भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य का आरोप, पीडीआइएल सिंदरी को उच्च प्रबंधन ने साजिश कर किया बंद
केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की मिनी रत्न कंपनी प्रोजेक्ट डेवलपमेंट इंडिया लिमिटेड (पीडीआइएल) की वित्तीय उपलब्धियों ने भारत सरकार के नीति आयोग को भी स्तब्ध कर दिया है।
जागरण संवाददाता, सिंदरी: केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की मिनी रत्न कंपनी प्रोजेक्ट डेवलपमेंट इंडिया लिमिटेड (पीडीआइएल) की वित्तीय उपलब्धियों ने भारत सरकार के नीति आयोग को भी स्तब्ध कर दिया है। नीति आयोग ने पीएसयू के पीडीआइएल के विनिवेश की अनुशंसा की है। आम धारणा है कि नीति आयोग पीएसयू के घाटे में चलनेवाले उद्योगों के विनिवेश की अनुसंशा करता है।
वित्तीय वर्ष 2018-19 में पीडीआइएल ने चौंकानेवाला परिणाम दिया है। इस वित्तीय वर्ष में पीडीआइएल का उच्चतम टर्नओवर 131.50 करोड़ रुपये, विभिन्न कामों से 116.50 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित, 30.36 करोड़ रुपये का टैक्स भुगतान, 11.80 करोड़ रुपये का डिविडेंड का भुगतान भारत सरकार को किया है। यही नहीं वर्तमान में पीडीआइएल भारत सरकार के प्रतिष्ठित हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड के सिंदरी, गोरखपुर और बरौनी के अमोनिया और यूरिया संयंत्रों के निर्माण में तकनीकी सलाहकार की सेवाएं दे रहा है, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र की मिनी रत्न कंपनी पीडीआइएल सिंदरी भारत सरकार और झारखंड सरकार की उपेक्षा से अकाल मौत मर गया। भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य दीपक कुमार दीपू ने पीडीआइएल उच्च प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि एक साजिश के तहत पीडीआइएल सिंदरी को बंद कर इसके अस्तित्व को खत्म कर दिया गया।
उन्होंने पीडीआइएल के निदेशक मंडल की बैठक में प्रस्तुत किए गए वित्तीय वर्ष 2018-19 के अंकेक्षण रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि मिनी रत्न कंपनी घाटे में नहीं थी। नीति आयोग ने पीडीआइएल के विनिवेश की अनुसंशा की। तब पीडीआइएल उच्च प्रबंधन ने 25 कर्मचारियों वाले पीडीआइएल सिंदरी के कैटलिस्ट डिविजन को कंपनी के घाटे के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए बंद कर दिया। दीपक ने सांसद पीएन सिंह से पीडीआइएल सिंदरी के बंदी का मामला संसद में उठाने का आग्रह किया है। पीडीआइएल बचाओ मोर्चा के संयोजक रंजीत कुमार ने भारत सरकार के मेक इन इंडिया विजन को सार्थक करनेवाले पीडीआइएल सिंदरी को बंद करने की साजिश की जांच की मांग की है।