बाबानगरी में होली पर जमकर उड़े अबीर-गुलाल
देवघर द्वादश ज्योर्तिलिग में एक बाबा बैद्यनाथ के दरबार की कथा से होली का एक ऐतिहासिक रि
देवघर : द्वादश ज्योर्तिलिग में एक बाबा बैद्यनाथ के दरबार की कथा से होली का एक ऐतिहासिक रिश्ता है। लंकापति रावण ने शिवलिग की स्थापना की। कहते हैं कि लंकापति ने चरवाहा के वेश में खड़े भगवान विष्णु के हाथ में ही कैलाश से लंका ले जाते वक्त शिवलिग दे दिया था। घनघोर जंगल में बाबा बिराजे। वह समय फाल्गुन का ही था सो, उस ऐतिहासिक पल को हरि और हर के मिलन के रूप में मनाया जाता है। प्राचीन परंपरा है जिसका निर्वहन होलिका दहन की रात साढ़े आठ बजे के बाद किया गया। इसके पूर्व बुधवार का बाबा मंदिर स्थित राधा-कृष्ण मंदिर से सायं चार बजे राधा व कृष्ण को पालकी से शीतला मंदिर के समीप डोल मंच लाया। यहां इनको झुलाने व अबीर लगाने के लिए भक्तों की कतार लग गई। यहां होलिका दहन के बाद पुन: पालकी से बाबा मंदिर ले जाया गया, जहां हरि का मिलन महादेव से हुआ।
मंदिर में काफी संख्या में भक्तों की भीड़ बाबा बैद्यनाथ पर अबीर अर्पण को लगी रही। इससे पहले डोल मंच पर बैठे भगवान को अबीर लगाने के लिए भी लंबी लाइन आजाद चौक के पास रही। गुरुवार को होली होते ही बाबा के दरबार में काफी भीड़ रही। पूजा अर्चना के बाद लोग रंग खेलने निकले। वहीं राजस्थान से आये श्रद्धालुओं ने बाबा के पूजा अर्चना के बाद बाबा मंदिर प्रांगण में फाग गीत गाकर जमकर होली खेली। इसके अलावा काली मंदिर में कुंवारी भोजन का आयोजन किया गया था। इसमें बड़ी संख्या में नगर की कुंवारी कन्याओं का पूजा अर्चना कर उन्हें भोजन कराया गया। जिले में होली का उमंग जबरदस्त रहा। सारे भेदभाव भूलकर लोग एक रंग में सराबोर दिखे। युवाओं की टोली रंग में सराबोर होकर निकलती रही। सड़क किनारे टोली में बैठी टीमों को जोगिरा गाते देखा गया। हालांकि अब जोगिरा कम रिकार्डिंग गीत पर डांस का चलन है। किसी भी वर्ग के लोग हों संगीत पर थिरकने से नहीं चूके। शाम होने के बाद सभी अपने अपने घरों से निकलकर एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली की बधाई दी।