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सनातन धर्म में शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व

संवाद सहयोगी मधुपुर (देवघर) शारदीय नवरात्र शनिवार को प्रारंभ हो गया। अनुमंडल मुख्यालय क

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Oct 2020 06:42 PM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2020 05:13 AM (IST)
सनातन धर्म में शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व
सनातन धर्म में शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व

संवाद सहयोगी, मधुपुर (देवघर) : शारदीय नवरात्र शनिवार को प्रारंभ हो गया। अनुमंडल मुख्यालय के विभिन्न दुर्गा मंदिरों एवं मंडपों में कलश स्थापित किया गया।

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शारदीय नवरात्र पर कलश स्थापित करने का काम सुबह छह बजे के बाद शुरू हुआ। कलश स्थापना के साथ ही नवरात्र की पूजा शुरू हो गई। सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुरूप ही दुर्गा मंदिरों में शारीरिक दूरी का ध्यान रखते हुए पुरोहितों ने फेस मास्क लगाकर पूजा अर्चना की। कश्रद्धालुओं ने अपने घरों में भी कलश स्थापित किया। आचार्य बलदेव पांडेय ने कहा कि सनातन धर्म में शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व है। इस वर्ष नवरात्र नौ दिनों का होगा। गंगा की मिट्टी, गंगाजल, चंदन, अक्षत, फल -फूल, चुनरी, कलश, आम का पल्लव, दूब, मिठाई, पंचामृत, धूप, दीप, घी व सुपारी आदि सामग्री से कलश स्थापित कर मां दुर्गा की पूजा की गई। गांधी चौक स्थित पुराना धर्मशाला दुर्गा मंदिर, शेखपुरा स्थित राजराजेश्वरी दुर्गा मंदिर, पुल पार दुर्गा मंदिर, रामचंद्र बाजार दुर्गा मंदिर, कॉलेज रोड दुर्गा मंदिर, कालीपुर टाउन स्थित दुर्गा मंदिर, डंगालपाड़ा दुर्गा मंदिर, खलासी मोहल्ला मिलन संघ दुर्गा मंदिर, लालगढ़ दुर्गा मंदिर, भैरवा नावाडीह दुर्गा मंदिर, गड़िया दुर्गा मंदिर, पंचमंदिर दुर्गा मंदिर, न्यू रेलवे कॉलोनी दुर्गा मंदिर सहित अनुमंडल के विभिन्न दुर्गा मंदिरों में कलश स्थापित किया गया। कलश स्थापना के दौरान वेद मंत्रों की ध्वनि से पूरा वातावरण गूंजता रहा। माता के भजनों से अनुमंडल मुख्यालय भक्तिमय हो गई। नवरात्र की पूजा करने के लिए शहर के कई पूजा समितियों द्वारा विद्वान पंडितों को बुलाया गया है। बढ़ गई फूलों की कीमत

शुक्रवार सुबह तक बाजार पटरी पर था, लेकिन शाम ढलते ही अड़हुल, अपराजिता, चंपा, कमल और गेंदा की कीमतें बढ़ गईं, क्योंकि नवरात्र में इन पांचों फूलों की खपत तीन गुना बढ़ जाती है। मधुपुर की फूल मंडी में सामान्य की अपेक्षा तीन गुना फूलों की आवक कोलकाता से हुई। इसमें अड़हुल व गुड़हुल फूलों की आवक सबसे अधिक हुई। इसकी 10 हजार कलियां मंगाई गई है। फूल बाजार पूरी तरह से कोलकाता पर निर्भर है। देवी पूजन के लिए अड़हुल, अपराजिता, चंपा, कमल और गेंदा फूलों की जरूरत पड़ती है।


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