कौशल विकास रोजगार की गारंटी नहीं
जागरण संवाददाता, देवघर : वेल्लोर इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नलॉजी में भारतीय आर्थिक परिषद के वाि
जागरण संवाददाता, देवघर : वेल्लोर इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नलॉजी में भारतीय आर्थिक परिषद के वार्षिक कांफ्रेंस के तकनीकी सत्र को को-चेयर के रूप में परिषद के संयुक्त सचिव व सेवानिवृत्त प्राचार्य डॉ. नागेश्वर शर्मा ने भी संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने स्किल डेवलपमेंट पर फोकस करते हुए कहा कि आज के तकनीकी प्रगति के दौर में बेरोजगारों व अलाभकारी समूहो को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना ही स्किल डेवलपमेंट स्कीम का मुख्य उद्देश्य है। स्किल डेवलपमेंट में किसी भी देश के विकास को प्रभावित करने का प्रमुख स्कीम है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, विकास की दृष्टि से प्रमुख कार्यक्रम है। कहते हैं स्किल डेवलपमेंट और रोजगार साथ-साथ चलते हैं। लेकिन, जब हम भारत के परिपेक्ष्य में इस स्कीम को परखते हैं तो पाते हैं यहां यह स्कीम बेरोजगारों व वंचित समूहों को कौशल विकास का प्रमाणपत्र प्रदान करने वाला स्कीम मात्र रह गया है। उद्देश्य तो यह है कि कौशल युक्त युवा व वंचित समूह इस प्रमाणपत्र के माध्यम से वर्तमान संदर्भित रोजगार के अवसरों को आसानी से पा सके।
प्राप्त कौशल के माध्यम से वह रोजगार बाजार में उद्यमियों व उद्योगपतियों से अच्छे वेतन, अच्छी सुविधा व स्वास्थ संबंधी सुविधाओं के लिए मोलभाव करने में सक्षम होंगे। लेकिन, भारत की परिस्थिति आज की तिथि में भिन्न है। करीब 1.80 करोड़ पंजीकृत बेरोजगार हैं। प्रतिवर्ष एक करोड़ नए बेरोजगार युवक श्रम बाजार में प्रवेश करते हैं। इनमें केवल 80 लाख को ही संगठित व असंगठित क्षेत्र में नौकरियां मिल पाती है। शेष कौशल युक्त बेरोजगार, नौकरी के लिए चक्कर काटते हैं। ऐसे में कौशल विकास योजना, रोजगार सृजन योजना न होने की वजह से बहुत सफल प्रतीत नहीं हो रहा है। भारत में कुल श्रम का मात्र सात प्रतिशत संगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं। जबकि 93 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र में। इसके विपरीत चीन में संगठित क्षेत्र में 80 प्रतिशत कार्यरत हैं। भारत में कौशल प्रमाण पत्र के प्रमाणिकता पर उद्यमियों द्वारा संदेह किया जाना एक समस्या है। वह एजेंसियों द्वारा प्रदत्त प्रमाण पत्र को अस्वीकार करते हुए रोजगार प्रदान करने से मना करते हैं। ऐसे में कौशल दे देना रोजगार देना है। रोजगार का संबंध कौशल से ज्यादा रोजगार सृजन के अवसरों के हैं।