इस पेड़ की वजह से धनबाद में गहरा रहा जलसंकट, दलदल को सुखाने का भी माद्दा Dhanbad News
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि यह पेड़ जहां अधिक संख्या में होता है वहां जलसंकट हो जाता है। धैया इसका प्रमाण है। यहां लोगों के घरों में बने कुओं और बोरिंग में भी पानी नहीं है।
नीरज दुबे, धनबाद: धैया लाहबनी इलाके में झरिया के एक व्यवसायी की जमीन और आइआइटी कैंपस में सैकड़ों यूकेलिप्टस के पेड़ लगे हैं। ये पेड़ जमीन का पानी सोख हालात को भयावह कर रहे हैं। इनके कारण धैया में भूमिगत जल स्तर की स्थिति बेहद खराब हो गई है। कुआं छोडि़ए, बोरिंग भी सूख गई है।
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि यह पेड़ जहां अधिक संख्या में होता है वहां जलसंकट हो जाता है। धैया इसका प्रमाण है। यहां रह रहे लोगों के घरों में बने कुओं और बोरिंग में भी पानी नहीं है। मैथन जलापूर्ति योजना का पानी यहां लोगों की प्यास बुझा रहा है। महत्वपूर्ण बात है कि वृहद जल संरक्षण को लेकर सरकार कवायद कर रही है। डोभा, तलाब खोदे जा रहे हैं। तीन हजार वर्गफीट के आवासों व अपार्टमेंट के रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य किया गया है। बावजूद क्या इससे समस्या में सुधार होगा? हमें ऐसे पेड़ भी हटाने होंगे जो पानी सोख जमीन का जलस्तर कम करते हैं। यह पेड़ तो इतना पानी पीता है कि इससे एक किमी तक का इलाका प्रभावित होता है। यूं तो कई पेड़ हैं जो अधिक पानी सोख लेते हैं, बावजूद यूकेलिप्टस एकमात्र ऐसा पेड़ है जो जलस्तर को कम करता जाता है। अंत में जहां यह होता है धरती की कोख में पानी नहीं रहता। यूकेलिप्टस को सफेदा नीलगिरि भी कहते हैं। इसकी 600 से भी ज्यादा प्रजातियां हैं। यह आस्ट्रेलिया में पाया जाने वाला पेड़ है। इसकी कई प्रजातियां दलदल में ही बढ़ती हैं।
इटली में दलदल का पी गया पानी, होने लगी खेती: यूकेलिप्टस पेड़ की पानी पीने की खासियत का इस्तेमाल इटली के लोगों ने पॉन्टीन दलदल में किया। इसके पौधे यहां लगाए गए। कुछ समय में ही दलदल का पानी सूख गया। लोगों ने यहां खेती शुरू कर दी। सूखी जमीन के अलावा सर्द हवाओं के बीच भी इसके पेड़ फलते-फूलते हैं। समुद्री जहाजों को बनाने में व टेलीफोन के खंभों के लिए भी इसका प्रयोग होता है।
"धैया में राजेश ठक्कर की जमीन पर दर्जनों यूकेलिप्टस के पेड़ लगे हैं। ये धरती का पानी सोख रहे हैं। एक ओर पानी बचाने के उपाय हो रहे हैं वहीं ऐसे पेड़ों के कारण जलसंकट हो रहा है। प्रशासन इस पर ध्यान दे। वन विभाग को कार्रवाई करनी चाहिए।"
- मोहन कुमार, धैया लाहबनी
"आइआइटी परिसर और धैया में लगे यूकेलिप्टस के पेड़ों से भूमिगत जलस्तर कम हो रहा है। इलाके के लोग इस पेड़ की पानी की भूख के कारण जल के लिए तरस रहे हैं। ऐसे पेड़ को वन विभाग हटाकर अच्छे पेड़ लगाए जो जमीनी जलस्तर बेहतर करे।"
- ओपी शर्मा, धैया लाहबनी
"प्रशासन और वन विभाग यूकेलिप्टस के पेड़ों को हटाए। बरगद, पीपल, नीम, शीशम जैसे पेड़ लगाए जाएं जो स्वच्छ हवा देने के साथ भूमिगत जलस्तर को समृद्ध करें। यदि अभी नहीं चेते तो जलसंकट और विकराल होगा।"
- प्रभात कुमार, धैया लाहबनी
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
यूकेलिप्टस ऑस्ट्रेलियाई पेड़ है। इसकी जड़ें भूगर्भ में काफी नीचे तक रहती हैं। आम तौर पर यह दलदली क्षेत्र में पाया जानेवाला पेड़ है। जमीन में काफी नीचे तक जड़ें होने के कारण यह अत्यधिक पानी सोखता है जिससे उस क्षेत्र में पानी की कमी हो जाती है।
- डॉ. सिद्धार्थ सिंह, वैज्ञानिक, केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान।