Lockdown: कोरोना काल में ऑनलाइन सज रहा कीर्तन दरबार, एप पर संगत ले रही आत्मिक शांति
ऑनलाइन सजने वाले विशेष आयोजन में धनबाद बोकारो के अलावा टाटा दिल्ली पुरी कोलकाता पंजाब आदि शहरों की संगत भी श्रद्धा भाव के साथ गुरु की भक्ति करने में समय निकालते हैं।
धनबाद, जेएनएन। कोरोना महामारी के दौर में जब सरकार के आदेश पर सभी धार्मिक स्थल बंद है। ऐसे समय में सिख संगत की आत्मिक शांति के लिए शुरू की गई विशेष पहल आज तक सुचारू चल रही है। इसमें हर रोज जूम एप पर गुरुद्वारा की तरह ही कीर्तन दरबार सजता है। पाठ होते हैं और अरदास में सरबत के भले और महामारी के नाश की विशेष अरदास होती है। दोनों बेला ऑनलाइन सजने वाले विशेष आयोजन में धनबाद, कतरास, गोमो, बोकारो के अलावा टाटा, दिल्ली, पुरी, कोलकाता, पंजाब आदि शहरों की संगत भी श्रद्धा भाव के साथ गुरु की भक्ति करने में समय निकालते हैं।
दो सौ अधिक संगत देती है दर्शन
ऑनलाइन कीर्तन दरबार में हर रोज करीब दो सौ की संख्या में संगत एक साथ गुरु के उपदेश श्रवण करती है। इनमें बच्चे और महिलाएं भी रहते हैं।
पंथ प्रसिद्ध कीर्तनिये भरते हैं हाजिरी
ऑनलाइन समागम में पंथ प्रसिद्ध कीर्तनिये व कथावाचक सुबह 11 से 12 व शाम को 4 से 5 बजे तक संगत को हाजिरी देते हैं। इनमें भाई राय सिंह जी हजूरी रागी श्री दरबार साहिब अमृतसर, भाई मनप्रीत सिंह जगाधरी वाले, भाई गुरचरण सिंह रसिया लुधियाना वाले, बीबी परमजीत कौर (पम्मा बहनजी), बीबी कौला जी अमृतसर वाले, भाई अमृतसर सिंह पटियाला वाले आदि शामिल हैं।
समागम बाद होता है धन्यवाद
गुरुद्वारा की तरह समागम बाद संगत का धन्यवाद किया जाता है। इसके साथ ही लॉकडाउन से अब तक पडऩे वाले शहीदी दिहाड़े, गुरु पर्व की जानकारी भी साझा की जाती है।
बाबा बंदा सिंह बहादुर संस्था करती है मानव सेवा
बाबा बंदा सिंह बहादुर सिख संप्रदाय संस्था मानव सेवा का कार्य कर रही है। उसी में मुख्य सेवादार के रूप में कार्य कर रहे तिलक जीत सिंह खुराना ने यह पहल शुरू की। 1978 से उनका लगाव झारखंड से रहा है। तिलक जीत सिंह खुराना की पत्नी सरोज कौर भी जूम एप पर अपनी सेवा देती हैं। वे भी बहुत मधुर कीर्तन करती है। पुरी में पहले पातशाह श्री गुरु नानक देव जी के सालाना समागम में भी वे संगत को कीर्तन से निहाल करती हैं।
महामारी काल में धार्मिक स्थल बंद हैं। तब उन्होंने सोचा कि एप से संगत को गुरु घर से जोड़ा जाए। उनका यह प्रयोग सफल रहा। रोजाना संगत गुरु घर की खुशियां प्राप्त कर रही हैं। संगत की चाह देखकर मन प्रसन्न होता है।
-तिलक जीत सिंह खुराना, राजगंज निवासी