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इस राह में हठ, तप, साधना योग और सेवा की गंगा

राजीव कांवरिया पथ सरासनी से श्रावणी मेला का चौथा दिन शनिवार। सुल्तानगंज से बैद्यनाथ धाम तक भ

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Jul 2019 05:44 PM (IST)Updated: Sun, 21 Jul 2019 06:33 AM (IST)
इस राह में हठ, तप, साधना योग और सेवा की गंगा
इस राह में हठ, तप, साधना योग और सेवा की गंगा

राजीव, कांवरिया पथ सरासनी से : श्रावणी मेला का चौथा दिन शनिवार। सुल्तानगंज से बैद्यनाथ धाम तक भगवामय पैदल कांवर यात्रा की राह। अब यह राह कांवरियों की अनवरत चाल से गुलजार है। कारवां ऐसा कि थमने के बजाए बस आगे बढ़ने की धुन। अभी सुबह के पांच बजे हैं। झारखंड-बिहार की सीमा दुम्मा से बाबा मंदिर तक गेरुवा रंग से पटा कांवरिया पथ। तकरीबन 10 किलोमीटर की दूरी कांवरियों के लिए कोई मायने नहीं रखता है। एक से बढ़कर एक वेशभूषा और रहन-सहन वाले श्रद्धालु। मानो इस राह में हठ, तप, साधना, योग और सेवा की अविरल गंगा बह रही हो। यहां दोनों राज्यों की ओर से कड़ी व पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था। झारखंड के क्षेत्र में बने अस्थायी पुलिस कैंप में डीएसपी मुकेश महतो कर्तव्य पर मुस्तैदी से तैनात। सुबह के तकरीबन सात बजे। दुम्मा से कुछ दूर आगे निकलने पर कांवरिया पथ पर उत्तरप्रदेश मिर्जापुर के कांवरियों का जत्था एक पेड़ की छांव में सुस्ताते हुए मिल जाते हैं। इस जत्था में एक कांवरिया हू-ब-हू गणेश रुपी। खास बात यह कि नाम भी गणेश ही। इसके अलावा इस जत्था में उमेश सिंह, अमित सिंह, प्रबल सिंह, सोनू सिंह, नीरज सिंह, बऊ सिंह समेत कई शामिल हैं। पूछने पर कहते हैं कि 14 साल से लगातार कांवर लेकर आ रहे हैं। दिनोंदिन कांवरिया पथ पर सुविधाएं बढ़ती जा रही हैं, जिससे काफी राहत मिल रही है। वहां से कुछ ही दूर आगे बढ़ने पर उदयपुरा के पास छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक से मुलाकात होती है। चाक-चौबंद सुरक्षा के घेरे में लेकिन पैदल ही कांवर यात्रा पर। धरमलाल कौशिक बीते 19 साल से लगातार कांवर यात्रा कर बाबाधाम आते हैं। यहां से आगे निकलने पर सरासनी का क्षेत्र पड़ता है। यहीं पर लातेहार से आए आलोक मोहन स्मृति सेवा आश्रम का शिविर बीते पांच साल से लग रहा है। रामनाथ अग्रवाल अपने पुत्र की स्मृति में इस शिविर को चला रहे हैं। इस शिविर की कई खासियत हैं। यहां भी दूसरे शिविरों की तरह ही कांवरियों को हर तरह से सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन सबसे अहम यह है कि इस शिविर में प्रतिदिन सुबह और शाम योग शिविर लगता है, जिसमें कांवरियां भी शामिल होते हैं। यहां योगाभ्यास कराते हैं इंडियन आर्मी से सेवानिवृत्त योग प्रमुख सनातन वीसी। सनातन कहते हैं कि शिविर में योगाभ्यास कराने का उद्देश्य स्वास्थ्य व संस्कृति से जुड़ा है। इस शिविर में सुबह पांच बजे से ही कांविरयों की सेवा प्रारंभ हो जाती है। तकरीबन 45 सदस्य एक साथ मिलकर सेवा करते हैं। दोपहर और शाम में यहां भंडारे का आयोजन किया जाता है और रात्रि में कांवरियों को लिए भक्ति जागरण का भी इंतजाम है। इसी शिविर से सटे राजामनी राउत का पान की दुकान है। राजामनी तकरीबन 32 साल से यहां पानी गुमटी लगाते हैं। कहा कि 10 से 12 हजार रुपये की कमाई हो जाती है पूरे महीने में। समय के साथ मेला का स्वरुप बदल चुका है और अब एक सिक पान की कीमत 10 रुपये तक पहुंच गई है। राजामनी कहते हैं कि इसके बाद भी पान के शौकीन यहां पान खाना नहीं भूलते। इसी बीच शिव की नगरी काशी से आए हीरालाल की आवाज आई बम एक सिक पान लगाइए तुलसी जर्दा मार के। खिजुरिया से आगे बढ़ने पर कतारबद्ध कांवरियों में जबरदस्त उत्साह और नेहरु पार्क के करीब कोलकाता से आए देसी ब्वायज की वेशभूषा में कांवरियों का जयकारा यह सहज एहसास दिलाते हुए कि अब ज्यादा वक्त नहीं लगेगा शिव के दर्शन में।

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