जांच कमेटी खोज रही चूक, मेंटेनेंस हो रहा था तो कैसे टूटा शाफ्ट
रोप वे का संचालन से पहले हर पहलू को ठाेक बजाकर देख लेगी सरकार
जांच कमेटी खोज रही चूक, मेंटेनेंस हो रहा था तो कैसे टूटा शाफ्ट
जागरण संवाददाता, देवघर: रोप वे का संचालन अभी नहीं होगा। हो सकता है कि एक साल का वक्त भी लग जाए। ऐसा इसलिए कि सरकार रोप वे के संचालन से पहले हर पहलू की जांच कर लेगी। घटना के बाद जितने सवाल उठे हैं उन सबका हल निकाल लेने के बाद ही इसके संचालन पर विचार करेगी। शाफ्ट टूटना कोई बात नहीं लेकिन ऐसा पहली बार हुआ कि यदि समय से मेंटनेंस हो रहा था तो वह कैसे टूट गया। इस बिंदू पर भी जांच कमेटी की नजर है। यही कारण है कि अपर टर्मिनल पर विशेषज्ञ ने डेढ़ घंटा का समय दिया। तकनीकी पहलुओं को बारीकी से देखा। सीसीटीवी फूटेज, इंटर लाकिंग सिस्टम, टूटे शाफ्ट को देखा। टीम के अध्यक्ष अजय कुमार सिंह ने पहुंचते ही सबसे पहले रोप वे के फोरमैन उपेंद्र विश्वकर्मा से पूछा कि दस अप्रैल को क्या हुआ था। उसने पूरी कहानी बतायी। कहा कि वह लोअर स्टेशन में था। जैसे ही रोप वे चालू हुआ थोड़ी ही देर में जोर का झटका के साथ आवाज हुआ। तुरंत अपर स्टेशन पर बैठे कर्मी से पूछा गया तो बताया कि रोप उतर गया है। इससे पहले एक बार चलाने की कोशिश की गयी थी। इसके तुरंत बाद मैटेरियल ट्राली को चलाकर रेस्क्यू का प्रयास किया गया लेकिन वह तत्काल नहीं चला। उसका सेल्फ काम नहीं कर रहा था। मिस्त्री को बुलाया गया और उसे ठीक कर उसको इस्तेमाल में लाया गया। तकरीबन डेढ़ घंटा बाद मैटेरियल ट्राली से उपर जाकर टूटे शाफ्ट से उपर सरक गए रोप को दूसरे रोप से बांधकर लोगों की जिंदगी को सुरक्षित किया गया।
लोगों की आप बीती की गई रिकार्ड
सचिव पर्यटन अमिताभ कौशल घटना के चश्मदीद यात्री, बीडीओ, रोप वे के कर्मचारी उपेंद्र विश्वकर्मा, पन्नालाल समेत अन्य का बयान रिकार्ड कराया। इसमें मृतका शोभा देवी के बेटा और बहू ने भी बयान दर्ज कराया। इसमें अमित कुमार, खुशबू कुमारी, जया कुमारी का बयान लिया गया। अमित ने बताया कि वह छह नंबर केबिन में था और मां पिताजी सात नंबर केबिन में थे। दुमका से आए एक परिवार का भी बयान लिया गया। बीडीओ मोहनपुर विवेक किशोर ने भी बताया कि वह सूचना मिलते ही पहुंचे और उसके बाद की पूरी कहानी बतायी। हर एक लोगों का बयान लेकर उनका हस्ताक्षर कराया गया।
कमेटी के सामने खुला रोप कार्यालय का सील
जांच कमेटी ने कागजातों को खंगालने के लिए सील किए गए कमरा को खुलवाया। पैनल रूम को देखा गया। वहां रखे लाग बुक को लिया गया। स्टोर में रखे सारे कागजात को बोरा में बंद कर ले गए। चूंकि कंपनी पर आरोप है कि उसने मेंटेनेंस समय समय पर नहीं कराया है। इन आरोपों की जांच का खुलासा तो लाग बुक ही करेगी। टीम इसका अध्ययन करेगी। रोप वे के आपरेशन एरिया को देखा गया।
घटना के बाद रोप वे संचालन एरिया हो गया था सील
घटना के बाद सरकार ने जांच का आदेश दिया था। इसके लिए एक कमेटी बनायी गयी। घटना के चार दिन बाद प्रशासन के निर्देश पर रोप वे संचालन एरिया को सील कर दिया गया। सीसीटीवी कैमरा की नजर में पूरे एरिया को ले लिया गया था। सामने श्रावणी मेला है। यह तो स्पष्ट लग रहा है कि मेला में रोप वे का संचालन नहीं होगा। और सवाल यह कि शाफ्ट टूटने का कारण भी जांच के बाद ही पता चल पाएगा। हाई रिस्क रेस्क्यू में सेना, आर्मी और एनडीआरएफ की टीम ने साहसिक काम किया था। जिनके कारण दो को छोड़कर बाकि सभी यात्री की जान बच गयी। जानकारी हो कि जब रोप वे का शाफ्ट टूट जाने से रोप वे का परिचालन एक झटके के साथ रुका और वह रुका ही रह गया था। अगले दिन सुबह से रेस्क्यू की कमान वायु सेना के दो हेलीकाप्टर, आर्मी, आइटीबीपी और एनडीआरएफ ने संभाल लिया। 48 यात्रियों को निकालने के लिए संयुक्त रूप से 14 घंटा 55 मिनट का रेस्क्यू अभियान चलाया गया था। इसमें दो को छोड़कर बाकि को सकुशल निकाल लिया। इसमें पहला यात्री दरभंगा का था जबकि आखिरी यात्री देवघर के छठीलाल साह थे।रोप वे का संचालन दामोदर रोप वे इंफ्रा लिमिटेड कर रही है। झारखंड राज्य पर्यटन विकास निगम ने ई निविदा किया था। कंपनी 2012 से संचालन कर रही है।