चाय की मिठास में घुल रही मुद्दों की बात
बैद्यनाथ की नगरी देवघर सारी रात जागता है। रात भर शिवभक्तों की चहल-पहल से शहर गुलजार रहती है। शिवभक्त जगे हों तो पंडा और पुरोहित भला कैसे सो सकते हैं। नींद न लगे उसके लिए चाय की चुस्कियां एक मात्र सहारा है।
देवघर : बैद्यनाथ की नगरी देवघर सारी रात जागता है। रात भर शिवभक्तों की चहल-पहल से शहर गुलजार रहती है। शिवभक्त जगे हों तो पंडा और पुरोहित भला कैसे सो सकते हैं। नींद न लगे उसके लिए चाय की चुस्कियां एक मात्र सहारा है। इस चाय की मिठास में जब चुनावी मुद्दे घुलने लगे तो चाय की दुकान पर भक्त व पुरोहितों के बीच ही बहस लंबी हो जाती है।
बहरहाल, शनिवार की सुबह-सुबह पाठक धर्मशाला के समीप एक चाय स्टॉल पर चुक्कड़ में चाय और जुबां पर चुनावी बहस सुनते ही बनती है। यहां चाय की घूंट गटकते हुए दीप मणि परिहस्त कहते हैं कि देवघर की मुख्य समस्या पेयजल है। पांच साल में कोई ठोस व्यवस्था नहीं हो सका पेयजल संकट से निदान का। कहते हैं कि बेरोजगारी दूर करने वाला जनप्रतनिधि का चुना जाना जरूरी है। पास खड़े कुंदन मिश्र कहते हैं कि मंदिर के साथ देवघर का समग्र विकास करने वाला प्रत्याशी को अहमियत दिया जाना चाहिए। नंदलाल कहते हैं कि चुनाव में मतदान काफी सोच-समझकर करना होगा। दलगत भावना के अलावा स्थानीय व क्षेत्रीय परिस्थितियां भी बहुत मायने रखते हैं। दलगत राजनीति से उपर उठकर विकास की सोच रखने वाले जनप्रतिनिधि ही सबके साथ न्याय कर सकता है। संजीव कुमार ठाकुर कहते हैं वे देवघर के मतदाता नहीं है लेकिर अक्सर देवघर आना-जाना करते हैं। कहा कि इस चुनाव से बहुत सारी उम्मीदें हैं। चेहरा के बजाय काम को प्रश्रय दिया जाना चाहिए। अभिषेक झा कहते हैं कि चुनाव से पहले सभी नेता वादा तो करते हैं मगर पूरा नहीं कर पाते हैं। ऐसे नेताओं को जनता पहचान गई है और इस चुनाव में उनको अपने वोट से जवाब जरूर देगी। इधर बहस की गर्मी इस कदर बढ़ चली कि समय की सूई कब आगे बढ़ गई किसी को पता भी नहीं चला। अचानक घड़ी पर निगाह पड़ते ही कुंदन मिश्र ने कहा कि अब चलते हैं मंदिर की ओर, बेड़ा हो चला है।