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Deoghar News:पुलिस कर्मी के बेटे निकले साइबर ठगी के मास्टर माइंड

देवघर पुलिस ने साइबर ठगी के मामले में तीन गिरफ्तार। इसमें दो रिश्ते में सगा भाई है जबकि तीसरा चचेरा भाई। पुलिस की ली गई तलाशी में इनलोगों के यहां से 11 लाख रुपये नकदी बरामद हुआ। इसमें 17 फर्जी सिम पांच मोबाइल एक पासबुक सहित 23 एटीएम मिलें हैं।

By Jagran NewsEdited By: Gautam OjhaPublished: Wed, 30 Nov 2022 11:29 PM (IST)Updated: Wed, 30 Nov 2022 11:29 PM (IST)
Deoghar News:पुलिस कर्मी के बेटे निकले साइबर ठगी के मास्टर माइंड
गिरफ्तार साइबर अपराधियों के बारे जानकारी देती पुलिस।

जागरण संवाददाता, देवघर : साइबर थाने की पुलिस टीम ने साइबर ठगी के मामले में तीन युवकों को जसीडीह से गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपितों में सेलू कुमार पाठक और अभय कुमार पाठक सगे भाई हैं। ये मूल रूप से जसीडीह के बदिया गांव का रहने वाले हैं। मिली जानकारी के मुताबिक इन दोनों के पिता पुलिस कर्मी हैं। वे झारखंड पुलिस में ही कार्यरत हैं। पुलिस मामले से जुड़े सभी बिंदुओं की जांच कर रही है। सेलू कुमार पाठक और अभय कुमार पाठक जसीडीह के सिमरिया में घर बनाकर रह रहे थे जबकि तीसरा रौशन कुमार पाठक इन दोनों का चचेरा भाई है। वह बदिया गांव का रहनेवाला है। पुलिस टीम ने जब इनके घर की तलाशी ली तो सभी हैरान रह गए। इनके घर से 11 लाख नकदी, पांच मोबाइल, 17 फर्जी सिम, एक पासबुक और 23 एटीएम कार्ड बरामद किया गया। पुलिस पूछताछ में पता चला है कि ये लोग साइबर ठगों के सहयोगी के रूप में काम करते हैं। गिरफ्तार सभी साइबर ठग बैंक से रुपये निकालने का काम करते थे।

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साइबर अपराधियों के घर से बरामद 11 लाख रुपये नकदी समेत मोबाइल, सिम कार्ड व एटीएम कार्ड। जागरण 

इनके लिए ये लोग दूसरों के एटीएम और यूपीआइ का इस्तेमाल करते थे। पैसा निकलने के बदले इन्हें 20 प्रतिशत बतौर कमीशन मिलता था। सेलू के मोबाइल व सिम के शुरुआती जांच में पता चला है कि इसके देश के अन्य राज्यों में आठ आपराधिक लिंक हैं। ये लिंक और अधिक होने का अंदेशा है। इसी कारण पुलिस अभी बरामद अन्य सिम की भी जांच कर रही है। वहीं ये भी पता लगाया जा रहा है कि ये पैसा ये लोग किन साइबर ठगों के लिए निकालते थे। अगर इनके पास इतना पैसा है तो ये लोग जिनके लिए रुपये की निकासी करते हैं उनके पास कितना पैसा होगा इस भी सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। वहीं पुलिस ये भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि जो एटीएम इनके पास से मिले हैं उनका खाताधारक असल में कौन हैं। क्या उनकी भी इसमें भूमिका है या फिर ये लोगों को झांसा में लेकर उनका बैंक खाता खोलकर उसका बेजा इस्तेमाल कर रहे थे। वहीं कहीं खाताधारक भी तो इन लोगों से नहीं मिले हुए हैं।


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