आज से गुलजार होने लगता था जसीडीह रेलवे स्टेशन
लॉकडाउन के कारण श्रावणी मेले में पहली बार प्रथम सोमवार को जसीडीह स्टेशन पर सन्नाटा पसरा रहा।
जसीडीह : लॉकडाउन के कारण श्रावणी मेले में पहली बार प्रथम सोमवार को जसीडीह स्टेशन पर सन्नाटा पसरा रहा। देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ मंदिर में श्रावणी माह के दौरान गंगाजल चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है लेकिन इस वर्ष यह परंपरा टूट गई। सावन में श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना के लिए प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में ट्रेन से आवागमन करते हैं। इससे रेलवे को प्रतिवर्ष एक माह के दौरान लगभग 20 करोड़ रुपये से अधिक की आमदनी होती थी। लॉकडाउन के कारण सभी ट्रेनों को रद्द कर दिए जाने और राज्य सरकार की ओर से मेला का आयोजन नहीं किए जाने से श्रद्धालुओं में काफी मायूसी है। श्रावणी मेला के 15 दिन पूर्व से ही जसीडीह स्टेशन परिसर को बिजली के उपकरणों से दुल्हन की तरह सजाया जाता था। स्टेशन की सुरक्षा एवं अन्य प्रकार की सुविधा प्रदान करने के लिए हजारों की संख्या में रेलकर्मी हमेशा मौजूद रहते थे लेकिन मेला का आयोजन नहीं होने को लेकर रेलवे की ओर से इस बार किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं की गई है। अभी हावड़ा-नई दिल्ली के बीच पूर्वा सुपर और जनशताब्दी एक्सप्रेस का परिचालन हो रहा है। जबकि जसीडीह से टाटानगर की ओर मात्र एक ट्रेन का परिचालन हो रहा है। इन गाड़ियों में सभी यात्री आरक्षित टिकट लेकर ही सफर करते हैं। जबकि प्रत्येक वर्ष सावन में यात्रियों के आवागमन की सुविधा को लेकर रेल प्रशासन की ओर से लगभग छ: जोड़ी स्पेशल ट्रेन का भी परिचालन मेला के दौरान किया जाता था। लॉकडाउन की वजह से हावड़ा-नई दिल्ली मुख्य मार्ग पर नियमित चलने वाली सैकड़ों रेलगाड़ियों की आवाजाही पूर्ण रूप से बंद होने से जसीडीह स्टेशन में सन्नाटा पसरा हुआ है।