तापमान के साथ बढ़ती गई मतदान की रफ्तार
जागरण संवाददाता, देवघर : पंडा धर्मरक्षिणी सभा के चुनाव को लेकर मतदान केंद्र शिवगंगा स्थित प
जागरण संवाददाता, देवघर : पंडा धर्मरक्षिणी सभा के चुनाव को लेकर मतदान केंद्र शिवगंगा स्थित पं. विनोदानंद झा बालिका संस्कृत प्राथमिक सह माध्यमिक विद्यालय परिसर व बाहर काफी गहमागहमी का माहौल रहा। लोगों ने बताया कि सभा के चुनाव में इतनी गर्मी पहले कभी नहीं देखी गई। अध्यक्ष व महामंत्री पद के लिए समर्थकों में अधिक ही उत्साह देखा गया। मतदान सुबह 7:30 मिनट पर शुरू हुआ और शाम 4:30 के बाद तक चलता रहा। इस दौरान 3900 मतदाताओं में से 3023 लोगों ने मतदान किया।
रविवार सुबह से लोग चुनाव केंद्र के आसपास जमा होने लगे थे। मतदान केंद्र के बाहर सुबह से ही नारेबाजी का दौर चल रहा था। चढ़ते सूरज के साथ चुनाव को लेकर माहौल में गरमाहट साफ तौर पर महसूस किया जा सकता था। सुबह ही सुस्ती के बाद मंदिर में यजमान को पूजा कराकर लोग मतदान केंद्र की ओर बढ़ चले और इसका असर था कि सूरज की गर्मी बढ़ने के साथ ही मतदान ने रफ्तार पकड़ी और दोपहर 1:30 बजे तक करीब 50 प्रतिशत लोगों ने मतदान कर लिया था। माहौल को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम मतदान केंद्र के अंदर व बाहर किया गया था। अंदर इस बात पर जोर था कि ज्यादा भीड़ न जमा होने पाए। इस कारण वोट देने के बाद लोगों को बाहर निकाल दिया गया। गेट पर भी हर व्यक्ति का परिचय पत्र चेक करने के बाद ही उन्हें अंदर प्रवेश करने दिया गया। बाहर भी भीड़ जमा नहीं हो इसपर विशेष ध्यान था। चुनाव के लिए मतदान केंद्र में छह बूथ बनाए गए थे। इसमें पांच बूथ सामान्य लोगों के लिए और एक शारीरिक तौर पर लाचार लोगों के लिए था। इस बूथों को मोहल्ला के आधार पर ए से ई के बीच बांटा गया था। हर बूथ पर अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महामंत्री व मंत्री पद के लिए अलग-अलग मतपेटी रखी गई। मतदान के दौरान मतदाताओं की गोपनीयता पूरी तरह बनी रही, इस पर विशेष ध्यान था। कोई गड़बड़ी नहीं हो इसके लिए चुनाव पदाधिकारियों की टीम सक्रिय नजर आई। हर बूथ पर प्रत्याशियों के एजेंट भी पूरी तरह मुस्तैद नजर आए। बूथ संख्या ए पर एजेंट व मतदाता के बीच दिन में एक बार तीखी नोंकझोंक भी हुई जिसे मतदान पदाधिकारियों, पुलिस व आम लोगों की मदद से सुलझा लिया गया। अंतिम समय पर वोटरों का रिझाने का प्रयास
चुनाव के दौरान वोटरों को रिझाने का अंतिम समय पर रिझाने का प्रयास जारी था। इसी कारण मतदान केन्द्र के बाहर प्रत्याशी व उनके समर्थक सुबह से ही अपना-अपना चुनाव चिन्ह लिए नारेबाजी करते नजर आए। कोई नारियल लेकर खड़ा था तो किसी के हाथ में बड़ा सा छाता था। कोई किताब, कोई अंगुठी, कोई चश्मा, कोई पतंग व पंखा तो काई चापाकल की तस्वीर हवा में लहरा रहा था। मतदान केन्द्र के बाहर वोटरों को प्रत्याशी के समर्थक कान में कुछ बोलते नजर आए। वे अंतिम समय तक ये आश्वस्त हो लेना चाहते थे कि वोट उन्हीं को मिले। अधिकांश वोटर भी माहौल को समझ रहे थे इस कारण वे सुन सभी की रहे थे, लेकिन मतदान के पहले व बाद सभी चुप्पी साधे नजर आए। किसी ने अगर उनसे मतदान के बारे में पूछ भी लिया तो मुस्कुराकर निकल लिए। क्योंकि चुनाव एक सामाजिक संगठन का था जिसमें हर कोई अपना ही नजर आ रहा था। ऐसे में किसी एक का खुले तौर पर समर्थन करने का मतलब था दूसरे को नाराज करना। ऐसा कोई करना नहीं चाहता था जिस कारण सभी ने चुप रहना ही बेहतर समझा। इसके साथ ही सभी प्रत्याशी इस बात को सुनिश्चित करना चाहते थे कि उनके समर्थक घरों से बाहर निकलकर मतदान करें। इस कारण लोगों को मतदान केंद्र तक लाने पर विशेष फोकस था। लोग एक दूसरे से फोन पर बात करते भी नजर आए ताकि अगर कोई छूट गया हो तो उसे भी मतदान के लिए बुला लिया जाए। इसके लिए प्रत्याशी व उसके कार्यकर्ता लगातार लोगों से संपर्क करते रहे। चाय की प्याली के साथ वोटरों को टटोलने की कोशिश
