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बारिश में बढ़ता मच्छरों का प्रकोप, फाइलेरिया से रहें सतर्क

संवाद सहयोगी मधुपुर (देवघर) बारिश के दिनों में मच्छरों का प्रकोप काफी बढ़ जाता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Oct 2020 07:00 AM (IST)Updated: Mon, 05 Oct 2020 07:00 AM (IST)
बारिश में बढ़ता मच्छरों का प्रकोप, फाइलेरिया से रहें सतर्क
बारिश में बढ़ता मच्छरों का प्रकोप, फाइलेरिया से रहें सतर्क

संवाद सहयोगी, मधुपुर (देवघर) : बारिश के दिनों में मच्छरों का प्रकोप काफी बढ़ जाता है। इसके कारण लोगों में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

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इन्हीं बीमारियों में से एक है फाइलेरिया, जो लोगों को दिव्यांग तक बना सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, फाइलेरिया दुनिया की दूसरे नंबर की ऐसी बीमारी है, जो बड़े पैमाने पर लोगों को दिव्यांग बना रही है। इन तथ्यों के आधार पर इस बीमारी का अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसे में लोगों को प्रारंभिक तौर पर खुद को व अपने परिजनों को मच्छरों से बचाना होगा।

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फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी

मधुपुर अनुमंडल अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. मोहम्मद शाहिद ने रविवार को कहा कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है। यह जान तो नहीं लेती, लेकिन जिदा आदमी को मृत समान बना देती है। हाथीपांव नाम से प्रचलित यह बीमारी देश के 21 राज्यों में अपना विकराल रूप ले चुकी है। लिफेटिक फाइलेरियासिस को आम बोलचाल में फाइलेरिया कहते हैं। यह रोग मच्छर के काटने से ही फैलता है। यह एक दर्दनाक रोग है। इसके कारण शरीर के अंग जैसे पैर और अंडकोष की थैली में सूजन आ जाती है। हालांकि, समय से दवा लेकर इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है। लिफेटिक फाइलेरियासिस को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एमडीए कार्यक्रम चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इसके कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देता। बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आसपास दर्द और सूजन की समस्या दिखाई देती है। पैरों और हाथों में सूजन, हाथीपांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों का सूजन) के रूप में भी यह समस्या सामने आती है।

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रात में लिए जाते खून के नमूने

डॉ. मोहम्मद शाहिद ने कहा कि इस बीमारी की जांच के लिए पहले सर्वे किया जाता है। इसके बाद रात के समय चिह्नित इलाकों में लोगों के खून के नमूने लिए जाते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि रात के समय में ही माइक्रो फाइलेरिया परजीवी एक्टिव रहता है। नमूनों के आधार पर जांच में यह पता किया जाता है कि मरीज के रक्त में परजीवी की संख्या कितनी है। जांच रिपोर्ट 48 घंटे में मिल जाती है। संक्रमण पाए जोन पर मरीज का उपचार शुरू होगा। मरीज की 12 दिन की दवा चलती है, जो इस बीमारी के परजीवी को मार देती है। कहा कि अगर किसी को इस बीमारी के लक्षण नजर आते हैं तो वे घबराए नहीं। स्वास्थ्य विभाग के पास इसका पूरा उपचार उपलब्ध है। विभाग स्तर पर मरीज का पूरा उपचार निश्शुल्क होता है। इसलिए सीधे सरकारी अस्पताल जाएं।

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फाइलेरिया से बचने के उपाय

--सोने के समय मच्छरदानी का उपयोग करें, पीने के पानी को ढंककर रखें।

--आसपास पानी जमा न होने दें, नालियों में पानी रुकने ना दें।

--जमा पानी में जले हुए तेल का छिड़काव करें।

--घर के आसपास गंदगी या कूड़ा जमा ना होने दें।


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