श्रावण माह में बाबा भोले पर जलार्पण का विशेष महत्व
श्रावण माह में भगवान शिव पर जलार्पण करने का विशेष महत्व है।
जागरण संवाददाता, देवघर। यूं तो पूरे वर्ष में बाबा बैद्यनाथ की पूजा-अर्चना एवं जलार्पण की अपनी महत्व है। लेकिन, श्रावण माह में भगवान शिव पर उत्तरवाहिनी गंगाजल से जलार्पण करने का विशेष महत्व है।
श्रद्धालु 105 किलोमीटर दूर सुल्तानगंज से उतरवाहिनी गंगाजल कांवर में लेकर बाबाधाम पहुंचते हैं। यहां पहुंचने के बाद परंपरा के अनुरूप बाबा पर जलार्पण करने से पूर्व पवित्र शिवगंगा में स्नान करते हैं। उसके बाद मनोकामनादायी ज्योतिर्लिंग पर जल अर्पण करते हैं।
जानकारों की माने तो भगवान राम ने श्रावण मास में सुल्तानगंज से कांवड़ में जल भरकर भगवान शिव पर अर्पण किया था। एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को भगवान शंकर ने पी लिया था। इसीलिए वह नीलकंठ हो गए। विष के प्रभाव को कम करने के लिए भगवान शिव ने सिर पर अर्धचंद्र धारण कर लिया। सभी देवतागण भी भगवान भोले को गंगाजल से स्नान कराने लगे।
ऐसी मान्यता है कि देवताओं ने श्रावण माह में गंगाजल से भगवान भोलेनाथ को स्नान कराया था। उसी समय से भगवान भोलेशंकर को भक्तों द्वारा गंगाजल अर्पण करने की परंपरा की शुरुआत हुई थी। इसी परंपरा का निर्वहन करने को लेकर मासव्यापी श्रवण मेले के दौरान लाखों की संख्या में शिवभक्त विभिन्न शिवालयों में पहुंचकर जटाधारी शिव को गंगाजल अर्पण करते हैं।
बैद्यनाथधाम में पूरे माह के दौरान एक अनुमान के अनुसार 30-35 लाख कांवड़िया बाबाधाम पहुंचते हैं। यहां ना केवल देश के विभिन्न प्रांतों से शिवभक्त जलार्पण करने के लिए आते हैं, बल्कि पड़ोसी देशों से भी बड़ी संख्या में भक्त देवघर पहुंचते हैं।
#Jharkhand सरकार का प्रयास है कि भक्तों को कष्ट न हो।किसी भी समस्या के निदान के लिए आप सीधे मुझसे भी फेसबुक या Twitter पर संपर्क कर सकते हैं pic.twitter.com/H1KNOfSRap— Raghubar Das (@dasraghubar) July 21, 2017
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