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स्मृति शेष... AK Roy: धनबाद ही मेरा घर, मजदूर ही मेरे परिवार

AK Roy दस वर्ष पूर्व जब पैरालायसिस के शिकार थे तब कोलकाता से उनके भाई धनबाद आकर राय दा को ले जाने की काफी कोशिश की। लेकिन राय ने जाने से इन्कार कर दिया।

By mritunjayEdited By: Published: Mon, 22 Jul 2019 12:45 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jul 2019 12:45 PM (IST)
स्मृति शेष... AK Roy: धनबाद ही मेरा घर, मजदूर ही मेरे परिवार
स्मृति शेष... AK Roy: धनबाद ही मेरा घर, मजदूर ही मेरे परिवार

धनबाद, मोहन गोप। मजदूर, शोषितों व ग्रामीणों को एकजुट करके वृहद आंदोलन करने वाले पूर्व सांसद एके राय (राय दा) का सबकुछ धनबाद व यहां के मजदूर ही थे। एक समय भी आ गया, जब राय दा के कोलकाता में रह रहे भाइयों ने उन्हें धनबाद छोड़कर कोलकाता आने की सलाह दी। राय दा मन से काफी मजबूत रहे, लेकिन शरीर ने साथ देना बंद कर दिया था। वर्ष 2008-09 के आसपास राय दा आंशिक पैरालायसिस के शिकार हो गए। लेकिन सादगी के लिए प्रसिद्ध राय दा ने धनबाद में ही रहने की प्रतिज्ञा ठान ली थी। 

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भाइयों से कहा मजदूर ही मेरा परिवार है, कहां जायेंः कार्यकर्ता बतातें है कि राय दा जब पैरालायसिस के शिकार थे, तब कोलकाता से उनके भाई लगभग दस वर्ष पूर्व धनबाद आकर राय दा को ले जाने की काफी कोशिश की। उन्हें कहा कि वृद्धावस्था में उन्हें सेवा की जरूरत है, उनकी सेवा यहां कौैन करेगा। तब राय दा ने कहा था कि धनबाद ही मेरा घर है, यहां के मजदूर ही मेरे परिवार हैं। यहां तो हर कोई मेरा अपना है। इस मिïट्टी को छोड़कर कहां जा सकता हूं। दस वर्षों के बीच दो-तीन बार राय दा के भाई धनबाद उन्हें लेने आया, लेकिन वह नहीं गये।

पैरालायसिस के बाद कमजोर होते गये राय दा : पैरालायसिस के बाद राय दा कमजोर होते गये, जब सेवा की बात आई तो मजदूरों व कार्यकत्र्ताओं ने भी अपना फर्ज निभाना शुरू किया। राय दा झरिया के नुनूडीह में कार्यकर्ता के घर रहने लगे। यहां कार्यकर्ताओं ने अपने अभिभावक की तरह सेवा किया। शायद ऐसा पहली बार ही देखने को मिला है, जब कोई नेता अपने कार्यकर्ता के घर अंतिम दिन तक रहे।

जब पत्रकारों ने शादी के बारे में पूछा तो राय दा ने कहा सोचने का समय ही नहीं मिलाः पूरी जिंदगी कोयलांचल के मजदूरों के लिए समर्पित करने वाले राय दा ने शादी नहीं की थी। कार्यकर्ता बताते हैं कि एक समय एक प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों ने राय दा पूछा था कि आपने शादी क्यों नहीं की। राय दा ने बड़ी सहजता से कहा कि शादी के लिए उनके जेहन में कभी कोई बात आयी ही नहीं। मजदूरों के लिए आंदोलन में इतना व्यस्त रहा कि कभी अपने लिए कुछ सोचने का समय ही नहीं मिला।


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