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पेट की आग बुझाने में टूट रहा शारीरिक दूरी का दायरा

दीदी किचन के माध्यम से सिर्फ दोपहर का खाना मुहैया कराया जाता है जिसमें दाल भात सब्जी या फिर खिचड़ी की व्यवस्था रहती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 May 2020 04:23 PM (IST)Updated: Sun, 24 May 2020 04:23 PM (IST)
पेट की आग बुझाने में टूट रहा शारीरिक दूरी का दायरा
पेट की आग बुझाने में टूट रहा शारीरिक दूरी का दायरा

देवघर : कोविड-19 से प्रभावित गरीब व जरूरतमंदों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए जिले में झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन समेत कई सरकारी व गैर-सरकारी संगठनों से भोजन की व्यवस्था की गई है। देवघर में 196 दीदी किचन का संचालन हो रहा है। एक प्लेट भोजन के लिए तकरीबन 9.50 रुपये आवंटित है और एक केंद्र पर औसतन 60 से 70 लोग खाना खा रहे हैं। जाहिर है इतने कम पैसे में भरपेट भोजन की कल्पना सामान्य तौर पर संभव नहीं है। सो, कई बार भोजन के गुणवत्ता पर सवाल भी उठे हैं। दीदी किचन के माध्यम से सिर्फ दोपहर का खाना मुहैया कराया जाता है जिसमें दाल, भात, सब्जी या फिर खिचड़ी की व्यवस्था रहती है। इस दौरान कई जगहों पर शारीरिक दूरी के मापदंडों की अनदेखी तो कई जगहों पर केंद्र से खाना घर ले जाकर खाने की भी सूचनाएं आम हैं। रविवार को दैनिक जागरण की ओर से इन दीदी किचन की व्यवस्था पर जमीनी हकीकत लेने की कोशिश की गई। कई जगह लापरवाही दिखी। पढि़ए पूरी रिपोर्ट। ------------------

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कचहरी परिसर : सैनिटाइजर व शारीरिक दूरी का हो रहा पालन

देवघर के कचहरी परिसर में संचालित दीदी किचन में औसतन 400 से अधिक लोग भोजन करते हैं। इस केंद्र को दाल-भात योजना से टैग कर चलाया जा रहा है। यहां सुबह नौ से शाम चार बजे तक भोजन उपलब्ध रहती है। यहां हाथ सफाई के लिए सैनिटाइजर रखा गया है। शारीरिक दूरी का भी पालन हो रहा है। दाल-भात योजना केंद्र, चांदपुर : खिचड़ी लेकर घर लौट जाते लाभुक

देवघर-जसीडीह मार्ग पर स्थित है यह केंद्र। दिन के 12 बजे तक लोग खिचड़ी लेकर जा चुके थे। केंद्र में सिर्फ जयकारा स्वयं सहायता समूह की सोनाली कुमारी, रेणु देवी, प्रमिला देवी, अनिता देवी मौजूद थीं। सोनाली ने कहा कि सभी लाभुक अपना खाना लेकर चले गए। अधिसंख्य लोग अपना खाना यहां से ले जाते हैं। कुछेक ही यहां खाते हैं। सगराजोर दीदी किचन : आज यहां भात, दाल और परवल की सब्जी

पालोजोरी क्षेत्र के 25 पंचायतों में मुख्यमंत्री दीदी किचन संचालित है। रविवार को सगराजोर पंचायत के सगराजोर स्वंय सहायता द्वारा संचालित दीदी किचन में लाभुकों के बीच दाल, भात और परवल की सब्जी दी गई। ग्रामीणों ने कहा कि यहां मंगलवार व शनिवार को खिचड़ी और चोखा दिया जाता है। भोजन की गुणवत्ता को लेकर शिकायत नहीं है। महुआडाबर दीदी किचन : खाना लेने के क्रम में टूट रहा था शारीरिक दूरी का मापदंड

महुआडाबर पंचायत में गुलाब स्वयं सहायता समूह द्वारा दीदी किचन संचालित है। रविवार को यहां 70 लाभुकों को खाना खिलाया जा रहा था। इस दौरान यहां शारीरिक दूरी का पालन हो रहा था। ग्रामीणों के बीच खाना लेने के दौरान इसकी कमी जरूर दिख रही थी। इसके लिए दीदी किचन की संचालिका बार-बार हिदायत दे रही थी। यहां भी सिर्फ एक वक्त का खाना दिया जा रहा है। गादी दीदी किचन : खाना बनाने में मदद करते हैं ग्रामीण

बांधडीह पंचायत के गादी में दीदी किचन का संचालन स्वयं सहायता समूह की सिदुला हांसदा कर रही हैं। सिदुला के मुताबिक यहां प्रतिदिन 100 से 125 आदिवासी समुदाय के ग्रामीण खाना खाते हैं। इन्हें खाना में दाल-भात व सब्जी परोसा गया था। शनिवार व मंगलवार को यहां खिचड़ी बनता है। खाना बनाने में ग्रामीण भी मदद करते है। ग्रामीणों को यहां के खाने की गुणवत्ता पर संतोष है। पिपरा दीदी किचन : क्वारंटाइन पर रहने वालों को भेजी जाती खिचड़ी

