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मटकुरिया फ्लाईओवर के टेंडर पर 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' का खौफ, DMC को नहीं मिल रहे ठेकेदार Dhanbad News

गैंग्स ऑफ वासेपुर का खौफ ऐसा है कि काम की इच्छुक एजेंसियों की हिम्मत नहीं हो रही है। उनको डर है कि इस काम को हाथ में लेने पर रंगदारी तो देनी ही होगी।

By mritunjayEdited By: Published: Mon, 19 Aug 2019 12:05 PM (IST)Updated: Mon, 19 Aug 2019 12:05 PM (IST)
मटकुरिया फ्लाईओवर के टेंडर पर 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' का खौफ, DMC को नहीं मिल रहे ठेकेदार Dhanbad News
मटकुरिया फ्लाईओवर के टेंडर पर 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' का खौफ, DMC को नहीं मिल रहे ठेकेदार Dhanbad News

धनबाद [आशीष सिंह]। धनबाद के मटकुरिया से वासेपुर वाया आरा मोड़ तक फ्लाईओवर और अंडरपास के साथ सड़क निर्माण पर 256 करोड़ के प्रोजेक्ट के लिए दो बार टेंडर हो चुका है। बावजूद किसी एजेंसी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। अब तीसरी बार टेंडर निकाल रहा है।

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दरअसल गैंग्स ऑफ वासेपुर का खौफ ऐसा है कि काम की इच्छुक एजेंसियों की हिम्मत नहीं हो रही है। उनको डर है कि इस काम को हाथ में लेने पर रंगदारी तो देनी ही होगी, यहां रह रहे लोगों को हटवाने में भी लोहे के चने चबाने होंगे। इसलिए समय पर काम पूरा कराना भी चुनौती होगी।

सड़क, फ्लाईओवर और अंडरपास के लिए रेलवे से एनओसी मिल गया है। योजना की राह में 500 परिवारों के मकान अड़ंगा बने हैं। बेशक इनके पुनर्वास के लिए 100 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया है मगर पुनर्वास टेढ़ी खीर है। गैंग्स को भी 'हिस्सा' चाहिए। यही डर एजेंसियों को निविदा डालने से रोकता है।

साज पर सड़क बनवाने का जिम्मा : स्टेट हाइवे अथॉरिटी ऑफ झारखंड (साज) पर सूबे की सड़कों के निर्माण की जिम्मेदारी है। इसके लिए टेंडर होता है। सड़क मटकुरिया चेकपोस्ट से डीसी लाइन के नीचे से अंडरपास के माध्यम से वाया आरा मोड़ वासेपुर तक जाएगी। रास्ते में गुलजारबाग और पंजाबी बस्ती के 500 परिवार हैं। इन्हें हटाना जरूरी है।

एजेंसियों ने किया निरीक्षण तो फूले हाथ-पांव : छह माह में दो बार टेंडर निकाला गया तो कई एजेंसियों ने इस काम में रुचि दिखाई। तीन एजेंसियों के अधिकारी इलाके में भी गए। वहां पता चला कि सड़क गुलजारबाग, आरामोड़ और वासेपुर से होकर निकलेगी। यहां कई गुटों को चढ़ावा दिए बिना पत्ता भी नहीं हिल सकेगा। बस्ती भी आड़े आ रही है। तब उनके हाथ पांव फूल गए। सड़क निर्माण जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट के फंड से होना है। ट्रस्ट बोर्ड से 256 करोड़ की मंजूरी फरवरी में मिल चुकी है। बावजूद एजेंसियां खौफ के कारण हाथ खींच रही हैं। सूत्रों ने बताया कि एजेंसियों को सुरक्षा का भरोसा मिल जाए तो वे आगे आ जाएंगी। यह सड़क धनबाद के लिए बेहद अहम है।

दो बार टेंडर निकाला। किसी एजेंसी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। फिर से टेंडर निकाल रहे हैं। जो दिक्कतें हैं, उनको दूर करेंगे। किसी भी एजेंसी को कोई काम से रोक नहीं सकता। लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था भी की है।

-चंद्रशेखर अग्रवाल, मेयर


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