Weekly News Roundup Dhanbad: यही लोग तो कोरोना फैला रहा है... ई लो पैसा, नाश्ता भी करो
पब्लिक यूटिलिटी सर्विस होने की वजह से कोयला उत्पादन जारी है। समूह में श्रमिक खदान में उतर रहे हैं और निकल रहे हैं। सावधानी के लिए केंद्रीय अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है।
धनबाद [ रोहित कर्ण ]। अपने आउटसोर्सिग टाइकून को तो पहचानते ही हैं। अभी सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें तगड़ा झटका दिया है, मगर चेहरे पर शिकन तक नहीं। मातमपुर्सी में वह भी पहुंचे। अधिकारियों के बीच भी आकर्षण का केंद्र बन गए। कारोबार में जितने माहिर बोलने में भी उतने ही मुखर। आधी हिंदी, आधी भोजपुरी। चर्चा कोरोना पर छिड़ी थी तो वे भी शुरू हो गए। हम त भाई गाड़िये में सब व्यवस्था रखे हैं। टीशू पेपर, सैनिटाइजर, मास्क सबकुछ है। कुछो पकड़े तो हाथ तुरत सैनिटाइज करते हैं। दो दिन पहले एक फाइव स्टार होटल में थे। नाश्ता करने बैठे ही थे कि देखे दस गो विदेशी उतरा। वही लोग से तो करोना फैला है। सो तुरत उठ गए। बोले- भइया, ई नाश्ता अब तू ही लोग करो। ई लो पैसा, हम नहीं रहेंगे। ऊ कुछ पैसा वापस किया। पेपरवा से पकड़े और बाहर निकल कर उसके ही आदमी को दे दिए। जागरूक ठेकेदार।
बिन सुविधा इलाज की दुविधा
पब्लिक यूटिलिटी सर्विस होने की वजह से कोयला उत्पादन जारी है। समूह में श्रमिक खदान में उतर रहे हैं और निकल रहे हैं। सावधानी के लिए केंद्रीय अस्पताल में 10 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। चिकित्सकों व चिकित्साकर्मियों को तैयार रहने को कहा गया है। वे तैयार हैं। उन्होंने इमरजेंसी को छोड़ सारे ऑपरेशंस बंद कर दिए हैं। इंतजार में बैठे हैं कि कोरोना संदिग्ध आएं तो इलाज में कमी न रहे। तभी एक ही दिन दो संदिग्ध पहुंच गए। फिर क्या हुआ। अस्पताल में भगदड़ मच गई। चिकित्सकों ने इलाज से पहले इन्कार कर दिया। कहा- यहां कोई सुविधा ही नहीं। न पीपीई, न आइसोलेट करने की कोई सुविधा। काफी हीलाहवाली के बाद एक एमडी ने देखा। अब डॉक्टर कह रहे निर्देश कुछ है और व्यवस्था कुछ और। वे दुविधा में हैं, कैसे करें इलाज। यहां तो कोरोना का मतलब है- कुछ करो ना।
साहब का ड्राइवर, वाह भाई वाह!
पुलिस पदाधिकारियों की तो छोड़िए उनके चालकों को भी अब बीसीसीएल का ही क्वार्टर चाहिए। वह भी तब जबकि खाकी वर्दीवाले साहबों के बंगलों का बकाया हर माह बढ़ते जा रहा है। मामला बीसीसीएल के आवासों का है। कंपनी के चिकित्सक जहां फ्लैट में रह रहे, वहीं बंगलों में सिटी, ग्रामीण एसपी, डीएसपी व एक्साइज इंस्पेक्टर रह रहे हैं। उनके आवास का किराया व बिजली अभी भी बकाया है। बावजूद इसके प्रबंधन ने डीएसपी के ड्राइवर के लिए उन्हीं शर्तो पर क्वार्टर देने को स्वीकृति दे दी है जिन शर्तो पर साहबों को दिया गया है। हां, यह जरूर कहा गया है कि पुलिस पदाधिकारियों पर किराया व बिजली, मेंटेनेंस के नाम पर जो बकाया है उसे बिना विलंब किए जमा कराने की प्रक्रिया शुरू की जाए। अब इससे कितनी वसूली होगी, यह बताने की जरूरत है क्या?