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लेवी के बहाने दहशत फैलाने में जुटे नक्सली

मोहनपुर (देवघर) : पुल निर्माण करने वाली कंपनी से 70 लाख रुपये लेवी की मांगने की घटना ने स

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Jan 2018 06:45 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jan 2018 06:45 PM (IST)
लेवी के बहाने दहशत 
फैलाने में जुटे नक्सली
लेवी के बहाने दहशत फैलाने में जुटे नक्सली

मोहनपुर (देवघर) : पुल निर्माण करने वाली कंपनी से 70 लाख रुपये लेवी की मांगने की घटना ने सीमावर्ती इलाके में एक बार फिर नक्सली अपना पांव जमाने के फिराक में है। 26 दिसंबर 2017 में पोस्टरबाजी की वारदात को अंजाम इसी कड़ी का एक हिस्सा हो सकता है। पोस्टरबाजी की घटना को पुलिस ने शरारती तत्वों द्वारा हरकत की बात कह कर हल्के में लिया था। हालांकि, इस इलाके में इस तरह की पोस्टरबाजी की घटनाएं कई बार की गई थी। उसके कुछ समय बाद मनोज यादव की हत्या के लिए जिस तरह के तरीके का इस्तेमाल किया गया है। उससे हत्याकांड को भी नक्सली संगठन से जोड़ कर देखा जा रहा है। वहीं 2 सितंबर 2017 में शैलेन्द्र यादव की हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड को भी जेपीसी संगठन द्वारा अंजाम दिए जाने की आशंका व्यक्त की जा रही है। 2013 में बीचगढ़ा के मुखिया पति सुखदेव यादव की हत्या में संगठन का हाथ बताया जा रहा था।

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सीमावर्ती इलाके में बढ़ रही है संगठन की गतिविधि

सूत्रों पर भरोसा करें तो सीमावर्ती इलाका में संगठन की गतिविधि देखे जाने की बात कही जा रही है। पुलिस भी लगातार संगठन की हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए है। इससे यह साफ पता चलता है कि जेपीसी एक बार फिर से इस इलाके में अपना पांव जमाने की फिराक में जुट गया है। इतना ही नहीं पांव जमाने के लिए संगठन में नए युवकों को भर्ती करने का काम शुरू कर दिया गया है। इन युवकों पर प्रलोभन देकर संगठन से जोड़ने का काम किया जा रहा है।

2008 में कराया था उपस्थिति का एहसास

2008 में सरासनी स्थित रेलवे पुल निर्माण कंपनी से 10 लाख की लेवी मांग कर संगठन ने अपना पांव जमाया था। बाद में बस विस्फोट कर जेपीसी ने इलाके में दहशत फैलाने का काम किया था। इसी वर्ष संगठन के मुखबिरी का आरोप लगाते हुए नवाडीह (कलकतिया धर्मशाला) निवासी विष्णु यादव की हत्या कर दी गई थी। उस दौरान लगातार इलाके में अपनी गतिविधियों का एहसास कराने के लिए छोटी-बड़ी वारदात को अंजाम दिया जाता रहा था।

पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था राजेश मांझी

बढ़ती नक्सली गतिविधियों ने पुलिस के आंखों की नींद चुरा ली थी। रह-रहकर संगठन वारदातों को अंजाम देकर पुलिस के सामने चुनौती पेश कर रहा था। पुलिस ने तब चुनौती को स्वीकार करते हुए संगठन के स्वयंभू एरिया कमांडर राजेश मांझी को मुठभेड़ में मार गिराया था। इस दौरान पुलिस ने घटनास्थल से भारी मात्रा में हथियारों का जखीरा बरामद किया था। वहीं पुलिस ने संगठन के एक सदस्य गिरधारी मांझी को गिरफ्तार कर लिया था। राजेश मांझी की मौत के बाद उसका भाई गणेश मांझी उर्फ लोहा ¨सह ने संगठन की कमान संभाल लिया था। भाई का बदला लेने के फिराक में कई घटनाओं को अंजाम दिया था। लोहा मोहनपुर व जसीडीह इलाके में अपना दहशत कायम कर चुका था। बाद में पुलिस ने संगठन के एक-एक कर बड़ी संख्या में सदस्यों को गिरफ्तार कर लोहा की कमर तोड़ दिया था। वह भाग कर चतरा चला गया और वहीं से संगठन का संचालन करने लगा। कुछ दिन बाद चतरा के सिमरिया थाना में पुलिस मुठभेड़ में उसे मार गिराया गया था।


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