Tablighi Jamaat: पुलिस के आरोप पत्र पर जेल में बंद इंडोनेशियाई नागरिकों के खिलाफ कोर्ट ने लिया संज्ञान, बढ़ी मुश्किलें
इंडोनेशियाई नागरिक व उनके महाराष्ट्र निवासी दो गाइड 19 अप्रैल से जेल में बंद है। जिनकी जमानत अर्जी निचली अदालत ने 13 मई को खारिज कर दी थी।
धनबाद, जेएनएन। लॉकडाउन में धर्म प्रचार करने और वीजा नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में जेल में बंद 10 इंडोनेशियाई नागरिकों और उनके गाइड के विरुद्ध कोर्ट का शिकंजा कस गया है। धनबाद के प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी रित्विका सिंह की अदालत ने पुलिस द्वारा सौंपे गए आरोप पत्र के आलोक में विदेशी जमातियों के विरुद्ध कई आरोपों में संज्ञान लिया है। इनमें टूरिच्म वीजा पर भारत आकर यहां बगैर अनुमति के धर्म प्रचार करने के साथ लॉकडाउन के नियम का पालन नहीं करने, जानकारी छुपाने, दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करने, लापरवाही पूर्वक संक्रमण फैलाने, क्वारंटाइन रहने के सरकारी आदेश की अवहेलना करने एवं महामारी अधिनियम शामिल हैं।
इंडोनेशियाई नागरिक व उनके महाराष्ट्र निवासी दो गाइड 19 अप्रैल से जेल में बंद है। जिनकी जमानत अर्जी निचली अदालत ने 13 मई को खारिज कर दी थी। जबकि गोविंदपुर मस्जिद के अध्यक्ष व सचिव अभी पुलिस की पकड़ से बाहर है।
यह है मामला
कोरोना के संक्रमण के दौर में धनबाद में इंडोनेशियाई नागरिकों ने धर्म प्रचार के सिलसिले में जगह-जगह कार्यक्रम किए। इन्होंने गोविंदपुर प्रखंड के आसनबनी मस्जिद में शरण ली थी। इसकी जानकारी मस्जिद के सदर गुलाम मुस्तफा और सचिव रंगडीह निवासी शौकत अंसारी ने स्थानीय गोविंदपुर थाना को नहीं दी थी। इंडोनेशियाई नागरिकों ने पुलिस को अपना कोई दस्तावेज भी नहीं दिखाया और लॉकडाउन के बावजूद जमात लगाकर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में प्रचार किया।
दारोगा से मारपीट मामले की सुनवाई
पूर्व डीआईजी शीतल उरांव, जैप टू के कमांडेंट संजय रंजन सिंह व पूर्व डीएसपी रामाशंकर सिंह से जुड़े मामले की सुनवाई प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में हुई। अदालत ने बहस पूरी करने का निर्देश देते हुए सुनवाई की अगली तारीख निर्धारित कर दी है। 24 मार्च 2008 को पीसीआर मे तैनात दारोगा गिरिजेश कुमार ने अदालत में धनबाद के तत्कालीन एसपी शीतल उरांव, डीएसपी संजय रंजन सिंह, थानेदार रामाशंकर सिंह, रीडर मुन्ना सिंह, ड्राइवर सुदामा सिंह के विरूद्ध अदालत में शिकायतवाद दर्ज कराया था। गिरिजेश ने आरोप लगाया था कि एसपी उरांव ने मैथन थाना प्रभारी बनाने का आश्वासन देकर उससे पांच लाख रूपया लिया था। काम नहीं होने पर जब गिरिजेश ने रुपया वापस मांगा तो 18 मार्च 2008 को एसपी आवास में बुलाकर उसे दो लाख रुपया लौटाया गया। और रुपया मांगने पर सभी आरोपितों ने उसके साथ मारपीट की तथा सर्विस रिवाल्वर छिन लिया।