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Jharia Master Plan: आग्नि प्रभावित इलाके के रैयतों को बाजार दर पर मिलेगा जमीन का मुआवजा, जेआरडीए ने तैयार किया प्रस्ताव

Jharia Master Plan 16 सितंबर को झरिया पुनर्वास नीति को लेकर बनी हाई पावर कमेटी की बैठक वीडियो संवाद के जरिए होगी। भारत सरकार के अंडर सेक्रेटरी एच सिंह ने पत्र भी जारी कर दिया है।

By MritunjayEdited By: Published: Sat, 12 Sep 2020 10:12 PM (IST)Updated: Sat, 12 Sep 2020 10:12 PM (IST)
Jharia Master Plan: आग्नि प्रभावित इलाके के रैयतों को बाजार दर पर मिलेगा जमीन का मुआवजा, जेआरडीए ने तैयार किया प्रस्ताव
Jharia Master Plan: आग्नि प्रभावित इलाके के रैयतों को बाजार दर पर मिलेगा जमीन का मुआवजा, जेआरडीए ने तैयार किया प्रस्ताव

धनबाद, जेएनएन। आग प्रभावित झरिया के करीब 32 हजार रैयतों को उनकी जमीन व घर का मुआवजा बाजार मूल्य के तहत भुगतान होगा। इससे संबंधित प्रस्ताव तैयार है। रैयतों के लिए अब तक  झरिया पुनर्वास योजना में मुआवजा का स्पष्ट प्रावधान न होने से वे जमीन छोडऩे को तैयार नहीं हैं। इसके बाद जेआरडीए ने प्रस्ताव तैयार किया है। न्यूनतम दस लाख मुआवजा राशि तय हुई है, अधिकतम रैयत की संपत्ति के आधार पर तय होगी।

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16 सितंबर को एचपीसीसी की बैठक

16 सितंबर को झरिया पुनर्वास नीति को लेकर बनी हाई पावर कमेटी की बैठक वीडियो संवाद के जरिए होगी। भारत सरकार के अंडर सेक्रेटरी एच सिंह ने पत्र भी जारी कर दिया है। बीसीसीएल के तत्कालीन सीएमडी पीएम प्रसाद ने अपने कार्यकाल के दौरान ही रैयतों  से संबंधित यह प्रस्ताव तैयार कर भेज दिया था।

शिफ्टिंग की राशि में होगी बढ़त

झरिया पुनर्वास योजना के तहत आग के बीच रह रहे लोगों को शिफ्ट होने पर 10 हजार की राशि शिङ्क्षफ्टग मद में दी जाती थी। अब इस राशि को 16 हजार तक करने का प्रस्ताव भी दिया गया है। इसे मंजूरी मिल जाती है तो तत्काल लागू किया जा सकेगा। इसके अलावा बीसीसीएल के आठ हजार नए आवास को जेआरडीए को देने की तैयारी है।  निर्णय लिया है। इस पर भी हाई पावर कमेटी की बैठक में विचार होगा। इधर  जानकारों का कहना है कि इस पुनर्वास योजना में एक लाख परिवार प्रभावित हो रहे हैं। पुनर्वास के लिए दस साल पहले तैयार मास्टर प्लान के तहत भारत सरकार ने अग्नि प्रभावित क्षेत्र के लोगों को नई जगह पर बसाने की अवधि 2021 निर्धारित की है। बावजूद योजना की रफ्तार कछुआ चाल की तरह है।

लोगोंं का जीवन बचाना सबसे जरूरी : सीएमडी
बीसीसीएल सीएमडी गोपाल सिहं का कहना है कि झरिया से बीसीसीएल व धनबाद दोनों का अस्तित्व है। कोयला देश की जरूरत है। इसे पूरा करने के लिए झरिया के लोगों के साथ सामंजस्य बनाकर हल निकालना होगा। कोयला  उत्पादन व डिस्पैच जरूरी है। परियोजना विकसित करने के लिए नई खदान की जरूरत है। आग के बीच रह रहे लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थान पर बसाया जाएगा ताकि उनके जीवन पर कोई खतरा न हो।

      प्रस्तावित प्रस्ताव एक नजर में

  • जमीन व घर का मूल्य बाजार दर के हिसाब से मिलेगा।
  • अगर घर के बदले घर लेना चाहें तो जेआरडीए 50 स्क्वायर मीटर में घर बनाकर देगा।
  • जमीन व घर नहीं लेने की स्थिति में सौ फीसद बाजार दर से भुगतान मिलेगा।

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