करौं प्रखंड के 14 पंचायत के विभिन्न गांवों में मुख्यमंत्री दीदी किचन संचालित है। अधिसंख्य केंद्रों पर खिचड़ी परोसी जा रही है। रविवार को प्रखंड के सिरसा पंचायत अंतर्गत पिपरा गांव में मां काली आजीविका सखी मंडल द्वारा संचालित दीदी किचन में लगभग 70 लोगों को भोजन कराया गया। सिरसा स्कूल में क्वारंटाइन 13 मजदूरों को यहीं से भोजन पहुंचाया जाता है। सारवां : यहां रूट चार्ट के मुताबिक चलंत विशिष्ट दाल योजना

सारवां प्रखंड क्षेत्र के 11 पंचायतों में दीदी किचन की शुरुआत की गई थी जिसे बाद में बढ़ाकर 14 पंचायतों में कर दिया गया। हालांकि अब यहां सात ही स्थानों पर दीदी किचन संचालित है। सात केंद्रों के बंद होने के पीछे मुख्य वजह सुखी-संपन्न लोग भी केंद्र पर तीनों वक्त भोजन करना चाहते थे जबकि इसके मुताबिक बजट का कोई प्रावधान नहीं था। प्रखंड स्तर पर एक चलंत विशिष्ट दाल भात योजना संचालित है जो विभिन्न पंचायतों में चिह्नित केंद्रों पर जाकर भोजन उपलब्ध कराते हैं। गड़िया मवि, मधुपुर : तीन दिन सब्जी भात व तीन दिन खिचड़ी

मधुपुर प्रखंड में 21 पंचायतों के 25 स्थानों पर दाल भात केंद्र के माध्यम से जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। रविवार को दोपहर 12:30 बजे प्रखंड के गड़िया पंचायत गांव स्थित मध्य विद्यालय में चंद्रवंशी आजीविका सखी मंडल द्वारा संचालित दीदी किचन में लगभग 80 लोगों को भोजन कराने की व्यवस्था की गई थी। भोजन करने वालों में महिलाएं, बच्चे व बुजुर्ग शामिल हैं। नेमुआ देवी, शकुंतला देवी व डोमिनी देवी यहां भोजन बनाती हैं। भोजन करने वाले लोगों को साबुन से हाथों की धुलाई कराया जाता है। सैनिटाइजर भी उपलब्ध है। सप्ताह में तीन दिन भात, रसेदार सब्जी तो कभी दाल और तीन दिन खिचड़ी खिलाया जाता है। भोजन की गुणवत्ता के साथ खाने वालों के बीच शारीरिक दूरी का पालन किया जाता है। सारठ दीदी किचन : बच्चे और साम‌र्थ्यवान भी आ रहे भोजन करने

सारठ प्रखंड के 27 पंचायतों में दीदी किचन चलाया जा रहा है। सारठ समेत अधिसंख्य केंद्रों पर शारीरिक दूरी का पालन नहीं हो रहा है। कई केंद्रों पर स्कूली बच्चे व गांव के साम‌र्थ्यवान लोग भी भोजन करने पहुंच रहे हैं। हालांकि इसकी मॉनीटरिग बीडीओ के स्तर से किया जा रहा है लेकिन इसके बाद भी कई केंद्रों पर स्थिति ठीक नहीं है। पहरीडीह दीदी किचन : खाना खाने आते हैं तीनों टोला के लाभुक

मोहनपुर प्रखंड के पहरीडीह में संचालित दीदी किचन में तीन टोला के लाभुक अलग-अलग दिन खाना खाने आते हैं। रविवार को यहां 60 से 70 ग्रामीण खाना खाने के लिए बैठे थे। शारीरिक दूरी का ध्यान रखा गया था। केंद्र की संचालिका ने कहा कि अब तक दो बार में 40 हजार रुपये केंद्र चलाने के लिए मिला है। ताराबाद दीदी किचन : चार दिन दाल-भात व तीन दिन खिचड़ी

ताराबाद दीदी किचन में दिन के 12 बजे खाना बन ही रहा था। इधर खाने के लिए लाभुक भी धीरे-धीरे केंद्र पर जुटने लगे थे। इस केंद्र का संचालन मां गायत्री स्वयं सहायता समूह की ओर से किया जा रहा है। समूह की अध्यक्षा रुक्मिणी देवी ने कहा कि भोजन की गुणवत्ता व शारीरिक दूर का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। यहां मौजूद ग्रामीणों से पूछने पर कहा कि भोजन की गुणवत्ता ठीक है।


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