मतदान केंद्र के बाहर चाय दुकान पर लोगों की खासी भीड़ नजर आई। चाय की चुस्की के साथ लोग चुनाव पर चर्चा करते नजर आए। चाय की दुकान की सेल आज बढ़ी हुई थी। लोगों को बुला-बुलाकर चाय पिलाई जा रही थी। भले ही ये चाय आपसी प्रेम के कारण पिलाई जा रही हो, लेकिन अंदर मकसद मतदाता के मन को टटोलना ही था। किस पद पर कौन जीतेगा इसको लेकर अटकलों का बाजार गर्म था। सभी अपने-अपने तरीके से चुनाव के समीकरण का आंकलन कर रहे थे। अध्यक्ष व महामंत्री पद पर कौन जीतेगा यह चर्चा का अहम हिस्सा था। दोनों ही पद के लिए करीबी मुकाबला होने के आसार सभी ने जताया। लोग प्रत्याशी को लेकर बहस भी करते नजर आए। खास प्रत्याशी के समर्थक इस बहस में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे थे। वे अपने प्रत्याशी के समर्थन में माहौल बनाना चाह रहे थे ताकि वैसे मतदाता जोकि किसी खास पद के लिए अपने समर्थन को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं उनके मन को अंतिम समय पर बदला जा सके। उन्हें यह दर्शाने का प्रयास किया जा रहा था कि जीत उनके प्रत्याशी रहे हैं, ऐसे में अगर आपने दूसरे को वोट दिया तो वह कहीं बेकार न चला जाए। सिर्फ पंडा समाज के लोगों में ही नहीं बल्कि अन्य समाज के लोगों व बाहर से पूजा करने आए श्रद्धालु भी इस चुनाव के बारे में जानने को उत्सुक थे। क्योंकि चुनाव भले ही एक सामाजिक संगठन का हो रहा हो लेकिन शिवगंगा व आसपास के इलाके में माहौल किसी लोकसभा व विधानसभा चुनाव से कम नहीं था। मतदान पर प्रशासन की पैनी नजर
मतदान पर प्रशासन की पैनी नजर थी। किसी तरह का कोई हंगामा न हो इसको लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। तीन एसडीपीओ, एक डीएसपी नेतृत्व में दस थानों के थाना प्रभारी, इंस्पेक्टर, दो सौ की संख्या में पुलिस बल को मतदान केंद्र के अंदर व बाहर व आसपास के क्षेत्र में तैनात किया गया था। गड़बड़ी करने वाले संदिग्ध लोगों पर करीबी नजर रखी जा रही थी। पुलिस पदाधिकारी लोगों से बराबर शांति बनाए रखने की अपील कर रहे थे। वहीं बार-बार माइक पर घोषणा किया जा रहा था कि मतदान करने के बाद लोग बाहर निकल जाएं। वहीं गेट पर भी प्रत्याशियों व उनके समर्थकों को चुनाव चिन्ह के साथ वहां से दूर हट जाने को कहा जा रहा था। हालांकि इस घोषणा का अधिक असर पड़ता नजर नहीं आया क्योंकि वे सुबह से ही मतदान केंद्र के बाहर डटे हुए नजर आए। चुनाव के दौरान शांति बनी रही इसके लिए दंडाधिकारी के तौर पर सहायक मंदिर प्रभारी दीपक कुमार मालवीय, आनंद तिवारी, डॉ. सत्येंद्र चौधरी व डॉ. सुनील तिवारी भी सुबह से मतदान केंद्र पर मुस्तैद नजर आए।
चुनाव के सफल संचालन के लिए सभा की ओर से गठित समिति के पदाधिकारी महादेव चरण द्वारी, कृष्णधन खवाड़े, विनय कृष्ण झा, गिरिजा शंकर फलहारी, हीरा लाल झा, राम नारायण पांडेय अक्षय चरण मिश्र, शिवशंकर खवाड़े, तपन चक्रवर्ती, प्रहलाद भगत, सोहन फलहारी, रासमणी झा व सोमनाथ खवाड़े भी काफी सक्रिय नजर आए।