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MIne Accident: ताप रोधक पाइप में बारुद होता तो West Modidih में मौत नहीं होती Dhanbad News

1984 में पहली बार बारुद के कारण विस्फोट हुआ था तो शोध में यह बात आई थी कि इसकी वजह भूमिगत ताप है। भूमिगत ताप अधिक हो जाय तो बारुद में खुद ब खुद विस्फोट हो जाता है।

By MritunjayEdited By: Published: Sun, 15 Sep 2019 03:35 PM (IST)Updated: Sun, 15 Sep 2019 03:35 PM (IST)
MIne Accident: ताप रोधक पाइप में बारुद होता तो West Modidih में मौत नहीं होती Dhanbad News
MIne Accident: ताप रोधक पाइप में बारुद होता तो West Modidih में मौत नहीं होती Dhanbad News

धनबाबद [अश्विनी रघुवंशी]। सिंफर के पूर्व मुख्य वैज्ञानिक डाक्टर नबीउल्लाह का दावा है कि बीसीसीएल की वेस्ट मोदीडीह कोयला खदान में थर्मल इंसुलेटर पाइप (ताप रोधक उपकरण) में बारुद भरा गया होता तो विस्फोट में किसी की मौत नहीं होती। डाक्टर नबीउल्लाह के दावा की अहमियत इस वजह से बढ़ जाती है कि 1984 में हजारीबाग की सोंदा कोयला खदान में पहली बार बारुद लगाने के दौरान विस्फोट में सात लोगों की मौत हो गई थी तो कोल इंडिया के अनुरोध पर सिंफर की ओर से डाक्टर नबीउल्लाह ने ही इसके कारणों की पड़ताल की थी।

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डाक्टर नबीउल्लाह ने कहा कि 1984 में पहली बार बारुद के कारण विस्फोट हुआ था तो पहली बार शोध में यह बात आई थी कि इसकी वजह भूमिगत ताप है। भूमिगत ताप अधिक हो जाय तो बारुद में खुद ब खुद विस्फोट हो जाता है। उनका अनुभव यही बताता है कि वेस्ट मोदीडीह की कोयला खदान में भी अचानक बारुद में विस्फोट की वजह भूमिगत ताप है क्योंकि यह खदान भी अग्नि प्रभावित इलाके में है। उन्होंने कहा कि कोयला खदान में विस्फोट के लिए अधिकतम 15 छिद्र बनाया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित होना चाहिए कि उस छिद्र के भीतर का ताप 80 डिग्र्री सेल्सियस से अधिक नहीं हो। पहले लोग अंगुली डाल कर अंदाजा लगाते थे कि छिद्र में तापमान सामान्य है अथवा अधिक। अब उपकरण आ चुके हैं। व्यवस्था यह है कि तापमान अधिक होने पर छिद्र में पानी डाल कर ठंडा किया जाता है। बारुद भरने के एक घंटा के भीतर विस्फोट कर दिया जाना चाहिए। कभी कभार एक घंटा के पहले छिद्र के भीतर का तापमान बढ़ जाता है जिससे खतरा हो सकता है।

भूमिगत ताप से विस्फोट रोकने का बनाया डिवाइसः डाक्टर नबीउल्लाह ने भूमिगत ताप के कारण बारुद का विस्फोट रोकने के लिए डिवाइस बनाया है। आम तौर पर विस्फोट के लिए कोयला खदान के भीतर 9 से 15 मीटर गहरा और 150 इंच चौड़ा छिद्र किया जाता है। छिद्र के एक तिहाई हिस्से में बारुद डाला जाता है। डा नबीउल्लाह ने जो डिवाइस तैयार किया है, उसे छिद्र में डालने के बाद बारुद भरा जाय तो भूमिगत ताप का असर बारुद पर नहीं होगा। डाक्टर नबीउल्लाह द्वारा तैयार डिवाइस का वेस्ट मोदीडीह कोयला खदान में प्रायोगिक परीक्षण भी हो चुका है। जो लोग विस्फोट में घायल हुए हैं, उन्हीं लोगों ने इस डिवाइस को कारगर बताया है। अभी तक बीसीसीएल ने इसका उपयोग शुरू नहीं किया है। किया होता तो डाक्टर नबीउल्लाह के दावा के मुताबिक शायद मौत न होती। बताना जरुरी होगा कि डाक्टर नबीउल्लाह ने खदान में बारुद से विस्फोट और उसकी प्रक्रिया पर आइएसएम से पीएचडी भी की है।


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