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आश्रितों एवं अशक्त सैनिकों के पुनर्वास के लिए जुटाए 18 करोड़ रुपये

- सशस्त्र सेना झंडा दिवस सीएसआर वेबीनार में शामिल हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अपने ट्विटर हैंडल पर अपडेट की कार्यक्रम की तस्वीरें - एसबीआइ ने वेलफेयर फंड में दिए 10 करोड़ और सन टीवी ने पांच करोड़ - धनबाद के कर्नल जेके सिंह ने किया कार्यक्रम का संचालन व समापन

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Dec 2020 08:42 PM (IST)Updated: Fri, 04 Dec 2020 08:42 PM (IST)
आश्रितों एवं अशक्त सैनिकों के पुनर्वास के लिए जुटाए 18 करोड़ रुपये
आश्रितों एवं अशक्त सैनिकों के पुनर्वास के लिए जुटाए 18 करोड़ रुपये

जागरण संवाददाता, धनबाद : देश के लिए सेना के जवान बलिदान देते आ रहे हैं। पीछे रह जाते हैं तो इनके आश्रित। सात दिसंबर सशस्त्र सेना झंडा दिवस थल सेना, वायु सेना और जल सेना के आश्रितों एवं अशक्त हुए कर्मियों के पुनर्वास व कल्याण के लिए देश के समस्त नागरिकों की सामूहिक जिम्मेदारी की याद दिलाता है। इसके वेलफेयर के लिए फंड और भावी योजना को लेकर शुक्रवार को सशस्त्र सेना झंडा दिवस सीएसआर वेबीनार का आयोजन हुआ। इसमें देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय सैनिक बोर्ड के सचिव एयर कमांडर बी अहलूवालिया विशेष रूप से उपस्थित हुए। वेबीनार में शामिल उद्योग जगत ने इस फंड में दिल खोलकर दान दिया। महज एक घंटे के अंदर 18 करोड़ रुपये एकत्रित हुए। इसमें एसबीआइ ने दस करोड़, सन टीवी ने पांच करोड़, डालमिया भारत लिमिटेड और एलजी इंडिया ने एक-एक करोड़ का डोनेशन सेना वेलफेयर में जमा किया। इसके अलावा अन्य औद्योगिक घरानों ने भी सहयोग राशि दी। यूटयूब पर वेबीनार लाइव होने की वजह से देश ही नहीं बल्कि विदेश में बसे भारतीयों ने भी फंडे देने की पेशकश की। रक्षा मंत्री राजनाथ ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए अधिक से अधिक लोगों को आगे आकर सहयोग करने की अपील की। रक्षा मंत्री ने कार्यक्रम का संचालन कर रहे धनबाद के कर्नल जेके सिंह की तारीफ भी की। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर कर्नल जेके सिंह के साथ वाली कार्यक्रम की तस्वीर भी अपडेट की। वेबीनार में रक्षा मंत्रालय, केंद्रीय सैनिक बोर्ड के उच्चाधिकारी सहित औद्योगिक घरानों के कई अधिकारी मौजूद थे।

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देश-विदेश से मिल रही मदद

पॉलीटेक्निक रोड निवासी कर्नल जेके सिंह ने बताया कि वेबीनार लाइव होने की वजह से देश-विदेश से सेना के आश्रितों के लिए सहयोग राशि देने की पेशकश हो रही है। उम्मीद है इस बार पिछली बार से अधिक सहयोग राशि इकट्ठी होगी। पिछले वर्ष इस दिवस के माध्यम से किए गए प्रयास से 44 करोड़ रुपये भारत की जनता ने दिए थे।


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