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Weekly News Roundup Dhanbad: डीएमसी पर चल रही साढ़े साती, जानें बिल कटाैती की अंदरूनी कहानी

राजनीति की भेंट चढ़ गई सूबे की पहली आठ लेन सड़क। पुरानी सरकार ने काम शुरू किया था। नई सरकार ने कोरोना संकट का हवाला देते हुए स्थगित कर दिया। आठ लेन सड़क अब वीरान है।

By MritunjayEdited By: Published: Tue, 30 Jun 2020 02:50 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2020 02:50 PM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: डीएमसी पर चल रही साढ़े साती, जानें बिल कटाैती की अंदरूनी कहानी
Weekly News Roundup Dhanbad: डीएमसी पर चल रही साढ़े साती, जानें बिल कटाैती की अंदरूनी कहानी

धनबाद [ आशीष सिंह ]। सफाई करने वाले विभाग की वाकई साढ़े साती चल रही है। भ्रष्टाचार का पुलिंदा है कि खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। काम नहीं बेकाम की चर्चा अधिक है। ताजा घटनाक्रम ने सभी को सकते में डाल दिया। शहर का कचरा साफ करती है रैमकी कंपनी। थोक भाव में गाडिय़ां और लेबर लगा रखा है। लॉकडाउन से पहले हर दिन 300 से 400 टन कचरा उठता रहा। इसी आधार पर हर महीने सवा करोड़ का बिल भी बनता गया। विभाग की बात मानें तो लॉकडाउन में कचरा 100 टन पर सिमट गया। बावजूद बिल पुराने कचरे पर ही जमा हो गया। फिर क्या था, साहब को मौका मिल गया। प्रस्ताव गया 30 फीसद कमीशन दीजिए, बिल पूरा लीजिए। बात बनी नहीं। साहब ने बिल ही कतर दिया। दस-बीस नहीं पूरे 62 फीसद की कटौती कर डाली। तर्क दिया कचरा कम तो बिल अधिक क्यों?

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बारिश में बहती सफाई

नगर निगम शहर को सुंदर दिखाता है। बदसूरत बनाने में भी इन्हीं की भूमिका होती है। साफ-सफाई के नाम पर करोड़ों का खजाना मिलता है। बरसात से पहले फावड़ा-कुदाल से नालियों की सफाई होती है। पर मानसून ने एक झटके में पूरी कवायद को बेपर्दा कर दिया। बारिश के साथ सफाई भी बह गई। छोटे-बड़े 56 नाले उफान पर हैं। बारिश की फुहारों ने नालों में भरी सारी गंदगी सड़क पर उड़ेल दिया। गंदा पानी सड़कों पर तालाब सरीखा हिलोरें मारता नजर आया। बेकारबांध के पास ग्रेवाल कॉलोनी में घुटनों तक पानी लग गया। गया पुल का निचला हिस्सा लबालब हो गया। लोग छपाक-छपाक गिरते भी नजर आए। दर्जनों मोहल्लों में जलभराव ने सफाई की चुगली कर दी। नालों पर अतिक्रमण से व्यवस्था ताश के पत्तों की तरह धराशायी हो गई। बरसात का उफान अभी जारी रहेगा। ऐसे में विभाग की कुंभकर्णी नींद घातक साबित होगी।

घुटने का दर्द

खटाल समझ रहे हैं - दूध की डेयरी। बाबूडीह काफी विकसित खटाल है। यहां एक मुच्छड़ चचा हैं। इधर, कुछ दिनों से ज्यादा ही चर्चा में हैं। कारण, घुटने का दर्द है। चचा एक दिन होम्योपैथिक डॉक्टर के चिकित्सालय में जा धमके। डॉक्टर साहब ने पूछा, कैसे आना हुआ चचा। बोले, घुटने में दर्द बा। डॉक्टर साहब ने सवालों की झड़ी लगा दी। ठंड में बढ़ता है या गर्मी। भूख लगती है। नींद आती है। किस घुटने में दर्द है, बाएं या दाएं। चचा जवाब देते हैं। भूख खूब लगती है, नींद भी ठीक है। दर्द आगे वाले बाएं में है। अब डाक्टर के चौंकाने की बारी। ये आगे पीछे क्या बता रहे हैं चचा। अरे बबुआ हम अपनी भैंसिया का इलाज करवाने आए हैं। डाक्टर साहब खिसिया जाते हैं। कुछ शरारती बच्चों ने चचा को बता दिया था डाक्टर साहब जानवरों का भी इलाज करते हैं। 

किसी दिन जान लेगा गड्ढा

राजनीति की भेंट चढ़ गई सूबे की पहली आठ लेन सड़क। पुरानी सरकार ने काम शुरू किया था। नई सरकार ने कोरोना संकट का हवाला देते हुए स्थगित कर दिया। आठ लेन सड़क अब वीरान है। मजदूर दिख रहे हैं न बड़ी-बड़ी मशीन। कुछ दिख रहा है तो सड़क के दोनों किनारे बड़े-बड़े गड्ढे। नाला निर्माण में प्रयोग किया जाने वाला सरिया। कहीं मिट्टी तो कहीं कंक्रीट बिछी 120 फीट चौड़ी अधूरी सड़क। कहीं-कहीं सड़क के दोनों किनारे चार से छह फीट नीची निर्माणाधीन सड़क। गाड़ी तो छोडि़ए जरा सा कदम लड़खड़ाने पर सीधे पांच फीट नीचे। हाथ-पैर फ्रैक्चर होने से कोई नहीं बचा सकता। मुख्य सड़क से एक फीट भी दाएं या बाएं गए तो समझिए सरिया सीधे आपके आर-पार। पुल बनाने के लिए इतने बड़े गड्ढे खोदे गए हैं कि गलती से चले गए तो बिना चार आदमी कोई निकाल भी न पाएगा। 


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