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World Tribal Day 2020: बाबा बासुकीनाथ की धरती पर अनोखी परंपरा, राधा कृष्ण के जरिए सरना और सनातन का मिलन

World Tribal Day 2020 शिवनगरी बाबा बासुकीनाथ के आसपास आदिवासी बहुल गांव हैं। रास मेला में आदिवासी समुदाय के लोग राधा कृष्ण के साथ गोपियों की प्रतिमा भी स्थापित करते हैं।

By MritunjayEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 11:19 AM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 11:19 AM (IST)
World Tribal Day 2020: बाबा बासुकीनाथ की धरती पर अनोखी परंपरा, राधा कृष्ण के जरिए सरना और सनातन का मिलन
World Tribal Day 2020: बाबा बासुकीनाथ की धरती पर अनोखी परंपरा, राधा कृष्ण के जरिए सरना और सनातन का मिलन

बासुकीनाथ [ रुपेश झा लाली ]।World Tribal Day 2020 संथाल परगना में प्राचीन काल से राधा कृष्ण सरना और सनातन धर्म मानने वालों का मिलन करा रहे हैं। आदिवासियों की बड़ी आबादी ऐसी है जो अपना धर्म सरना बताती है। हिंदू कहने वाले सनातनी हैं। सनातनी भी राधा कृष्ण की पूजा करते हैं और सरना को मानने वाले भी। जरमुंडी से जामा तक धनकटनी के बाद हरेक साल खास कर आदिवासी समुदाय के लोग रास मेला का आयोजन करते हैं। कई जगहों पर सरना एवं सनातन धर्म को मानने वाले मिल कर रास मेला आयोजित करते हैं। इस परंपरा को मानने वाले आदिवासी खुद राधा कृष्ण की प्रतिमा तैयार करते हैं। रास मेला में प्रतिमा की स्थापना की जाती है, पूजा पाठ होता है, फिर भगवान को रिझाने के लिए लोग गीत गाते हैं, नृत्य किया जाता है। इसके बाद प्रतिमा का विसर्जन भी होता है। सारी पद्धति वही होती है जो सनातनी करते हैं। 

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शिवनगरी बाबा बासुकीनाथ के आसपास आदिवासी बहुल गांव हैं। रास मेला में आदिवासी समुदाय के लोग राधा कृष्ण के साथ गोपियों की प्रतिमा भी स्थापित करते हैं। ढोल एïवं मृदंग के साथ रात भर प्रतिमा के चारों तरफ लोग नाचते गाते हैं। बाबा पांडेश्वर नाथ से दो किमी दूर पांडेश्वर गुफा में अगहन पूर्णिमा पर विशाल रास मेला का आयोजन होता है। इस मेला में शिरकत करने के लिए आदिवासी समुदाय के लोग अपने रिश्तेदारों को आमंत्रित करते हैं। जरमुंडी के रहने वाले संतलाल सोरेन की उम्र 75 साल हो चुकी है। वे कहते हैं, यह सदियों पुरानी परंपरा है। शैव और वैष्णव मिल कर रास मेला का आयोजन कर रहे हैं। आगे भी यह चलता रहेगा। 

पांडेश्वर पहाड़ की गुफा में सैकड़ों सालों से राधा कृष्ण की प्रतिमा स्थापित कर रास मेला लगाया जा रहा है। प्रतिमा का विसर्जन भी होता है। इसमें शिव की भी पूजा होती है। 

 -बड़की मरांडी, मुखिया, जोंका पंचायत, जरमुंडी


पीढ़ी दर पीढ़ी रास मेला का आयोजन हो रहा है। होता रहेगा। इसमें भगवान शिव एवं हनुमान की भी पूजा होती है। आदिवासी समुदाय को यकीन है कि राधा कृष्ण के आशीर्वाद से खुशहाल रहेंगे। 

 -बलराम सोरेन, सामाजिक कार्यकर्ता, मुखिया, जरमुंडी


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