Move to Jagran APP

शहरनामाः बच्चों से पूछ लो, मैडम के हस्ताक्षर की कीमत Dhanbad News

बच्चे तो नादान और अनजान ठहरे। उन्हें तो समझ ही नहीं कि कौन सी बात बतानी है कौन सी छुपानी! सो हस्ताक्षर की कीमत चुकाने के बाद हर जगह चर्चा करते हैं। इससे मैडम की खूब इमेज बन रही।

By mritunjayEdited By: Published: Mon, 19 Aug 2019 09:23 AM (IST)Updated: Mon, 19 Aug 2019 09:23 AM (IST)
शहरनामाः बच्चों से पूछ लो, मैडम के हस्ताक्षर की कीमत Dhanbad News
शहरनामाः बच्चों से पूछ लो, मैडम के हस्ताक्षर की कीमत Dhanbad News

धनबाद, जेएनएन। पढ़ाई-लिखाई की नई नवेली मैडम चर्चा में हैं। आखिर चर्चा भी क्यों न हो, क्लास लेने के लिए मनचाहा जिला जो मिल गया है। ऐसे मौकों को भला कौन गंवाता है? मैडम ही पीछे क्यों रहें! वह भी बहती गंगा में हाथ धोने में लगी हैं। आव देखा न ताव आनन-फानन में 50 से अधिक मातहतों को इधर-उधर कर दिया। मनचाहा काम सौंपने के एवज में गुरु दक्षिणा भी खुले हाथों से ली गई। यहां तक तो ठीक है। इधर से उधर करने में लेन-देन होता ही है, लेकिन हस्ताक्षर की कीमत भी वसूल की जा रही है।

loksabha election banner

छात्रों की टीसी समेत अन्य प्रमाणपत्रों पर हस्ताक्षर करने के एवज में 50 और 100 का चढ़ावा लिया जा रहा है। बच्चे तो नादान और अनजान ठहरे। उन्हें तो समझ ही नहीं कि कौन सी बात बतानी है, कौन सी छुपानी है! सो हस्ताक्षर की कीमत चुकाने के बाद हर जगह चर्चा करते हैं। इससे मैडम की  खूब इमेज बन रही है। और तो और अपने विभाग में महत्वपूर्ण काम ऐसे लोगों को थमा रखे हैं जिन्हें इसकी एबीसी तक नहीं आती। इसे विभागीय घाघ पचा नहीं पा रहे हैं। उनके मुंह में पहले से जो स्वाद लगा था, वह नए राज में बिगड़ गया है। सो घाघ गुलगपाड़ा करने में लगे हैं। सावधान मैडम जी!

पिता की पिच पर पुत्र का डिस्कोः खाद कारखाना वाले क्षेत्र में पिता की पिच पर पुत्र का पॉलिटिकल डिस्को जारी है। श्रम विभाग का मंच था। मंच पर पिता विराजमान थे, यह उनका राजनीतिक अधिकार भी था। प्रोटोकोल भी इसकी इजाजत देता है। तभी मंच पर पुत्र भी नमूदार हुए। पॉलिटिकल ड्रामे ने विरोधियों को मौका दे दिया है। श्रम विभाग को घेरते हुए सवाल कर रहे हैं- किस हैसियत से पुत्र मंचासीन थे? श्रम विभाग को जवाब देते नहीं सूझ रहा है। पार्टी के बाहर और भीतर विरोधियों के व्यवहार से पिता भी आहत हैं। वह अपनी कुर्सी पर बिठाकर पुत्र को विधानसभा में भेजना चाहते हैं। उम्र हो गई है, इधर उम्रदराज लोगों का टिकट कटने की भी चर्चा है। ऐसे में वह अपने मंच को पॉलिटिकल डिस्को के लिए पुत्र को मुहैया करा रहे हैं। यही बात विरोधियों को सुहा नहीं रही है। बाहर ही नहीं अंदर के विरोधी भी मंसूबे में पलीता लगा रहे हैं। उनके सामने ही कह देते हैं- पार्टी में वंशवाद की राजनीति नहीं चलेगी। है न दिल दुखाने वाली बात।

कहां हैं छोटे सरकार : शहर के छोटे सरकार कहां हैं? किस दुनिया में रह रहे हैं? क्यों नहीं दिख रहे हैं? आखिर क्या बात है? सब जगह यही चर्चा है। शहर की सरकार के काम से दूर अंतर्धान होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। वह जब से छोटे सरकार बने हैं तब से अंतर्धान ही रहते हैं। चर्चा हालिया राजनीतिक डेवलपमेंट के कारण हो रही है। भाभी खुलकर मैदान में आ गई हैं। वह सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग ले रही हैं। अपने इरादे भी जता दिए हैं। चुनाव लडऩे को तैयार हैं। पहली बार स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन के मौके पर इश्तेहार जारी कर जनता को बधाइयां दी गईं। इश्तेहार में भाभी के साथ भाई की भी तस्वीर दिखी। नहीं दिखी तो छोटे सरकार की तस्वीर। इसी कारण चर्चा ने जोर पकड़ ली है। आखिर छोटे सरकार किस दुनिया में हैं?


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.