नियति पर नहीं किसी का जोर... आखिर जिंदगी की जंग हार गया आयुष Dhanbad News
सभी को विश्वास था कि अब आयुष बच जाएगा। मुंबई में आयुष बोन मैरो ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया से गुजर रहा था तभी पिछले सप्ताह उसे डेंगू ने जकड़ लिया।
धनबाद, जेएनएन। हम सब लाख कोशिश कर लें लेकिन होता वहीं है जो नियति को मंजूर होता है। और नियति तो पहले ही तय होती है। अब धनबाद शहर के पुराना बाजार में रहने वाले 12 वर्षीय आयुष को ही लीजिए। उसकी जिंदगी सलामत रहे इसके लिए हर कोई दुआ कर रहा था। दुआ से बढ़कर दवा की मदद के लिए भी कई हाथ खड़े हो गए। लेकिन आखिर में आयुष जिंदगी की जंग को हर कर हम सब के बीच से चला गया।
कैंसप पीड़ित आयुष। उसकी जिंदगी के लिए पूरा धनबाद ईश्वर से दुआएं कर रहा था। सबको उम्मीद थी कि वह कैंसर से जंग जीतकर हंसते हुए नई उम्मीदों के साथ धनबाद लौटेगा, लेकिन लोगों की यह हसरत दम तोड़ गई। आयुष नहीं रहा। दरअसल कैंसर से जूझ रहे आयुष को डेंगू ने भी अपनी चपेट में ले लिया था। इन दो नामुराद रोगों से जंग लड़ते हुए शनिवार तड़के उसके जीवन का दीया बुझ गया।
पुराना बाजार निवासी रत्नेश कुमार सिंह के 12 वर्षीय पुत्र आयुष को कैंसर था। इससे बचाव के लिए केवल बोन मैरो ट्रांसप्लांट का ही सहारा था। पर, पुराना बाजार में कपड़े की छोटी सी दुकान चलाने वाले रत्नेश की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वे इतनी रकम खर्च कर सकें। ऐसे में मानवीय संवेदनाओं के इस शहर में आम लोग उठ खड़े हुए। इस बच्चे की जिंदगी के लिए दुआओं के साथ आर्थिक मदद की पहल की। बस क्या था, 48 घंटे भी नहीं गुजरे और आयुष के बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए जरूरी 20 लाख रुपये का इंतजाम हो गया। मुंबई के कैंसर अस्पताल में उसे भर्ती कराया गया। उम्मीदें परवान चढ़ गईं। सभी को विश्वास था कि अब आयुष बच जाएगा। मुंबई में आयुष बोन मैरो ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया से गुजर रहा था, तभी पिछले सप्ताह उसे डेंगू ने जकड़ लिया। एक साथ कैंसर और डेंगू जैसे रोगों की मार यह मासूम नहीं झेल सका। स्थिति लगातार खराब होती गई और आखिरकार उसने दुनिया को अलविदा कह दिया। उसकी मौत की सूचना शनिवार सुबह धनबाद पहुंची तो शोक की लहर दौड़ गई।
रविवार को मुंबई से आयुष का शव धनबाद आ रहा है। यहां आज उसका अंतिम संस्कार होगा।