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भूख व कुपोषण बड़ी समस्या : सबिस्ट्रीन

जोहार विस्तार योजना के तहत बुधवार को देवघर में बदलाव फाउंडेशन की ओर से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 07:11 PM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 06:37 AM (IST)
भूख व कुपोषण बड़ी समस्या : सबिस्ट्रीन
भूख व कुपोषण बड़ी समस्या : सबिस्ट्रीन

देवघर : जोहार विस्तार योजना के तहत बुधवार को देवघर में बदलाव फाउंडेशन की ओर से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में सामाजिक योजनाओं पर जनसुनवाई विषय पर गंभीरता से चर्चा की गई। कार्यशाला का उद्घाटन प्रो. रामानंद सिंह, वरिष्ट पत्रकार, पंचायती राज अधिनियम के राजा राम पासवान, जन जातीय अधिकारी मंच के अध्यक्ष मोरिया गोराइटी, सबिस्ट्रीन एवं सामाजिक कार्यकर्ता उपाध्याय ने संयुक्त रूप से किया।

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इस मौके पर सबिस्ट्रीन ने झारखंड में भूख, भोजन, और कुपोषण पर चर्चा करते हुए कहा कि यहां भूख व कुपोषण एक बड़ी समस्या है। आदिवासी समाज में यह समस्या खासतौर पर व्याप्त है। उन्होंने पर्यावरण की चर्चा करते हुए कहा कि लगातार जंगल की कटाई से मौसम का मिजाज बदल रहा है। इसकी वजह से समय पर बारिश नहीं हो रही है। राजाराम पासवान ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 की उपयोगिता एवं इससे जुडे़ जन वितरण प्रणाली, आंगनबाड़ी, मध्याह्न भोजन एवं प्रखंड स्तर पर चलने वाली योजनाओं के विषय में विस्तार से चर्चा की। कहा कि इनसे संबंधित जो भी शिकायतें आ रही हैं उस पर कानूनी पहल व शिकायत निवारण जरूरी है। इस बाबत उन्होंने विस्तार से जानकारी दी। समाजसेवी उपाध्याय ने आयुष्मान भारत पर विस्तार से चर्चा करते हुए पेंशन योजनाओं के बारे में बताया। कहा कि राष्ट्रीय इंदिरा गांधी पेंशन योजना, विधवा पेंशन, निश्श्क्त एवं राज्य सरकार के द्वारा आदिम जनजाति पेंशन योजना के विषय में पूर्ण रुप से बातचीत तथा जन सुनवाई की आवश्यकताओं के बारे में बताया। कार्यशाला में मौजूद ग्रामीणों ने वृद्धा पेंशन, मनरेगा, पीडीएस, से संबंधित समस्याओं को पदाधिकारियों के समक्ष रखा। समस्या से अवगत होने के बाद पदाधिकारियों ने कि अगर उनकी शिकायतों पर कार्रवाई नहीं की जाती है तो वे संघर्ष करें। प्रजातांत्रिक तरीके से धरना, प्रदर्शन व रैलियां निकाल कर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराएं। मौके पर जोहार परियोजना दुमका के समन्वयक जयप्रकाश शर्मा, जनजातीय अधिकार मंच के जिशु मुर्मू, सिक हेम्ब्रम, राजेश मुर्मू, अजय मुर्मू ने भी अपने विचारों को रखा।


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