कुछ को मुफ्त तो किसी ने अधिक पैसे देकर लिया टिकट
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से प्रदेश के 1307 मजदूरों को लेकर शनिवार सुबह श्रमिक स्पेशल ट्रेन जसीडीह स्टेशन पहुंची।
जसीडीह : कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से प्रदेश के 1307 मजदूरों को लेकर शनिवार सुबह श्रमिक स्पेशल ट्रेन जसीडीह स्टेशन पहुंची। विभिन्न प्रदेशों से राज्य के प्रवासी मजदूरों को लेकर जसीडीह पहुंचने वाली यह आठवीं ट्रेन थी। ये ट्रेन अपने निर्धारित समय से 3:30 घंटे की विलंब से सुबह करीब 9:30 पहुंची। ट्रेन में सफर कर रहे मजदूरों में से कुछ ने कहा कि उन्हें मुफ्त में टिकट मिला था तो कुछ ने बताया कि टिकट के दाम से सौ रुपया अधिक देकर उन्होंने सफर किया। ट्रेन के स्टेशन पर पहुंचने के बाद उसे बाहर से सैनिटाइज किया गया। उसके बाद एक-एक कर जिलावार ट्रेन की बोगी से बाहर निकाला गया। सबसे पहले गिरिडीह जिला के मजदूर बाहर निकले। बाहर निकलने पर इन मजदूरों को शारीरिक दूरी का अनुपालन कराते हुए कतारबद्ध होकर जांच के लिए लाया गया। पहले से मौजूद जांच टीम द्वारा इनकी स्वास्थ्य जांच की गई। उसके बाद उन्हें खाने का पैकेट व पानी का बोतल देकर गृह जिला के लिए रवाना कर दिया गया। इन मजदूरों को उनके गृह जिला ले जाने के लिए विशेष वाहन का इंतजाम किया गया था और संबंधित जिलों से पदाधिकारी व पुलिसकर्मी भी आए थे। इन मजदूरों के स्वागत के लिए स्टेशन पर एसडीओ विशाल सागर, एसडीपीओ विकास चंद्र श्रीवास्तव, डीटीओ एफ बारला, मोहनपुर सीओ प्रीतिलता मुर्मू, देवघर प्रखंड के बीडीओ विवेक किशोर, जसीडीह सीएचसी प्रभारी डॉ. एके सिंह, जसीडीह आरपीएफ प्रभारी मानस मिश्रा, जसीडीह थाना प्रभारी डीएन आजाद मौजूद थे। अधिसंख्य मजदूरों ने बताया कि उन्हें टिकट वहां की सरकार या फिर जिस कंपनी में वे काम कर रहे थे उनकी ओर से दिया गया। कुछ ने कहा कि उन्हें दलाल से टिकट खरीदना पड़ा। गिरिडीह जिले के सरया थाना क्षेत्र के पुरनीडीह निवासी मुसाइद अंसारी, बगोदर थाना क्षेत्र के बालेश्वर महतो व गिरिडीह शहर के रहने वाले विकास यादव ने बताया कि उन लोगों ने टिकट के दाम के अलावा 100 रुपया दिया। घर आना था कि इस कारण मजदूरी में उन्हें पैसा देना पड़ा। वहां दलालों ने उनकी मजबूरी का फायदा उठाया। हालांकि उन्हें इस बात की खुशी है कि वे सकुशल अपने घर पहुंच गए। रास्ते में खाने के लिए कुछ नहीं : अधिसंख्य लोगों ने जसीडीह पहुंचने पर शिकायत की और कहा कि रास्ते में उन्हें खाने की परेशानी हुई। ट्रेन पर चढ़ने से पूर्व वहां की सरकार ने खाने का पैकेट दिया था। कहा गया था कि रास्ते में खाने का इंतजाम रहेगा। जो खाना वे लेकर चले वह खत्म हो गया। लेकिन खाने का रास्ते में कोई इंतजाम नहीं हुआ। बच्चे बिस्कुट खाकर यहां पहुंचे तो बड़ों को भूखे ही रात गुजारना पड़ा। यहां खाने का पैकेट मिलने पर सभी ने राहत की सांस ली।
किस जिले के आए कितने मजदूर
बोकारो 100
चाइबासा 31
चतरा 32
देवघर 84
धनबाद 17
दुमका 94
पूर्वी सिंहभूम 10
गढ़वा 174
गिरिडीह 115
गोड्डा 97
गुमला 05
हजारीबाग 20
जामताड़ा 21
जमशेदपुर 1
खरसावां 3
खुंटी 7
कोडरमा 29
लातेहार 13
लोहरदगा 26
पाकुड़ 6
पलामू 80
पश्चिमी सिंहभूम 152
रांची 101
रामगढ़ 12
साहेबगंज 10
सरायकेला 47
सिमडेगा 2
अन्य 18