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Weekly News Roundup Dhanbad: कोरोना कृपा... यह अवसर रेल अफसरों के लिए परिवार संग आनंद लेने का है

बहुत शान से कहते थे रौनक देखनी हो तो धनबाद स्टेशन आएं। राज्य में इकलौता शहर जिसका स्टेशन रोड 24 घंटे आबाद रहता है। पर अब इसे कोरोना की नजर लग गई है।

By MritunjayEdited By: Published: Fri, 27 Mar 2020 08:28 AM (IST)Updated: Fri, 27 Mar 2020 01:46 PM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: कोरोना कृपा... यह अवसर रेल अफसरों के लिए परिवार संग आनंद लेने का है
Weekly News Roundup Dhanbad: कोरोना कृपा... यह अवसर रेल अफसरों के लिए परिवार संग आनंद लेने का है

धनबाद [ तापस बनर्जी ]। लॉकडाउन में आवश्यक सेवा से जुड़े कर्मचारी परेशान हैं। ड्यूटी जाने के दौरान सड़क पर पुलिस से उलझना पड़ रहा तो कभी वापसी की सुविधा नहीं मिलने से जद्दोजहद करनी पड़ रही। पुलिस कभी-कभी डंडे भी बरसा दे रही है। पर अफसरों के लिए यह अवसर घर पर बैठ छुट्टियां मनाने का है। इसे कोरोना वैकेशन की तरह सेलिब्रेट कर रहे हैं। दिनभर घर पर फैमिली के साथ आराम फरमाने के बाद शाम होते-होते इनके सरकारी सीयूजी मोबाइल भी स्विच ऑफ हो जा रहे हैं। अब बुधवार को ही डीआरएम से शाम में कई बार बात करने की कोशिश की गई। बड़े साहब हैं भई, फोन नहीं उठाया। इसके बाद उनके नीचे वालों को कॉल किया गया। पर जिम्मेदार अधिकारियों के फ़ोन बंद मिले। यानी इमरजेंसी के इस दौर में पूरे दिन बंगले में राजसी ठाठ-बाठ से गुजारने के बाद भी इनकी आरामतलबी कम नहीं हो रही है।

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अब यहां छाई वीरानगी

बहुत शान से कहते थे, रौनक देखनी हो तो धनबाद स्टेशन आएं। राज्य में इकलौता शहर जिसका स्टेशन रोड 24 घंटे आबाद रहता है। पर अब इसे कोरोना की नजर लग गई है। कभी बंद नहीं वाला स्टेशन रोड का मार्केट पांच दिनों से मरघट सा बन गया है। धनबाद रेलवे स्टेशन यहां 1956 में शिफ्ट हुआ पर दुकान सौ साल से ज्यादा पुरानी हैं। बुजुर्ग दुकानदार पुराने दिनों को याद कर बताते हैं कि यह बाजार पहली बार 1975 में देश में आपातकाल के दौरान बंद हुआ था। फिर 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कफ्यरू के दौरान दुकानें बंद हुई थीं। 1992 में बाबरी मस्जिद के गिराए जाने के बाद भड़के दंगे और 2011 में मटकुरिया गोली कांड के बाद लगे कफ्यरू के दौरान बंद हुआ था। अब इतने साल बाद वायरस की वजह से बंद हुआ है।

प्रवक्ता की बोलती बंद

रेल से जुड़ी कोई भी सूचना चाहिए तो अफसर कहते हैं पीआरओ से बात कीजिए। पीआरओ को फोन मिलाओ तो कहते हैं-पता नहीं, रुकिए पूछते हैं। फिर उस अधिकारी से जानकारी जुटाकर कॉल बैक करते हैं। यानी कुल मिलाकर कुछ भी बोलना हो तो पीआरओ ही बोलेंगे। मगर अब उनकी बोलती बंद कर दी गई है। जब से कोरोना अटैक का खौफ बढ़ा। महकमे ने अपने प्रवक्ता से बोलने का अधिकार छीन लिया। इसके लिए पूर्व मध्य रेल के जीएम ने बाकायदा वीडियो कांफ्रेंसिंग कर आदेश भी जारी किया। बोले, मौजूदा परिस्थितियों में पीआरओ नहीं बोलेंगे। मीडिया से बात जीएम, डीआरएम और सीपीआरओ ही करेंगे। अब जिसका काम बोलना ही है, उनकी ही बोलती बंद कर दी है। पर कतरने से बोलने वाले अधिकारी थोड़े मायूस जरूर हैं।


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