इस्तीफा देनेवाले डीडीओ की नियुक्ति पर सवाल
देवघर : मध्य विद्यालय बालक, जसीडीह के प्रधानाध्यापक चंद्रशेखर पांडेय ने बीते छह जून को विभाग के असहय
देवघर : मध्य विद्यालय बालक, जसीडीह के प्रधानाध्यापक चंद्रशेखर पांडेय ने बीते छह जून को विभाग के असहयोग व अनर्गल आरोप की बात कहते हुए निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी के दायित्व से मुक्त होने के लिए इस्तीफा दिया है। हालांकि अभी तक इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है।
वहीं दूसरी तरफ चंद्रशेखर पांडेय की नियुक्ति ही सवालों के घेरे में आ गई है। सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक व अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष डॉ. ओमप्रकाश पांडेय ने उनकी नियुक्त पर सवाल खड़ा करते हुए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव तथा प्राथमिक शिक्षा निदेशक को लिखित शिकायत की है। जिसके आलोक में राज्य कार्यालय द्वारा मामले की जांच भी शुरू कर दी गई है। क्या है आरोप : विभागीय मुख्य सचिव को दिए आवेदन में सेवानिवृत्त शिक्षक डॉ. ओमप्रकाश पांडेय ने आरोप लगाया है कि मवि बालक, जसीडीह में कार्यरत चंद्रशेखर पांडेय का नियुक्ति पत्र जाली है। उनकी नियुक्ति संबंधी कोई संचिका जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय, दुमका में नहीं है। यहां यह स्पष्ट कर दें कि वर्ष 1984 के पूर्व देवघर भी दुमका जिला में शामिल था। आवेदन डॉ. पांडेय ने यह भी कहा है कि तत्कालीन दुमका डीएसई हरिनारायण झा के द्वारा बिना जिला शिक्षा स्थापना समिति के स्वीकृति के नियुक्तियों को बिहार सरकार व पटना उच्च न्यायालय द्वारा समाप्त कर दी गई है। इसके अलावा तत्कालीन डीएसई, दुमका कामेश्वर ठाकुर द्वारा तीन जून 1983 को निर्गत आदेश से पूर्व के डीएसई द्वारा की गई नियुक्ति, स्थानांतरण व प्रोन्नति पर रोक लगा दी गई थी। डॉ. पांडेय ने यह भी कहा है कि चंद्रशेखर पांडेय के नियुक्ति पत्र का मासिक वृतिका 150 रुपए पर हुई है। उन्हें तीन वर्ष के अंदर प्रशिक्षण प्राप्त कर लेना था। नियुक्ति के समय उनकी योग्यता स्नातक अप्रशिक्षित थी। विभागीय नियम के आलोक में 150 रुपए मासिक वृतिका वाले सभी अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षण के बाद मैट्रिक प्रशिक्षण का वेतनमान पाना है। वर्ष 1986 में डीएसई कार्यालय देवघर बनने के बाद चंद्रशेखर पांडेय ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है तथा मध्य विद्यालय रिखिया में स्नातक विज्ञान का कोई स्वीकृत पद नहीं रहने के कारण छह अक्टूबर 1987 को तत्कालीन देवघर डीएसई द्वारा निर्गत आदेश के आलोक में उन्हें मवि चंदना में सामंजित कर दिया गया तथा बिना जिला शिक्षा स्थापना समिति के स्वीकृति के स्नातक प्रशिक्षित का वेतनमान दिया गया, जो बिल्कुल अवैध है। डॉ. पांडेय ने यह भी सवाल खड़ा किया है कि चंद्रशेखर पांडेय की नियुक्ति के समय योग्यता स्नातक थी। ऐसे में सेवाकाल में रहते हुए पीजी की डिग्री कैसे मिली। इससे प्रमाणित होता है कि उनकी पीजी की डिग्री फर्जी है, जिस पर उन्होंने प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति ली है।
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चंद्रशेखर पांडेय की नियुक्ति से संबंधित जांच राज्य कार्यालय द्वारा कराई जा रही है। उनकी नियुक्ति से संबंधित संचिका भी मांगी गई है। डीएसई कार्यालय के लिपिक रोहित को दुमका विरमित कर दिया गया है, जबकि जिस लिपिक को संचिका का प्रभार दिया जाना था, वह अवकाश पर है, जैसे ही वापस आएगा संचिका उपलब्ध करा दी जाएगी। जांच पूरी होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। डीडीओ पद से चंद्रशेखर पांडेय की नियुक्ति पर अभी कोई विचार नहीं हुआ है।
छंट्टू विजय ¨सह, जिला शिक्षा अधीक्षक, देवघर