सड़क न पानी, कैसे कटेगी जिदगानी
देवघर) करौं प्रखंड की बिरेनगड़िया पंचायत अंतर्गत सोनाबांक गांव के लोगों की सुध लेने वाला क
देवघर): करौं प्रखंड की बिरेनगड़िया पंचायत अंतर्गत सोनाबांक गांव के लोगों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। आजादी के 71 वर्ष गुजर जाने के बाद भी न तो गांव की तस्वीर बदली और न यहां के निवासियों की तकदीर। 70 घरों के इस गांव की आबादी लगभग 750 है। गांव में अधिकांश गोस्वामी समुदाय के लोग रहते हैं। गांव की मुख्य समस्या पेयजल व सड़क की है। इसके अलावा गांव में किसी व्यक्ति का नाम बीपीएल सूची में नहीं है। प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिलने का मलाल यहां के लोगों को है। लोगों की जीविका पुरोहित गिरि से जैसे-तैसे चलती है। सुबह से लेकर शाम तक गांव-गांव भटकने के बाद घर में दोनों शाम का चूल्हा जलता है। पवन गोस्वामी, राजेश गोस्वामी, अनिल गोस्वामी, बासुदेव गोस्वामी, झालो गोस्वामी, महेन्द्र गोस्वामी आदि का कहना है कि प्रखंड में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत कई सड़कों का निर्माण कराया गया है। लेकिन सोनाबांक की सड़क पर आजतक किसी की नजर नहीं पड़ी है। मुख्य सड़क में नुकीले पत्थर निकल आए हैं। वाहनों का गुजरना दूर की बात इस पर पैदल चलना भी ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है। सड़क की स्थिति जर्जर रहने के कारण प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। ग्रामीणों ने सड़क निर्माण कराने की मांग की है।
पानी के लिए हाहाकार, कब जागेगी सरकार: यह गांव पूर्ण रूप से सूखा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। जिस कारण ग्रामीणों को सालों भर पेयजल संकट का सामना करना पड़ता है। अभी से गांव स्थित चापाकल से पानी निकलना बंद हो गया है। कुआं एवं तालाब सूख चुके हैं। आलम यह कि गांव में चापाकल के लिए बोरिग कराने पर पानी नहीं निकलता है। ऐसी स्थिति रहने के बाद भी इस गांव को पेयजलापूर्ति योजना से जोड़ा नहीं गया है।