कुपोषण व बेरोजगारी की समस्या को दूर करेगा दीदी बाड़ी
राज्य में काफी संख्या में बच्चे व महिलाएं कुपोषित है। इसके साथ कोरोना संक्रमण के कारण बेरोजगारी की समस्या भी बढ़ी है। इन दोनों ही समस्याओं से निपटने के लिए अब पूरे
जागरण संवाददाता, देवघर : राज्य में काफी संख्या में बच्चे व महिलाएं कुपोषित है। इसके साथ कोरोना संक्रमण के कारण बेरोजगारी की समस्या भी बढ़ी है। इन दोनों ही समस्याओं से निपटने के लिए अब पूरे राज्य में दीदी बाड़ी योजना की शुरुआत की जा रही है। इसे लेकर मनरेगा आयुक्त द्वारा सभी जिलों के उपायुक्तों को पत्र लिखा गया है। जिसमें मनरेगा योजना के तहत संचालित दीदी बाड़ी योजना के क्रियान्यवन के बारे में जानकारी दी गई है।
बताया गया कि राज्य में पांच वर्ष से कम आयु के 45.3 प्रतिशत बच्चे व 65.2 दो प्रतिशत महिलाएं कुपोषित हैं। वहीं कोविड-19 के कारण लोगों को सामाजिक व आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। खासतौर पर दैनिक मजदूरी पर आश्रित परिवारों को न केवल आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। बल्कि इसका प्रभाव उनके पोषण पर भी पड़ रहा है।
आंगनबाड़ी केन्द्र व विद्यालय बंद रहने से बच्चों व गर्भवती महिलाएं प्रभावित हो रही हैं। ऐसे में मनरेगा योजना के तहत रोजगार उपलब्ध कराने, आजीविका वर्द्धन के लिए एवं ग्रामीण परिवारों के पोषण की आवश्यकता को पूरा करने के लिए मनरेगा व राज्य आजीविका मिशन के सहयोग से दीदी बाड़ी योजना के क्रियान्वय करने का निर्णय लिया गया है।
इसके तहत लोग अपने परिवार के पोषण की आवश्यकता के अनुसार एक से पांच डिसमील जमीन पर काम कर सकते हैं। वहीं भूमिहीन ग्रामीण दो से पांच लोगों का समूह बनाकर सार्वजनिक जमीन पर ग्राम सभा के अनुमति से काम कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि लाभुकों का चयन अच्छे से कर उनको पोषण के बारे में प्रशिक्षण दिया जाए। इस योजना का क्रियान्वयन राज्य के सभी ग्रामीण परिवारों के साथ किया जना है। योजना के तहत लाभुकों का चयन राज्य आजीविका मिशन के माध्यम से किया जाएगा। लाभुक का जॉब कार्ड होना चाहिए और बैंक में खाता। अति गरीब परिवारों को योजना में वरीयता दी जाएगी। योजना का अनुमोदन ग्राम सभा व ग्राम पंचायत से किया जाएगा। दीदी बाड़ी योजना का चयन राज्य आजीविका मिशन के माध्यम से किया जाएगा। इसके तहत एक वित्तीय वर्ष में 100 मानव दिवस का कार्य दिया जाएगा। माह में 7 से 15 दिन का काम लिया जाएगा। लाभुकों को पोषणयुक्त खाना के बारे में जानकारी दी जाएगी। कार्य के हेतु मास्टर रोल प्रखंड द्वारा मनरेगा प्राविधान के अनुरूप निर्गत किया जाएगा। लाभुक व दीदी बाड़ी सखी का प्रशिक्षण राज्य आजीविका मिशन द्वारा किया जाएगा। योजना के मार्गदर्शन, सुझाव व समीक्षा हेतु राज्य, जिला व एवं प्रखंड स्तर पर एक समिति का गठन किया जाएगा। योजना की स्वीकृति मनरेगा योजना के अंतर्गत की जाएगी इस कारण कार्य का क्रियान्वयन में लगने वाली राशि का प्राक्कलन के अनुरूप मनरेगा योजना से वहन किया जाएगा। मजदूरी का भुगतान मनरेगा से किया जाएगा। वहीं सामग्री मद की राशि मनरेगा के प्राविधान के तहत लाभुक के खाते में किया जाएगा। वहीं सब्जी, बीज, पपीता, केला आदि पौधों पर होने वाला खर्च राज्य आजीविका मिशन के द्वारा किया जाएगा। प्रशिक्षण व प्रशिक्षण सामग्री का खर्च भी इसी मद से होगा। योजना का लाभ मुख्य रूप से एससी एसटी, बीपीएल परिवार, महिला प्रधान परिवार, शारीरिक रूप से दिव्यांग प्रधान वाले परिवार, लघु एवं सीमांत किसान दिया जाएगा।