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जटाधारी की नगरी में माता रानी का जयघोष

जागरण टीम देवघर महासप्तमी के अवसर पर शुक्रवार को प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी देवघ

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 05:01 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 05:01 PM (IST)
जटाधारी की नगरी में माता रानी का जयघोष
जटाधारी की नगरी में माता रानी का जयघोष

जागरण टीम, देवघर : महासप्तमी के अवसर पर शुक्रवार को प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी देवघर के पूजा पंडाल और मंदिरों के पट श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए गए। बाबा नगरी में चारों ओर दुर्गा सप्तशती का पाठ हो रहा है। शनिवार को महाअष्टमी की पूजा होगी। घड़ीदार घर, भीतरखंड, देवसंघ, हरदलाकुंड, बरमसिया, बेलाबगान, सत्संग नगर, बिलासी, आरएल सर्राफ, कृष्णापुरी, रांगा मोड़, गोशाला समेत अन्य पूजा पंडाल व मंदिरों में श्रद्धालुओं की सीमित भीड़ होने लगी है।

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बाबा मंदिर स्थित दुर्गा मंडप में सरदार पंडा गुलाबनंद ओझा ने तांत्रिक विधि से माता की पूजा अर्चना की। एस्टेट पुरोहित श्रीनाथ मिश्र, उपचारक भक्तिनाथ फलाहारी, गोपाल महाराज, संजय मिश्र ने भी माता की विशेष पूजा अर्चना की। पूजा के पूर्व शिवगंगा तालाब में माता को महास्नान कराकर डोली में बिठाकर दुर्गामंडप लाया गया।

आज मां को अर्पण होगी डाली

शनिवार को महाष्टमी के अवसर पर माता की विशेष आराधना की जाएगी। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और माता के चरणों में परिवार की सुख और समृद्धि की मनोकामना के साथ डलिया अर्पण करती हैं। डलिया में पूजन सामग्री, नारियल, पान, सुपारी, लाल वस्त्र, सिदूर, चूड़ी, ईख व फल आदि रहता है। इसकी खरीदारी को लेकर बाजार में चहल पहल देखी गई।

बाजार की भीड़ में पीछे छूटा कोरोना

बाजार की स्थिति देखकर ऐसा लग रहा था मानो कोरोना का भय पूरी तरह से समाप्त हो गया है। जिला प्रशासन द्वारा टावर चौक के आसपास दुकान नहीं लगने देने के बाद से धोबिया टोला से लेकर अवंतिका गली तक पूजन सामग्री बेचने के लिए दुकान सज गई थी। सामान खरीदने के लिए लोगों की इस कदर भीड़ थी कि बाजार में पैर रखने तक की जगह नहीं थी। अष्टमी की डाली चढ़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। बाजार में बांस से बनी डाली, फल, नारियल आदि सामान खरीदने की भीड़ लगी थी। कहीं भी पुलिस प्रशासन की तैनाती नहीं की गई थी। पालोजोरी में माहौल भक्तिमय

शारदीय नवरात्र को लेकर पालोजोरी महावीर चौक, हटिया मैदान,असना व खागा सहित कई स्थानों में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर भक्ति भाव से पाठ किया जा रहा है। कोरोना की वजह से मंदिरों में भीड़ नहीं है।

कोरोना संक्रमण के खतरे व सरकार की गाइडलाइन के कारण इस वर्ष मेला का आयोजन कहीं नहीं हो रहा है। इससे बच्चों का उत्साह फीका पड़ने लगा है।

पट खुलते ही देवी के दर्शन को उमड़े भक्त, महाअष्टमी आज

संवाद सहयोगी, मधुपुर(देवघर): नवरात्र के पावन अवसर पर सप्तमी को मां कालरात्रि की पूजा के बाद शुक्रवार को मां के पट खोल दिए गए। पट खुलते ही दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी। पूजा पंडालों में हो रहे मंत्रोच्चार से वातावरण पवित्र बना हुआ है। शहर की अधिकतर सड़कों पर श्रद्धालुओं की भीड़ दुर्गा मंदिरों के पास जमी रही। मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा के बाद पट खुलते ही श्रद्धालुओं का आना-जाना शुरू हो गया। मां जगदंबा के दर्शन व पूजा के लिए श्रद्धालु दोपहर बाद तक जमे रहे। शहरी क्षेत्रों में कई मुख्य स्थानों पर भव्य आकर्षक प्रतिमा की खूबसूरती भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करने लगी है। ----------------

बेलभरनी को निकली शोभायात्रा

मां बेलभरनी की शोभायात्रा निकालने के साथ ही मां दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा प्रारंभ हुई। प्रात: काल से ही बेलभरनी की शोभायात्रा यहां के विभिन्न दुर्गा पूजा समितियों द्वारा निकाली गई। अन्य पूजा स्थलों पर बड़े-बड़े पीतल के कलश में जल भरकर सदस्यों द्वारा ढोल नगाड़ा सहित उत्साहपूर्वक माता की पूजा अर्चना की गई। सप्तमी के दिन कलश भरने के बाद ही पूजा का आयोजन होता है। कई स्थानों पर शक्ति स्वरूपा भगवती की तांत्रिक विधि से पूजा एवं आराधना की जाती है। पूजा स्थलों पर भजन गीत एवं चंडी पाठ से मधुपुर अनुमंडल मुख्यालय का माहौल भक्तिमय हो गया है। -------------

झील पोखर में गंदगी को ले पूजा समितियों में असंतोष

महासप्तमी के दिन शुक्रवार को मां का बेलभरनी की पूजा-अर्चना एवं महास्नान को लेकर शहर के सभी पूजा समितियों के पुरोहित व पंडित शहर के झील पोखर छठ घाट पर सुबह से ही लगने लगी। घाट पर नगर परिषद प्रशासन द्वारा समुचित साफ-सफाई नहीं किए जाने से पूजा समितियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। घाट के आसपास गंदगी पसरी हुई थी। बड़ी सावधानी के साथ पंडितों ने माता बेलभरनी की पूजा-अर्चना की।


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