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काले हीरे की धरती पर अनानास की मिठास... नेपाल से लाए दो पौधे से शुरुआत कर हजारों कमा रहे हरिपद Dhanbad News

दो साल पहले हरिपद ने अंगूर की खेती शुरू की थी। हालांकि यहां की मिïट्टी उपयुक्त नहीं होने के कारण कामयाबी नहीं मिली लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

By MritunjayEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 09:19 AM (IST)Updated: Mon, 10 Feb 2020 09:19 AM (IST)
काले हीरे की धरती पर अनानास की मिठास... नेपाल से लाए दो पौधे से शुरुआत कर हजारों कमा रहे हरिपद Dhanbad News
काले हीरे की धरती पर अनानास की मिठास... नेपाल से लाए दो पौधे से शुरुआत कर हजारों कमा रहे हरिपद Dhanbad News

निरसा [ संजय सिंह ]। कोयला के रूप में काले हीरे की धरती निरसा। 15 साल पहले धनबाद जिले के निरसा प्रखंड के मोरूंग डुंगरी गांव के हरिपद हेंब्रम की माली हालत उतनी बढिय़ा नहीं थी। उनके आसपास रहने वाले अन्य किसानों की भी यही हालत थी।

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इस बीच हरिपद को नेपाल जाने का अवसर मिला तो वहां उन्होंने अनानास की खेती देखी और सीखी। गांव लौटकर उन्होंंने इसकी खेती शुरू की और आसपास के डेढ़ दर्जन किसानों को भी इसके लिए प्रेरित किया। धीरे-धीरे अनानास की खेती का दायरा बढ़ता गया। अब यहां किसान हर साल इससे अच्छी कमाई कर रहे हैं। हरिपद की योजना खेती में और भी नए प्रयोग करने की है, ताकि किसानों को रोजगार के लिए गांव छोड़ कर बाहर नहीं जाना पड़े।

कोयलांचल की खेती वर्षा जल पर निर्भर है। धान और गेहूं मुख्य फसल है। किसान परिवार के हरिपद को ईस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड में कार्यरत ससुर के साथ 15 साल पहले नेपाल जाने का मौका मिला था। हरिपद ने वहां अनानास की खेती दिखी। नेपाली किसानों ने उन्हें अनानास के दो पौधे दिए। इन पौधों से उन्होंने अनानास की खेती शुरू की। उन्हे परिणाम का तनिक भी अनुमान नहीं था, लेकिन उन्हें हिम्मत और मेहनत पर भरोसा था। गांव में पहली बार अनानास लगाया। उपज अच्छी मिली तो उत्साह बढ़ा और उन्होंने धीरे-धीरे इसकी खेती का दायरा बढ़ाया। उनसे प्रेरित होकर दूसरे किसान भी पूछने लगे। अब हरिपद ने किसानों को अनानास के पौधे देना शुरू किया। देखते ही देखते कई लोग इस खेती से जुड़ गए। अब उनके साथ चैनपुर गांव के रमेश चंद्र महतो, अलाउद्दीन अंसारी, गोम रतन मरांडी भी अनानास उगा रहे हैं। रमेश चंद्र महतो बताते हैं कि फरवरी से मार्च के बीच अनानास का फल लगना शुरू होता है और अप्रैल-मई में फसल तैयार हो जाती है। निरसा और धनबाद के व्यापारी घर आकर अनानास ले जाते हैं। अब किसान गर्मी में 20 से 25 हजार रुपये तक कमा ले रहे हैं।

अंगूर में सफल नहीं हुए तो पटल पर लगाया दिमाग

दो साल पहले हरिपद ने अंगूर की खेती शुरू की थी। हालांकि यहां की मिïट्टी उपयुक्त नहीं होने के कारण कामयाबी नहीं मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अब निरसा के किसानों को पटल की खेती सिखाने की ठानी है। खुद भी पटल लगाएंगे और दूसरे के खेतों में भी इसे लगवाने की तैयारी कर रहे हैं।

ऐसेे होती है खेती 

अनानास की खेती कई प्रकार की जलवायु में आसानी से की जा सकती है। इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। 5 से 6 पीएच मान वाली पानी की पाइपलाइन को काफी अच्छा माना जाता है। जैवांश बहुल मृदा इसके लिए काफी बेहतर मानी गई है। इसकी खेती के लिए 15 से 33 डिग्री का तापमान बेहतर माना जाता है। पश्चिमी समुद्री तटीय क्षेत्र और उत्तर पूर्वी पहाड़ी क्षेत्रों में समुद्र तट से 1 हजार से 2 हजार फुट की ऊंचाई पर इसको उगाते हैं।

कोयलांचल की खेती धान और गेहूं तक सीमित है। 15 साल पहले अनानास की खेती शुरू की और कराई। इससे गांव के एक दर्जन से अधिक किसानों की आमदनी बढ़ी है। अब पटल की खेती शुरू करानी है। 

- हरिपद हेंब्रम, आदिवासी किसान, निरसा


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