा और वैसे भी सब तो घर के लोग ही हैं बाहर का कोई नहीं है।
85 वर्षीय सरस्वती देवी ने हर छठ व्रती को दिया आशीर्वाद
हाउसिंग कॉलोनी का छठ तालाब काफी प्रसिद्ध है और यहां पिछले कई दशक से छठ पूजा होती है आ रही है। हर साल इसमें साफ सफाई करने के बाद में पानी भरा जाता है। इस बार भी ऐसा ही किया गया। पिछले वर्ष की तुलना में यहां भी इस वर्ष भीड़ लगभग आधी ही कह सकते हैं। इसी वजह से तालाब में शारीरिक दूरी का पूरा पालन हुआ है। काफी दूर-दूर लोगों ने अपनी जगह रिजर्व कर रखी थी। यहां की एक खास बात यह रही कि 50 वर्षीय सरस्वती देवी ने लगभग हर छठ व्रती को आशीर्वाद दिया। उन्होंने शुरुआत कालिंदी पाठक और उनके परिवार से की। उन्हें सिंदूर लगाने के बाद अन्य छठ व्रतियों को भी आशीर्वाद देना शुरू किया। जो सरस्वती दादी को देखता प्रणाम करने के लिए पैर पकड़ लेता। दादी ने भी किसी को निराश नहीं किया और सबको ढेरों शुभकामनाएं दीं। दादी शुक्रवार को शाम के अर्घ्य के समय भी यहां पहुंची थी और सुबह भी अपनी उम्र की परवाह किए बिना पांच बजे ही घाट पर पहुंच गई थी।
- स्थान-खोखन तालाब
सुबह 5:30 बजे तक जेसी मल्लिक रोड स्थित खोकन तालाब व तेली तालाब छठ व्रतियों से गुलजार हैं। छठ घाट पर दीये जगमगा रहे हैं। रह-रह कर इक्का-दुक्का आतिशबाजी भी हो रही है। व्रतिया पानी में उतर चुकी हैं। सूर्य देव का इंतजार हो रहा है। 6:05 बजे सूर्योदय होने वाला है। धीरे-धीरे उजाला हो रहा है। लोग इंतजार में बेहाल हो रहे हैं। 6:05 बजे भी सूर्योदय नहीं हुआ है। हालांकि उजाला फैल चुका है। और सूर्योदय हुआ मानकर व्रती अर्घ्य देने लगे हैं। इस बीच खोकन तालाब छठ पूजा समिति की ओर से व्रतियों को लेकर लगातार दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं। उनके बीच कहीं दूध, पानी की बोतल, चाय का निशुल्क वितरण भी शुरू हो चुका है। आसमान में बादल छाए होने की वजह से सूर्योदय नहीं हो सका। व्रतियों को समय के अनुसार ही अर्घ्य देना पड़ा। तकरीबन 7:00 बजे तक सूर्योदय नहीं होने से लोगों में कुछ निराशा भी देखी गई।
चारों तरफ अट्टालिका से घिरे होने की वजह से तालाब के किनारे जगह कम थी। लेकिन पुलिस, प्रशासन की अच्छी व्यवस्था की गई थी। दंडाधिकारी भी नियुक्त थे। पुलिस सड़क पर वाहन लगाने वाले व मजमा लगाने वालों को टोक रहे थे। इक्का-दुक्का पटाखे चलाने वाले बेरोकटोक पटाखे चला रहे थे और पर्व का आनंद ले रहे थे। इस समय तक कई लोग पूजा संपन्न कर लौटने भी लगे। कोरोना की वजह से छठ पूजा पर भी असर साफ दिख रहा है। तालाब का आधा ही घाट भरा है। तेली तालाब में तो और भी कम भीड़ उमड़ी है। हालांकि इसकी वजह कम समय के कारण एक तरफ की गाद की सफाई नहीं होना भी है। पूजा समिति ने फीता से बैरिकेडिंग कर उधर पूजा करने पर रोक लगा दी। यही स्थिति खोकन तालाब की भी रही। यहां भी दो तरफ से घाट पर बैन लगा हुआ था। जबकि दो तरफ श्रद्धालुओं की भीड़ थी। पूजा समिति के अध्यक्ष व पार्षद प्रियरंजन के मुताबिक व्रती तो उतने ही जुटे जितने पिछली बात थी लेकिन भीड़ काफी कम है। आतिशबाजी भी पिछले वर्षों की तुलना में ना के बराबर ही हो रही है। यह दिवाली के दौरान ही लगाए गए पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध का असर है।
हालांकि पूजा समिति द्वारा सभी व्यवस्था निशुल्क की गई है। परंतु घाट की साफ-सफाई व व्यवस्था में खर्च तो हुआ ही है। लिहाजा बिना मांगे समिति को काफी मात्रा में लोग चंदा भी दे रहे थे। इस दौरान मोहम्मद मुर्तजा ने 101 व मोहम्मद अख्तर ने ₹51 का चंदा दिया। इसकी चर्चा भी हुई। उनका विशेष आभार प्रकट किया गया। छठ घाट के किनारे दर्जनों की संख्या में कतार बद्ध भिक्षुक आसन जमाए बैठे थे। हालांकि उन्हें इस पूजा में नगद नारायण की जगह छठ पूजा के प्रसाद की दरकार थी। और उन्हें वह मिल भी रहा था। उनके कटोरे ठाकुए व फलों से भर गए थे। छठ पूजा समिति के लोगों को भी पूजा के प्रसाद बांटते हुए व्रती व उनके परिजन घर को जा रहे थे।