तोरनी के भैय गेले त ई सनी के चाय पियेल द.
बैद्यनाथ की नगरी में पैदल कांवर यात्रा कर उनके दर तक आनेवाले श्रद्धालुओं को जहां से मंदिर के गुंबद का दर्शन होता है उसे ही दर्शनिया का नाम दिया गया है।
देवघर : बैद्यनाथ की नगरी में पैदल कांवर यात्रा कर उनके दर तक आनेवाले श्रद्धालुओं को जहां से मंदिर के गुंबद का दर्शन होता है उसे ही दर्शनिया का नाम दिया गया है। श्रद्धालु मंदिर का गुंबद देखकर इस कदर झूम उठते हैं जैसे उनका मिलन साक्षात शिव से हो गया और यहां से उनकी थकान छू-मंतर हो जाती है। इस स्थल से श्रद्धालु झूमते हुए बाबा के दरबार तक पहुंचते हैं।
सुल्तानगंज से देवघर मंदिर तक पहुंचने के दौरान बीएन झा पथ से सटा है दर्शनिया चौक। जाड़े की सुबह और चाय के तलबगार आजकल दर्शनिया चौक पर बलराम चाय की दुकान पर खूब जम रहे हैं। बलराम अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी पत्नी मीना चाय की दुकान चलाकर अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करती हैं।
बहरहाल, आजकल इस दुकान पर सुबह और शाम काफी चहल-पहल है। इसकी वजह से जाड़े की सर्दी से ज्यादा जुटने वाले ग्राहकों की बातों में गरमाहट है। यहां चुनावी माहौल जाड़े की सर्दी पर भारी पड़ रहा है। चुक्कड़ में चाय लिए शंकर सिंह कहते हैं चुनाव में विकास के मुद्दे पर ही प्रत्याशियों की जय-विजय होनी चाहिए। वायदा कर मुकरने या पूरा नहीं कर पाने वाले जनप्रतिनिधियों पर अब भरोसा करने का वक्त बीत चुका है। ऐसे प्रत्याशियों को करारा जवाब दिया जाना चाहिए। विनोद महथा चाय कि घूंट अंदर डालते हुए कहते हैं कि इस बार झारखंड की राजनीति में कई कोण हैं। राष्ट्रीय दल ही नहीं क्षेत्रीय दल भी जमकर ताल ठोंकने को तैयार हैं। सबके सामने चुनौती बड़ी हो गई है। जनता सत्ता पक्ष से भी सवाल पूछने को तैयार बैठी है। विष्णु महतो कहते हैं कि आम जनता के साथ विकास के रास्ते पर ले जाने वाला प्रत्याशी ही बेहतर विकल्प हो सकता है। गौरन महथा ने कहा कि झारखंड की धरती पर कोई भी सरकार पांच साल नहीं चल सका है लेकिन रघुवर सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया है। दल-बदलने वालों की भी कमी नहीं है। ऐसे में सबकुछ सोझ-समझ कर ही निर्णय लेना जरूरी है।
इधर चुक्कड़ की चाय का अंतिम स्वाद गटकते हुए नरेंद्र राय ने कहा कि अपने हित से उठकर जनता के हित के लिए करने वाले प्रत्याशी को मौका मिलना चाहिए। विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दों पर ही प्रत्याशियों को कसना होगा। मुद्दों के अलावा इनके कामकाज का भी आकलन निष्ठा से करनी होगी। इसी क्रम में चाय के दुकान पर नए ग्राहकों की भीड़ जुट जाती है और मीना देवी कहते हैं कि तोरनी के भैय गेले त ई सनी के चाय पियेल द..।