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DMC: 'मिस्टर इंडिया' बने राजकुमार को नहीं ढूंढ पा रहा निगम, 200 करोड़ के इंटीग्रेटेड सड़क निर्माण में घोटाले का किया था खुलासा

धनबाद नगर निगम में सड़क बनाने के नाम पर करीब 200 करोड़ का घोटाला हुआ। इसकी शिकायत करने वाले राजकुमार की तलाश में निगम जुटा है। महीने में दो से तीन बार निगम कर्मी पंडित क्लीनिक रोड का चक्कर लगा ले रहे हैं।

By Sagar SinghEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 01:42 PM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 01:42 PM (IST)
DMC: 'मिस्टर इंडिया' बने राजकुमार को नहीं ढूंढ पा रहा निगम, 200 करोड़ के इंटीग्रेटेड सड़क निर्माण में घोटाले का किया था खुलासा
धनबाद नगर निगम में सड़क बनाने के नाम पर करीब 200 करोड़ का घोटाला हुआ।

धनबाद, जेएनएन। नगर निगम में सड़क बनाने के नाम पर करीब 200 करोड़ का घोटाला हुआ। एसीबी ने पीई (प्रिलिमनरी इंक्वायरी) दर्ज कर ली है। एसीबी तो इसकी जांच कर रही है। नगर विकास विभाग की टीम भी इसमें लगी हुई है। इस वर्ष तीन बार टीम इसकी जांच करने आ चुकी है। नीचे के कर्मियों से लेकर उपर के अधिकारियों की भी भूमिका तलाशी जा रही है। यहां यक्ष प्रश्न यह है कि इस घोटाले की पोल खोलने वाला ही मिस्टर इंडिया बन बैठा है। नगर विकास विभाग को चिट्ठी भेजकर शिकायत करने वाला ही अभी तक लापता है।

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जनवरी महीने में पंडित क्लीनिक रोड के राजकुमार ने एफिडेविट कर नगर विकास विभाग को निगम की योजनाओं में गड़बड़ी की शिकायत की। यहीं से बात आगे बढ़ी। मार्च महीने में शिकायत पर विभाग की तरफ से पांच लोगों की जांच टीम बनी। टीम नगर विकास विभाग के एडिशनल सेक्रेटरी एके रतन की अगुवाई में धनबाद पहुंची। टीम में चीफ इंजीनियर एके वासुदेव, नगर विकास विभाग के कार्यपालक अभियंता अरुण कुमार सिंह, आरसीडी के कार्यपालक अभियंता अमरेंद्र कुमार साहा शामिल थे।

सबसे पहले टीम शिकायत करनेवाले के पते पर पहुंची, लेकिन वहां उस नाम का कोई भी व्यक्ति नहीं मिला। इसके बाद टीम ने अपनी जांच शुरू की। टीम ने 14वें वित्त आयोग से बनी 45 सड़कों की जांच की। जांच में पाया गया कि 14वें वित्त आयोग योजना से बनी 40 सड़कों में से 27 सड़कों का प्राक्कलन नगर निगम के ही तकनीकी पदधिकारियों ने ही बनाया था। डीपीआर बनाने के एवज में अधिकारियों ने कोई परामर्शी शुल्क नहीं लिया, लेकिन 13 सड़कों के साथ नाली, एलईडी लाइट, पेवर ब्लॉक आदि का प्रावधान होने की वजह से परामर्शी एजेंसी मास एंड व्यॉस से इसकी डीपीआर और डिजाइन परामर्श शुल्क देकर तैयार कराया।

इन 13 सड़कों की कुल प्राक्कलित राशि 156.33 करोड़ रुपये थी, लेकिन इन सड़कों की डीपीआर के अवलोकन से पता चला कि किसी भी डीपीआर में डिजाइन संलग्न नहीं है और तकनीकी प्रतिवेदन भी नहीं है। साथ ही सड़क निर्माण में ओवर एस्टीमेट बना कर ठेकेदार को फायदा पहुंचाया गया। डीपीआर बनानेवाली कंपनी मॉस एंड व्यॉस को नगर निगम ने अधिक भुगतान किया। पाया गया कि दो साल पहले बनी सड़क को निगम ने फिर से तोड़ कर बनवाया। वार्ड तीन, नौ, 17, 26, 27, 31, 32, 39 समेत अन्य वार्डों में सड़क निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत विभाग के पास पहुंची थी।

इस मामले में हालिया अपडेट यह है कि नगर निगम ने तमाम दस्तावेज एसीबी और नगर विकास विभाग को उपलब्ध करा दिया है। सबसे अहम यह है कि निगम अभी भी शिकायत करने वाले राजकुमार की तलाश कर रहा है। महीने में दो से तीन बार निगम कर्मी पंडित क्लीनिक रोड का चक्कर लगा ले रहे हैं।


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