चुनाव के बाद सोनाबांक में दर्शन नहीं देते जनप्रतिनिधि
हर बार चुनाव होता है नेता आते हैं और वायदे करके चले जाते हैं लेकिन सोनाबांक के लोग ये अच्छी तरह से जानते हैं कि नेता अपने वादों पर कितना खड़ा उतरे हैं। प्रखंड के बिरेनगड़िया पंचायत अंतर्गत सोनाबांक गांव के लोगों की सुध आजतक किसी ने नहीं ली।
करौं : हर बार चुनाव होता है, नेता आते हैं और वायदे करके चले जाते हैं लेकिन सोनाबांक के लोग ये अच्छी तरह से जानते हैं कि नेता अपने वादों पर कितना खड़ा उतरे हैं। प्रखंड के बिरेनगड़िया पंचायत अंतर्गत सोनाबांक गांव के लोगों की सुध आजतक किसी ने नहीं ली। झारखंड निर्माण के 19 वर्ष गुजर जाने के बाद भी न तो गांव की तस्वीर बदली और न यहां के निवासियों की तकदीर। लगभग 70 घरों के इस गांव की आबादी लगभग 750 है। गांव में अधिकांश गोस्वामी समुदाय के लोग रहते हैं। गांव की मुख्य समस्या पेयजल व सड़क की है। इसके अलावा गांव में किसी व्यक्ति का नाम बीपीएल सूची में नहीं है। प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिलने का यहां के लोगों को मलाल है। लोगों की जीविका पुरोहित गिरि से जैसे-तैसे चलती है।
लोकसभा चुनाव के समय ग्रामीणों ने बनाया था दबाव : पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान ग्रामीणों ने पानी के लिए प्रशासन पर दबाव बना दिया था। यहां के वोटरों द्वारा मतदान केन्द्र की दीवार पर पानी नहीं तो वोट नहीं का नारा भी लिखवा दिया गया। बीडीओ के काफी समझाने-बुझाने पर यहां के वोटरों ने वोट डाला था। हालांकि काफी मशक्कत के बाद काली मंदिर के पास डीप बोरिग कराकर पानी की व्यवस्था की गई। जहां से ग्रामीण पानी लेते हैं। लेकिन गांववासियों के लिए यह व्यवस्था पर्याप्त नहीं है।
वाहनों का गुजरना तो दूर, पैदल चलना भी मुश्किल : गांव के पवन गोस्वामी, राजेश गोस्वामी, अनिल गोस्वामी, बासुदेव गोस्वामी आदि कहते हैं कि प्रखंड में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत कई सड़कों का निर्माण कराया गया है। लेकिन सोनाबांक की सड़क पर आजतक किसी की नजर नहीं पड़ी है। मुख्य सड़क में नुकीले पत्थर निकल आए हैं। वाहनों का गुजरना दूर की बात इस पर पैदल चलना भी ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबव बन जाता है। इसके अलावा पेयजल की समस्या भी आम बात है।