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देवघरः सावन के अंतिम सोमवार पर ढ़ाई लाख श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक

मंदिर का कपाट बंद होने तक तकरीबन ढ़ाई लाख श्रद्धालुओं ने बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक किया। मंदिर प्रांगण सुबह से ही केसरिया रंग में डूबा रहा।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 20 Aug 2018 12:19 PM (IST)Updated: Mon, 20 Aug 2018 08:17 PM (IST)
देवघरः सावन के अंतिम सोमवार पर ढ़ाई लाख श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक
देवघरः सावन के अंतिम सोमवार पर ढ़ाई लाख श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक

जागरण संवाददाता, देवघर। आसमान में घुमड़ते बादल के बीच बोलबम की गूंज से देवघर का कण-कण शिवमय हो गया। रविवार देर रात से भक्तों के आने का सिलसिला सोमवार रात आठ बजे थमा। मंदिर का कपाट बंद होने तक तकरीबन ढ़ाई लाख श्रद्धालुओं ने बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक किया। मंदिर प्रांगण सुबह से ही केसरिया रंग में डूबा रहा। द्वादश ज्योतिर्लिंग में एक रावणेश्वर बैद्यनाथ की प्रात:कालीन पूजा के लिए तीन बजे मुख्य दरवाजा खुलने से पहले कांवरियों का मंदिर प्रांगण में आने का सिलसिला शुरू हो गया। सुबह 3:39 पर आम भक्तों के लिए पट खोला गया, इससे पहले गर्भगृह के समक्ष अरघा लगा दिया गया।

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रांची के पहाड़ी बाबा मंदिर में सावन की अंतिम सोमवारी पर जलाभिषेक करते श्रद्धालु।

इधर, प्रांगण में रखे बाह्य अरघा में जलार्पण को अचानक भीड़ उमड़ पड़ी। पुलिस को इसे व्यवस्थित करने में काफी प्रयास करना पड़ा। बाह्य अरघा की कतार भी लंबी थी एक लाख भक्तों ने इस अरघा में जलार्पण किया। सरदार पंडा गुलाबनंद ओझा ने सुबह की पूजा किया। इसके बाद दिनभर अनवरत जलार्पण चलता रहा। चौथे सोमवार को भी कतार अंतिम प्वाइंट कुमैठा स्पोर्टस कांप्लेक्स पहुंचा। यहां एक बड़ा होल्डिंग प्वाइंट बनाया गया है। जो भीड़ को नियंत्रित करने में काफी मददगार हुआ। जैसे जैसे सुबह निकलता गया भीड़ की रफ्तार कम हुई। दोपहर होते होते भक्तों की कतार मंदिर से पांच किमी दूर रह गई। लेकिन दबाव बना रहा, यही कारण था कि वरीय पदाधिकारी लगातार मंदिर से लेकर रूटलाइन में बने रहे।

बाबा बैद्यनाथ की सुबह की विशेष पूजा सरदार पंडा गुलाबनंद ओझा ने की।

आईजी सुमन गुप्ता, डीसी राहुल कुमार सिन्हा, एसपी नरेंद्र सिंह पूरी रात ही नहीं बल्कि सोमवार दोपहर बाद तक घूमते रहे। इंटीग्रेटेड मेला कंट्रोल रूम एवं कंपोजिट कंट्रोल रूप से लगातार पल पल की मानीटरिंग की जा रही थी। वरीय पदाधिकारी नियंत्रण कक्ष को फालो कर आगे दिशा निर्देश जारी कर रहे थे। वायरलेस पर समन्वय बना रहा और मौका के अनुसार क्यू के रूट को बदला जाता रहा। अब प्रशासन राहत महसूस करेगा क्योंकि आने वाले पांच दिनों में प्रतिदिन एक से सवा लाख तक ही भीड़ होगी। जिसका आसानी से जलार्पण संभव है क्योंकि बेहतर सिस्टम काम कर रहा है। 


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