संक्रमण काल में मुश्किल हुआ करौं के पुजारियों का भरण पोषण
संवाद सहयोगी करौं (देवघर) पुजारियों का भरण-पोषण मंदिर में आने वाले भक्तों के दान दि
संवाद सहयोगी, करौं (देवघर) : पुजारियों का भरण-पोषण मंदिर में आने वाले भक्तों के दान दक्षिणा व प्रसाद से ही चलता है। कोरोना संक्रमण काल में मंदिरों में केवल पुजारियों को ही पूजा-अर्चना की अनुमति है। कोरोना संक्रमण फैलने के भय से मंदिरों के कपाट खोलने की मनाही है।
मंदिरों में देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना केवल पुजारियों को ही करनी है। घरों में भी धार्मिक अनुष्ठान में भीड़ पर रोक लगाई गई है। ऐसे में प्रखंड मुख्यालय समेत आसपास के दो दर्जन से अधिक पुजारियों की रोजी-रोटी छीनने के साथ उनके समक्ष परिवार का भरण-पोषण करने का संकट दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहा है। प्रखंड मुख्यालय के कर्णेश्वर शिव मंदिर, कोटाल काली मंदिर, धर्मराज मंदिर, दे पाड़ा स्थित दुर्गा मंदिर, गंधेश्वरी मंदिर, विष्णु मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, चंडीतल्ला स्थित डोमाय चंडी मंदिर, आचार्य टोला स्थित दुर्गा मंदिर, हनुमान मंदिर समेत अन्य ऐसे मंदिर हैं, जहां हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते थे एवं पूजा अर्चना करते थे। भक्तों की आस्था के चलते उनके द्वारा दान दक्षिणा दी जाती थी। हर दिन तीन से पांच सौ रुपये तक का चढ़ावा आने से पुजारियों की आजीविका चलती थी अब यह बंद हो गया है। इतना ही नहीं शहर में घर-घर जाकर पुजारी देवी-देवताओं की पूजा करते थे। लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते इसकी भी मनाही है।
क्या कहते हैं पुजारी
भूपाल ओझा, रवि पुजारी, नीलमणि आचार्य, सरोज पुजारी, विमल मिश्र, सुकुमार मिश्र, देबू पुजारी, हराधन शर्मा, श्यामापद बनर्जी, उत्तम मुखर्जी आदि का कहना है कि अनलॉक वन एवं टू में सबकुछ खुल गया मगर मंदिर अब तक नहीं खुले हैं। कहा कि मंदिर में चढ़ावा नहीं आने की वजह से उनको खाने के लाले पड़ गए हैं। इन मंदिरों में नित्य पूजा करना अनिवार्य है। पूजा सामग्री खरीदने में भी अब परेशानी होने लगी है। सरकार को मंदिर खोलने पर विचार करना चाहिए।